गन्ना संकट: चीनी मिलें समय से पहले बंद, किसानों को दिया 420 रुपये तक का भाव

गन्ना संकट के कारण उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें समय से पहले बंद हो रही हैं। पेराई सत्र के आखिरी दिनों में गन्ना खरीदने के लिए चीनी मिलों में होड़ लगी है, जिसके चलते गन्ने का भाव कहीं-कहीं 400 से 420 रुपये प्रति क्विंटल तक भी दिया गया।

गन्ना संकट: चीनी मिलें समय से पहले बंद, किसानों को दिया 420 रुपये तक का भाव

गन्ना संकट के कारण उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें समय से पहले बंद हो रही हैं। पेराई सत्र के आखिरी दिनों में गन्ना खरीदने के लिए चीनी मिलों में होड़ लगी है, जिसके चलते गन्ने का भाव कहीं-कहीं 400 से 420 रुपये प्रति क्विंटल तक भी दिया जा रहा है। गन्ना उत्पादन में गिरावट इस साल यह स्थिति पैदा हुई है। 

यूपी की गन्ना बेल्ट में शामली जिले की तीन में से दो चीनी मिलें 'नो केन' के कारण पेराई बंद कर सीजन समाप्त कर चुकी है। पेराई सीजन के आखिरी दिनों में किसानों से ज्यादा से ज्यादा गन्ना खरीदने के लिए ऊन शुगर मिल ने 420 रुपये प्रति क्विंटल तक का भाव दिया जबकि राज्य सरकार ने गन्ना का भाव (एसएपी) 370 रुपये घोषित किया है। ऊन चीनी मिल ने इस साल 89.50 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की है, जबकि पिछले साल 95 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी। 

शामली जिले के भैंसवाल गांव के किसान योगेंद्र सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि ऊन शुगर मिल ने किसानों को 400 से 420 रुपये तक का पेमेंट दिया है। हालांकि, शामली शुगर मिल और जिला प्रशासन के दबाव के चलते यह सिलसिला अधिक दिनों तक नहीं चल सका और ऊन शुगर मिल को 8 अप्रैल को सीजन समाप्ति का ऐलान करना पड़ा। भैंसवाल गांव के एक अन्य किसान सुभाष चौधरी का कहना है कि सरकार को गन्ना सीजन की शुरुआत में ही 400 रुपये का रेट घोषित करना चाहिए था। जब कुछ खांडसारी यूनिट और चीनी मिलें 400 रुपये का रेट दे सकती हैं तो किसानों को सही भाव से क्यों वंचित रखा गया।  

मुजफ्फरनगर जिले में भी गन्ना ना मिलने के कारण अधिकांश चीनी मिलें समय से पहले बंद हो चुकी हैं। खाईखेड़ी, टिकौला, रोहाना और भैसाना चीनी मिलों के पेराई सत्र का समापन हो चुका है। जबकि खतौली, तितावी और मंसूरपुर चीनी मिल 25 अप्रैल तक चलने की संभावना है। इस साल पेराई सत्र की शुरुआत से ही चीनी मिलों के सामने गन्ना आपूर्ति का संकट रहा था। फरवरी के आखिर में ही उत्तर प्रदेश की कई चीनी मिलें बंद होने की स्थिति में आ गई थीं और सेंटर बंद होने लगे थे। 15 मार्च तक यूपी में 121 में से 18 चीनी मिलें बंद हो चुकी थीं जबकि पिछले साल इस अवधि तक केवल 9 चीनी मिलें बंद हुई थीं।   

चीनी मिलों को पर्याप्त गन्ना न मिल पाने के पीछे गन्ने की बुवाई के क्षेत्र में कमी और फसल पर मौसम व रोगों की मार प्रमुख कारण हैं। इस बार गन्ने की पैदावार के साथ-साथ चीनी रिकवरी भी कम रही है। कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023-24 में देश में 44.64 करोड़ टन गन्ना उत्पादन की संभावना है जबकि 2022-23 में देश में 49.05 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन हुआ था। इस प्रकार गन्ना उत्पादन में लगभग 9 फीसदी की गिरावट आई है। वर्ष 2023-24 में देश में गन्ने की बुवाई का क्षेत्र घटकर 56.48 लाख हेक्टेअर रहा था जो इससे पिछले साल 58.85 लाख हेक्टेअर था।

उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल पर बारिश, बाढ़ और रोगों की मार के चलते उत्पादन पर असर पड़ा है। गन्ने की रोगग्रस्त किस्मों का विकल्प ना मिलने से किसानों को पुरानी किस्मों की बुवाई करनी पड़ी। इससे भी गन्ने की पैदावार प्रभावित हुई है। इन्हीं कारणों से इस साल उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 105 लाख टन के आसपास रहने की संभावना है जबकि सीजन के शुरुआत में राज्य में 110 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना जताई गई थी।

उधर, महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 106 से 107 लाख टन तक पहुंचने की संभावना है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन में जो गिरावट होगी, उसकी भरपाई महाराष्ट्र में होने से देश में कुल चीनी उत्पादन 320 लाख टन रहने का अनुमान है। यह मात्रा एथेनॉल के लिए डायवर्ट की गई 17 लाख टन चीनी से अलग है।

एक ओर जहां सरकार ऐथनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है वहीं, गन्ना उत्पादन में कमी के चलते चीनी उद्योग का अपनी पूरी क्षमता इस्तेमाल न कर पाना खतरे की घंटी है।  

 

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