सत्रह हजार पैक्स में अगस्त से मिलेंगी सीएससी की सुविधाएं, 14 हजार ग्रामीण युवाओं को मिलेगा रोजगार

भारत सरकार और राज्य सरकारों  की 300 से अधिक छोटी-छोटी लाभार्थी योजनाओं को सीएससी के साथ जोड़ दिया गया है। अब पैक्स और सीएससी एक हो रहे हैं। इससे गरीबों की सुविधाओं में बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा और ताकत मिलेगी।  अब तक सीएससी में 17,176 पैक्स अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इनमें से करीब 6,670 ने अपना काम शुरू कर दिया है और अगले 15 दिनों में बाकी के पैक्स भी काम करना शुरू कर देंगे। इससे करीब 14,000 ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा। ये युवा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और गांव की सुविधाओं को मजबूत करने का काम भी करेंगे।

सत्रह हजार पैक्स में अगस्त से मिलेंगी सीएससी की सुविधाएं, 14 हजार ग्रामीण युवाओं को मिलेगा रोजगार
पैक्स द्वारा सीएससी की सेवाओं की शुरुआत करते केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (बाएं) और सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा।

सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए देश के 17 हजार से ज्यादा पैक्स अगले महीने की शुरुआत तक कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की सेवाएं देने लगेंगे। इनमें से 6,670 पैक्स ने इसकी शुरुआत कर दी है। इसके जरिये केंद्र और राज्य सरकारों की 300 छोटी-बड़ी योजनाओं का फायदा लाभार्थी उठा सकेंगे। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) द्वारा कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) की सेवाएं शुरू करने के उद्घाटन मौके पर यह बात कही।

अमित शाह ने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकारों  की 300 से अधिक छोटी-छोटी लाभार्थी योजनाओं को सीएससी के साथ जोड़ दिया गया है। अब पैक्स और सीएससी एक हो रहे हैं। इससे गरीबों की सुविधाओं में बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा और ताकत मिलेगी।  अब तक सीएससी में 17,176 पैक्स अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। इनमें से करीब 6,670 ने अपना काम शुरू कर दिया है और अगले 15 दिनों में बाकी के पैक्स भी काम करना शुरू कर देंगे। इससे करीब 14,000 ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलेगा। ये युवा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और गांव की सुविधाओं को मजबूत करने का काम भी करेंगे।

उन्होंने कहा कि पैक्स और सीएससी के जुड़ने से सहकारिता को मजबूत करने व डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने के दो संकल्प एक साथ पूरे हो रहे हैं। अगर सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाना है तो इसकी सबसे छोटी इकाई पैक्स को मजबूत बनाना होगा। जब तक पैक्स मजबूत नहीं होते सहकारिता आंदोलन खड़ा नहीं हो सकता। इसलिए सरकार ने यह तय किया है कि पैक्स का कम्प्यूटरीकरण कर उन्हें पारदर्शी बनाया जाए, जवाबदेही सुनिश्चित की जाए और उनका आधुनिकीकरण किया जाए ताकि सरकार की डिजिटाइज्ड योजनाओं को पैक्स के साथ जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि 2,500 करोड़ रुपये से 65,000 पैक्स का कंप्यूटरीकरण हो रहा है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने पैक्स का कम्प्यूटरीकरण करने, उन्हें बहुउद्देशीय बनाने और एफपीओ (किसान उत्पादक संघ) बनाने का काम किया है। साथ ही बीज उत्पादन, जैविक खेती की मार्केटिंग तथा किसानों की उपज के निर्यात के लिए तीन बहुराज्यीय सहकारी समितियों का गठन किया है। उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण योजना की शुरुआत भी की  गई है। अगले 5 साल में छोटे-छोटे पैक्स देश के 30 फीसदी खाद्यान्न का भंडारण करने का काम करेंगे।

अब पैक्स एलपीजी, डीजल और पेट्रोल डिस्ट्रीब्यूटशन कर सकते हैं, साथ ही उचित मूल्य की दुकान, जन औषधि केंद्र, प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र और फर्टिलाइजर की दुकान भी खोल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनके माध्यम से पैक्स गांव की आर्थिक गतिविधियों की आत्मा बन जाएंगी।

 

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