मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव संशोधन विधेयक संसद से पास, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बनेगा कानून

संसद ने बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया है। इसमें सहकारी समितियों के कामकाज को अधिक पारदर्शी बनाकर नियमित चुनावों की प्रक्रिया शुरू करने और सहकारी समिति के सदस्यों के पारिवारिक सदस्य और रिश्तेदारों की नियुक्ति पर रोक लगाकर समिति को मजबूत बनाने का प्रावधान किया गया है। मंगलवार को यह विधेयक राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया। इससे पहले 25 जुलाई को लोकसभा में यह पारित हो गया था। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा।

मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव संशोधन विधेयक संसद से पास, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बनेगा कानून
राज्यसभा में विधेयक को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा।

संसद ने बहु-राज्य सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2023 को पारित कर दिया है। इसमें सहकारी समितियों के कामकाज को अधिक पारदर्शी बनाकर नियमित चुनावों की प्रक्रिया शुरू करने और सहकारी समिति के सदस्यों के पारिवारिक सदस्य और रिश्तेदारों की नियुक्ति पर रोक लगाकर समिति को मजबूत बनाने का प्रावधान किया गया है। मंगलवार को यह विधेयक राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित हो गया। इससे पहले 25 जुलाई को लोकसभा में यह पारित हो गया था। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा।

राज्यसभा में विधेयक को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा कि इस विधेयक में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए कड़े मानदंड का प्रावधान किया गया है जिससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भाई-भतीजावाद न हो।  उन्होंने कहा कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य सहकारी क्षेत्र की प्रगतिशील भूमिका के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है। जब रोजगार सृजन की बात आती है तो निजी क्षेत्र की एक सीमा होती है। सहकारी क्षेत्र नौकरियां बढ़ा सकता है क्योंकि सरकार एलपीजी और पेट्रोल पंप डीलरशिप जैसे क्षेत्रों में कार्य क्षेत्र का विस्तार करके सहकारी समितियों को मजबूत कर रही है।

विधेयक में सहकारी क्षेत्र में चुनाव सुधार करने के उद्देश्य से एक 'सहकारी चुनाव प्राधिकरण' स्थापित करने का प्रावधान है। इसमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन से अधिक सदस्य नहीं होंगे जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। एनसीयूआई (नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में लगभग 8.6 लाख सहकारी समितियां हैं। इनमें से लगभग 63,000 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) सक्रिय हैं।

जैविक उत्पादों, बीजों और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इसी साल जनवरी में तीन नई बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना करने का निर्णय लिया था। बीमार बहु-राज्य सहकारी समितियों के पुनरुद्धार के लिए सहकारी पुनर्वास, पुनर्निर्माण और विकास निधि स्थापित करने के लिए इस विधेयक में एक नया खंड जोड़ा गया है। इस विधेयक में सहकारी समितियों के लिए ऑडिट, शिकायतों के निवारण के लिए तंत्र, एक या अधिक सहकारी लोकपाल और सहकारी सूचना अधिकारी की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा इसमें आर्थिक जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है जो सहकारी समितियों द्वारा नियमों के उल्लंघन करने पर लगाया जाएगा।

इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक रूप में आवेदन, दस्तावेज, रिटर्न, विवरण, खातों का विवरण दाखिल करने का प्रावधान इसमें किया गया है।

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