इफको को नैनो जिंक और नैनो कॉपर उर्वरक बनाने की अनुमति, एफसीओ के तहत तीन साल के लिए अधिसूचित किया

सहकारी संस्थान इंडियन फारमर्स फार्टिलाइजर कारपोरेशन (इफको) द्वारा नैनो टेक्नोलॉजी से तैयार इफको नैनो जिंक (तरल) और इफको नैनो कॉपर (तरल) को केंद्र सरकार ने फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (एफसीओ) के तहत अधिसूचित कर दिया है।

इफको को नैनो जिंक और नैनो कॉपर उर्वरक बनाने की अनुमति, एफसीओ के तहत तीन साल के लिए अधिसूचित किया

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के बाद अब इफको को नैनो जिंक और नैनो कॉपर तरल उर्वरक बनाने की अनुमति मिल गई है। सहकारी संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा नैनो टेक्नोलॉजी से तैयार नैनो जिंक (तरल) और नैनो कॉपर (तरल) उर्वरक को केंद्र सरकार ने फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर (एफसीओ) के तहत अधिसूचित कर दिया है। इन उर्वरकों को तीन साल के लिए अधिसूचित किया गया है।

इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने एक ट्वीट के जरिये यह जानकारी दी है। इस अधिसूचना के बाद अब नैनो टैक्नोलॉजी पर आधारित इफको के पांच तरल उर्वरक उत्पाद किसानों को उपलब्ध हो सकेंगे। इफको नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के बाद इफको के नैनो यूरिया प्लस को भी सरकार ने अधिसूचित किया था। अब इफको के नैनो जिंक (तरल) और नैनो कॉपर (तरल) को अधिसूचित किया गया है। 

जिंक और कॉपर माइक्रोन्यूटिएंट की श्रेणी में आने वाले उर्वरक हैं। मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रीएंट का असंतुलन काफी बढ़ गया है। ऐसे में यह उर्वरक किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। डॉ. अवस्थी ने अपने बयान में कहा है कि जिंक की कमी पौधों के विकास को कम कम करती है। वहीं कॉपर की कमी के चलते पौधों में बीमारी लगने की आशंका बढ़ जाती है। यह दो उत्पाद फसलों में जिंक और कॉपर की कमी को दूर कर सकते हैं। माइक्रो न्यूट्रीएंट की कमी कुपोषण की एक बड़ी वजह है। उन्होंने इन उर्वरकों के अधिसूचित होने को इफको की टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है।

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