भारत में मसूर के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद, विश्व में होगा सर्वाधिक

इस साल भारत में मसूर का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। कनाडा को पीछे भारत छोड़कर विश्व में मसूर का सबसे बड़ा उत्पादक बन सकता है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में यह उम्मीद जताई है।  

भारत में मसूर के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीद, विश्व में होगा सर्वाधिक

इस साल भारत में मसूर दाल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। कनाडा को पीछे छोड़कर भारत विश्व में मसूर का सबसे बड़ा उत्पादक बन सकता है। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने नई दिल्ली में वैश्विक दाल सम्मेलन (जीपीसी) से जुड़े एक आयोजन में यह उम्मीद जताई।

सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि जिस तरह की रिपोर्ट मिल रही हैं, उसे देखते हुए भारत में मसूर उत्पादन 16-17 लाख टन के उच्चतम स्तर तक पहुंच सकता है। भारत का मसूर उत्पादन विश्व में सर्वाधिक होगा। उन्होंने कहा कि किसानों और उपभोक्ताओं के हितों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास है। मौसम की गड़बड़ी के बावजूद दालों की कीमतें उचित नियंत्रण में रही हैं। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सीजन से पहले रजिस्ट्रेशन और मार्केट रेट पर दालों की खरीद जैसे कदम उठाए जा रहे हैं। 

दालों की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए भारत आयात पर निर्भर है। गत वर्षों में देश के मसूर उत्पादन में काफी उतार-चढ़ाव रहा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017-18 में मसूर का उत्पादन 16.22 लाख टन रहा था जो 2019-20 में घटकर 11.03 लाख टन रह गया। इसके बाद मसूर उत्पादन में बढ़ोतरी हुई और 2022-23 में 15.59 लाख टन तक पहुंच गया था।

इस साल रबी सीजन में 12 जनवरी तक दलहन की कुल बुवाई पिछले सीजन के मुकाबले 7.83 लाख हेक्टेयर कम रही है जबकि मसूर की बुवाई का क्षेत्र 1.06 लाख हेक्टेयर बढ़ा है। मसूर की बुवाई का क्षेत्र बढ़ने से उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है। हाल के वर्षों में मसूर का एमएसपी बढ़ने और अच्छे दाम मिलने से किसान इसे उगाने के लिए प्रेरित हुए हैं।

ग्लोबल पल्स कन्वेंशन के लिए रोडशो आयोजित

नई दिल्ली में आगामी 14 से 17 फरवरी तक आयोजित होने वाले ग्लोबल पल्स कन्वेंशन के सिलसिले में शुक्रवार को रोड शो कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दलहन उद्योग का यह प्रमुख आयोजन 18 वर्षों के बाद भारत में नेफेड के साथ आयोजित किया जा रहा है। ग्लोबल पल्स कॉन्फेडरेशन (जीपीसी) और नेफेड की ओर से आयोजित होने वाले इस वार्षिक सम्मेलन में दलहन उद्योग से जुड़े 40 देशों के लगभग 800 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।

जीपीसी बोर्ड के अध्यक्ष विजय अयंगर का कहना है कि इस वर्ष जीपीसी के नई दिल्ली सम्मेलन का समय और स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने अपने घरेलू दलहन उत्पादन को बढ़ाने और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से सस्ती दालें उपलब्ध कराने के लिए कई कदम उठाए हैं। कार्यक्रम में नेफेड के प्रबंध निदेशक रितेश चौहान, अतिरिक्त प्रबंध निदेशक सुनील कुमार सिंह और दलहन उद्योग से जुड़े प्रतिनिधि उपस्थिति रहे। 

 

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