खरीफ की तरह रबी की दालों ने भी बढ़ाई चिंता, बुवाई रकबा करीब 11 लाख हेक्टेयर घटा, गेहूं के क्षेत्रफल में भी आई 4 लाख हेक्टेयर की कमी

दाल उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश सफल होती नजर नहीं आ रही है। खरीफ सीजन की तरह ही रबी सीजन में भी दलहन फसलों के उत्पादन को लेकर चिंता बढ़ गई है क्योंकि इसके रकबे में करीब 11 लाख हेक्टेयर की कमी आ गई है। रबी की प्रमुख दलहन फसल चना की बुवाई करीब 9 लाख हेक्टेयर घट गई है। इसी तरह, रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का रकबा 4 लाख हेक्टेयर से ज्यादा घट गया है। इसके अलावा, रबी की अन्य फसल धान, मूंगफली और सूरजमुखी की बुवाई भी घटी है। हालांकि, सरसों, मसूर, मक्का एवं जौ की बुवाई के क्षेत्रफल में इजाफा हुआ है।

खरीफ की तरह रबी की दालों ने भी बढ़ाई चिंता, बुवाई रकबा करीब 11 लाख हेक्टेयर घटा, गेहूं के क्षेत्रफल में भी आई 4 लाख हेक्टेयर की कमी

दाल उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश सफल होती नजर नहीं आ रही है। खरीफ सीजन की तरह ही रबी सीजन में भी दलहन फसलों के उत्पादन को लेकर चिंता बढ़ गई है क्योंकि इसके रकबे में करीब 11 लाख हेक्टेयर की कमी आ गई है। रबी की प्रमुख दलहन फसल चना की बुवाई करीब 9 लाख हेक्टेयर घट गई है। इसी तरह, रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई का रकबा 4 लाख हेक्टेयर से ज्यादा घट गया है। इसके अलावा, रबी की अन्य फसल धान, मूंगफली और सूरजमुखी की बुवाई भी घटी है। हालांकि, सरसों, मसूर, मक्का एवं जौ की बुवाई के क्षेत्रफल में इजाफा हुआ है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 29 दिसंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, गेहूं की बुवाई का रकबा 320.54 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 324.58 लाख हेक्टेयर था। देश के कई इलाकों में धान की कटाई देरी से होने के चलते गेहूं की बुवाई पिछड़ी है। गेहूं की बुवाई अभी अंतिम चरण में है और पछैती किस्मों की बुवाई हफ्ते-दस दिन तक और चलेगी। इसी तरह, रबी की धान की बुवाई पिछले साल की समान अवधि के 16.57 लाख हेक्टेयर के मुकाबले घटकर 14.36 लाख हेक्टेयर रह गई है।

आंकड़ों के मुताबिक, दलहन फसलों की कुल बुवाई का रकबा 153.22 लाख हेक्टेयर से घटकर 142.49 लाख हेक्टेयर रह गया है। कुल रकबे में 10.72 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। रबी की प्रमुख दलहन फसल चना का क्षेत्रफल 8.75 लाख हेक्टेयर घटकर 97.05 लाख हेक्टेयर और उड़द एवं कुल्थी की बुवाई घटकर क्रमशः 4.78 लाख हेक्टेयर और 3.55 लाख हेक्टेयर पर आ गई है। पिछले साल 29 दिसंबर तक 105.80 लाख हेक्टेयर में चना की और उड़द एवं कुल्थी की बुवाई क्रमशः 5.77 लाख और 3.81 लाख हेक्टेयर में हुई थी। रबी की मूंग की बुवाई का रकबा 2.93 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.81 लाख हेक्टेयर रह गया है।

हालांकि, इस समय तक मसूर की बुवाई 66 हजार हेक्टेयर बढ़कर 18.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है। पिछले साल इस समय तक 18.02 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई 9.22 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 9.43 लाख हेक्टेयर रही है। अन्य दालों की बुवाई का रकबा 4.30 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.77 लाख हेक्टेयर रह गया है।

जहां तक तिलहन फसलों की बात है, तो रबी की प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बुवाई का कुल रकबा 95.63 लाख हेक्टेयर की तुलना में 1.65 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है। 29 दिसंबर तक सरसों की बुवाई 97.29 लाख हेक्टेयर में हुई है। सरसों को छोड़कर बाकी सभी तिलहन फसलों की बुवाई घटी है। मूंगफली का क्षेत्रफल 1.02 लाख हेक्टेयर घटकर 3.32 लाख हेक्टेयर और सूरजमुखी का 71 हजार हेक्टेयर से घटकर 34 हजार हेक्टेयर रह गया है। अलसी का रकबा 2.98 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2.85 लाख हेक्टेयर और तिल का 33 हजार हेक्टेयर से घटकर 25 हजार पर आ गया है।

मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी का रकबा लगभग पिछले साल के समान स्तर पर ही रहा है। जौ का रकबा 7.32 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.01 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।    

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