भारत में गहराया वनों के विनाश का संकट, 2024 में 18,200 हेक्टेयर प्राथमिक वन खत्म: GFW रिपोर्ट
2002 से 2024 के बीच, भारत में 3.48 लाख हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (ह्यूमिड प्राइमरी फॉरेस्ट) खत्म हुए, जो इस अवधि में कुल ट्री कवर को हुए नुकसान का 15% है। इस दौरान देश के आर्द्र प्राथमिक वन क्षेत्र में 5.4% की गिरावट दर्ज की गई।

भारत में वनों के विनाश का संकट 2024 में और गहरा हो गया है। ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (GFW) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश ने 2024 में 18,200 हेक्टेयर प्राथमिक (प्राइमरी) वनों को खो दिया, जो 2023 में हुए 17,700 हेक्टेयर वनों के नुकसान से अधिक है। यह आंकड़ा देश महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के संकट को दर्शाता है।
2001 से 2024 तक, भारत ने लगभग 23.1 लाख हेक्टेयर ट्री कवर खो दिया है, जो 2000 से अब तक कुल फॉरेस्ट कवर में 7.1% की कमी के बराबर है। इसके कारण लगभग 1.29 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य (CO₂e) उत्सर्जन हुआ है।
2002 से 2024 के बीच, भारत में 3.48 लाख हेक्टेयर आर्द्र प्राथमिक वन (ह्यूमिड प्राइमरी फॉरेस्ट) खत्म हुए, जो इस अवधि में कुल ट्री कवर को हुए नुकसान का 15% है। इस दौरान देश के आर्द्र प्राथमिक वन क्षेत्र में 5.4% की गिरावट दर्ज की गई। 2024 में भारत के कुल ट्री कवर लॉस का 93% नुकसान प्राकृतिक वनों में हुआ, जिसमें कुल 6.02 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हुआ। इससे अनुमानित 273 मिलियन टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन हुआ।
हालांकि, 2000 से 2020 के बीच भारत ने 17.8 लाख हेक्टेयर ट्री कवर जोड़ा भी गया, जो वैश्विक वृक्ष कवर वृद्धि का लगभग 1.4% है। इसी अवधि में देश ने कुल 8.74 लाख हेक्टेयर (1.3%) नेट गेन दर्ज किया।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, 2015 से 2020 के बीच भारत में वनों की कटाई की दर लगभग 6.68 लाख हेक्टेयर प्रति वर्ष रही है।
भारत में वनों की कटाई के प्रमुख कारणों में कृषि विस्तार, बस्तियों और बुनियादी ढांचे का विकास, तथा अवैध लकड़ी कटाई शामिल हैं। 2001 से 2024 के बीच, स्थायी कृषि के कारण 6.2 लाख हेक्टेयर, लकड़ी कटाई के कारण 1.82 लाख हेक्टेयर, प्राकृतिक कारणों से 35,100 हेक्टेयर, और बस्तियों व इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण 30,600 हेक्टेयर ट्री कवर नष्ट हुआ।
इस दौरान सिर्फ चार राज्यों में देश के कुल ट्री कवर लॉस का 52% हिस्सा दर्ज हुआ, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर संकट की गंभीरता स्पष्ट होती है। सबसे ज्यादा नुकसान असम में हुआ, जहां 3.4 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हुआ। इसके बाद मिजोरम (3.34 लाख हेक्टेयर), नागालैंड (2.68 लाख हेक्टेयर), और मणिपुर (2.55 लाख हेक्टेयर) का स्थान रहा। मेघालय ने भी 2.43 लाख हेक्टेयर नुकसान के साथ पांचवां स्थान प्राप्त किया, जिससे पूर्वोत्तर भारत में व्यापक वन क्षरण की पुष्टि होती है।