राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति, बीज समिति और आर्गेनिक समिति की स्थापना को कैबिनेट की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत निर्यात, बीज और आर्गेनिक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर की समितियां गठित करने को मंजूरी दी है। इन समितियों की स्थापना एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत की जाएगी। जो विभिन्न उत्पादों के निर्यात, बीजों के उत्पादन, विपणन, शोध व संरक्षण और आर्गनिक उत्पादों के उत्पादन, विपणन और निर्यात को प्रोस्ताहित करने का काम सहकारी समितियों के साथ मिलकर करेंगी

राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति, बीज समिति और आर्गेनिक समिति  की स्थापना को कैबिनेट की मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत निर्यात, बीज और आर्गेनिक उत्पादों के लिए राष्ट्रीय स्तर की समितियां गठित करने को मंजूरी दी है। इन समितियों की स्थापना एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत की जाएगी। जो राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न  उत्पादों के निर्यात,  गुणवत्ता पूर्ण बीजों के उत्पादन, विपणन और शोध व आर्गेनिक उत्पादों के उत्पादन, विपणन और निर्यात को प्रोस्ताहित करने का काम सहकारी समितियों के साथ मिलकर करेंगी।

निर्यात सहकारी समिति संबंधित मंत्रालयोंविशेष रूप से विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य विभागवाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के समर्थन से एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना और इसके संवर्धन को मंजूरी दे दी है। 

निर्यात समिति के जरिये प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालय, 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोणका पालन करते हुए अपनी निर्यात संबंधी नीतियोंयोजनाओं और एजेंसियों के माध्यम से सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात के लिए प्रस्तावित समिति को समर्थन प्रदान करेंगे।   

प्रस्तावित समिति निर्यात करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी। इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को गति देने में मदद मिलेगी। प्रस्तावित समिति 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' के माध्यम से सहकारी समितियों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात संबंधी योजनाओं और नीतियों का लाभ प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेगी। यह सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से "सहकार-से-समृद्धि" के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी, जहां सदस्य, एक ओर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे, वहीँ दूसरी ओर वे समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश द्वारा भी लाभान्वित होंगे।

प्रस्तावित समिति के माध्यम से होने वाले उच्च निर्यात के कारण सहकारी समितियां, विभिन्न स्तरों पर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि करेंगी, जिससे सहकारी क्षेत्र में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा होंगे। वस्तुओं के प्रसंस्करण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सेवाओं को बेहतर बनाने से भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे। सहकारी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि, "मेक इन इंडिया" को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे अंततः आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा

इसी तरह बीजों के उत्पादन, विपणन, प्रसंस्करण, संरक्षण और शोध के लिए बहु-राज्य बीज सहकारी समिति बनाने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने मंजूरी दी है। इस समिति की स्थापना एमएससीएस एक्ट 2002 के तहत होगी। यह समिति  गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, उनकी खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिगं, पैकेजिंग, स्टोरेज, मार्केटिंग और वितरम का काम करेगी। साथ ही यह स्थानीय और भारतीय मूल के बीजों के संरक्षण, शोध और विकास का काम भी करेगी। यह सहकारी समिति कृषि मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और नेशनल सीड कारपोरेशन के साथ मिलकर काम करेगी।

वहीं आर्गेनिक उत्पादों के लिए भी एक बहु-राज्य सहकारी समिति बनाने को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। यह समिति कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और पूर्वोत्तर राज्यों के विकास मंत्रालय के साथ उनकी नीतियों और कार्यक्रमों के अनुसार आर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कार्य करेगी।

यह समिति आर्गेनिक उत्पादों के सर्टिफिकेन का भी काम करेगी और उनके उत्पादन व निर्यात को प्रोत्साहित करने का भी काम करेगी। जिसके तहत आर्गेनिक उत्पादों का एकत्रीकरण, ब्रांडिंग, मार्केटिंग  और टेस्टिंग जैसे काम भी शामिल हैं। साथ ही यह निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए आर्गेनिक उत्पादों की खरीद, स्टोरेज, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग और ढांचागत सुविधाओं के साथ  कम लागत पर मार्केंटिग की सुविधाएं भी तैयार करेगी।  यह काम प्राथमिक सहकारी समितियों, कृषि ऋण सहकारी समितियों और फार्मर्स प्रॉड्यूसर आर्गनाइजेशंस (एफपीओ) के जरिये किया जाएगा। 

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