ब्राजील और अर्जेंटीना से दलहन आयात की तैयारी, कैसे आएगी आत्मनिर्भरता

दलहन के मामले में आत्मनिर्भरता के दावों के बावजूद दालों के आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। सरकार ब्राजील और अर्जेंटीना से दालों का आयात करने जा रही है। इसके लिए दीर्घकालिक सौदे किए जाएंगे, जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है।

ब्राजील और अर्जेंटीना से दलहन आयात की तैयारी, कैसे आएगी आत्मनिर्भरता

दलहन के मामले में आत्मनिर्भरता के दावों के बावजूद दालों के आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। सरकार ब्राजील और अर्जेंटीना से दालों का आयात करने जा रही है। इसके लिए दीर्घकालिक सौदे किए जाएंगे, जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है। 

एक तरफ जहां देश के किसानों को दालों का सही भाव न मिलने की वजह से दलहन उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है, वहीं ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे देशों के साथ लॉन्ग टर्म सौदे कर दालों का आयात किया जाएगा। ब्राजील से 20 हजार टन से अधिक उड़द आयात की उम्मीद है जबकि अर्जेंटीना से अरहर का आयात किया जाएगा। भारत में मुख्य रूप से कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मोजाम्बिक, तंजानिया और म्यांमार से दालों का आयात होता है। 

चुनावी साल में दालों की महंगाई पर नियंत्रण रखना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। मार्च में दालों की खुदरा महंगाई दर 17 फीसदी से अधिक रही है जबकि फरवरी में यह 19 फीसदी के करीब थी। ऐसे में दालों की कमी दूर करने के लिए विदेशों से आयात करना पड़ रहा है। लेकिन सवाल है कि दालों का उत्पादन क्यों नहीं बढ़ पा रहा है और दालों के आयात की नौबत क्यों आ रही है?

दालों का शुल्क मुक्त आयात 

मध्य प्रदेश के किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि सरकार एमएसपी की गारंटी देने की बजाय दालों के आयात की गारंटी दे रही है। जबकि किसान उपज के सही दाम से वंचित रह जाता है। इस साल चने के दाम पिछले साल के मुकाबले काफी कम हैं। लेकिन आयात शुल्क में 2025 तक छूट देकर दालों के आयात को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह किसानों के साथ-साथ देश की खाद्यान्न आत्मनिर्भरता के भी प्रतिकूल है।

केंद्र सरकार कई देशों के साथ लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट कर दालों की आपूर्ति में स्थिरता लाना चाहती है। दालों के आयात के लिए सरकार ने 31 मार्च, 2025 तक अरहर, उड़द और मसूर (मसूर) पर आयात शुल्क से मुक्त रखा है। इसके अलावा पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की छूट को 30 जून, 2024 तक बढ़ा दिया है। पिछले चार महीनों में 12 लाख टन से अधिक पीली मटर के आयात का अनुमान है। इससे चने की नई फसल के दाम गिर गये हैं क्योंकि पीली मटर का इस्तेमाल चने के विकल्प के तौर पर किया जाता है। 

दलहन क्षेत्र और उत्पादन घटा 

दलहन आयात की मजबूरी को देश में दालों के घटते उत्पादन से जोड़कर देखा जा सकता है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि वर्ष 2023-24 में दालों का उत्पादन 234 लाख टन रहेगा, जबकि एक साल पहले देश में 261 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। इस साल खरीफ सीजन में दलहन उत्पादन गत वर्ष के 76.21 लाख टन से घटकर 71.18 लाख टन रहने का अनुमान है।

दलहन आयात पर देश की निर्भरता इसलिए बढ़ी है क्योंकि पिछले दो-तीन साल में दलहन की बुवाई का क्षेत्र और उत्पादन बढ़ने की बजाय घटा है। 2021-22 में देश में दलहन की बुवाई का क्षेत्र 307.31 लाख हेक्टेअर था जो 2023-24 में घटकर 257.85 लाख हेक्टेअर रह गया। इसी तरह दलहन उत्पादन 2021-22 में 273 लाख टन तक पहुंच गया था जो वर्ष 2023-24 में घटकर 234 लाख टन रहने का अनुमान है। यानी दो साल में दलहन का क्षेत्र 16 फीसदी और उत्पादन 14 फीसदी घटा है। 

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