राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025: युवाओं को सहकारी क्षेत्र से जोड़ने की व्यापक रणनीति
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 सहकारी क्षेत्र को पेशेवर, नवाचारी और युवा-केन्द्रित बनाने की दिशा में एक दूरदर्शी पहल है। सहकारी क्षेत्र को युवाओं और नवाचार से जोड़ने के लिए कई नीतिगत उपाय सुझाए गये हैं।

केंद्र सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 की घोषणा करते हुए सहकारी क्षेत्र को पेशेवर, सशक्त और नवाचार की दिशा में आगे ले जाने का खाका प्रस्तुत किया है। यह नीति न केवल सहकारी संस्थानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने पर केंद्रित है, बल्कि युवाओं को सहकारी विकास से जोड़ने की भी रणनीति प्रस्तुत करती है।
इस नीति के केंद्र में दो प्रमुख पहल हैं: सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण और नवाचार के लिए एक सर्वोच्च राष्ट्रीय स्तर के संगठन का निर्माण, और सहकारी आंदोलन में युवा पीढ़ी को शामिल करने हेतु एक व्यापक रणनीति।
नई नीति के तहत युवाओं को सहकारी उद्यमों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए सहकारिता से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में पेशेवर शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी। विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के युवाओं को सहकारी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने के लिए आवश्यक तकनीकी कौशल से दक्ष बनाया जाएगा।
शीर्ष राष्ट्रीय संस्था की स्थापना
युवाओं को सहकारी प्रणाली से जोड़ने और उनके प्रशिक्षण के लिए एक राष्ट्रीय शीर्ष संस्था की स्थापना की जाएगी, जो राज्य स्तरीय सहकारी शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थानों के साथ समन्वय कर भविष्य के लिए नेतृत्व तैयार करेगी, जिससे सहकारी संस्थाओं का संचालन अधिक पेशेवर रूप से किया जा सके।
यह शीर्ष संस्था पाठ्यक्रम, प्रवेश प्रक्रिया, शिक्षक नियुक्ति और मूल्यांकन जैसी व्यवस्थाओं का मानकीकरण करेगी। साथ ही, समाज विज्ञान में डिग्री व डिप्लोमा प्रदान करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों को सहकारिता से जुड़े पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
कौशल विकास और नवाचार पर जोर
नीति के अंतर्गत सहकारी क्षेत्र में कार्यरत लोगों के प्रशिक्षण और कौशल विकास हेतु एक संगठित तंत्र विकसित किया जाएगा। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्थापित या वित्तपोषित प्रशिक्षण संस्थानों का एक डेटाबेस तैयार किया जाएगा, ताकि प्रशिक्षण की व्यवस्था और पहुंच बेहतर हो सके।
इसके अलावा, सहकारी शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार के लिए उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना की जाएगी। साथ ही, नए और उभरते क्षेत्रों में सामाजिक उद्यम इनक्यूबेटर (SEI) स्थापित किए जाएंगे, जो ग्रामीण और सामुदायिक स्तर पर उद्यमशीलता को बढ़ावा देंगे।
सहकारी रोजगार के लिए डिजिटल एक्सचेंज
नीति में राष्ट्रीय डिजिटल सहकारी रोजगार एक्सचेंज की स्थापना का सुझाव दिया गया है, जो योग्य उम्मीदवारों और सहकारी संस्थाओं के बीच सीधा और पारदर्शी संपर्क सुनिश्चित करेगा। साथ ही, एक राष्ट्रीय शिक्षक और प्रशिक्षक डेटाबेस भी तैयार किया जाएगा, जिससे नियुक्ति की प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित हो सकेगी।
नीति में स्थानीय भाषाओं में गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक सामग्री तैयार करने, ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल और वित्तीय साक्षरता को बढ़ावा देने, और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया गया है। इसके अलावा, रेफ्रिजरेशन, एक्वाकल्चर, फार्म प्रबंधन जैसे बाजार-उन्मुख कौशलों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों की शुरुआत की योजना है।
शैक्षणिक शोध और फैलोशिप
सहकारी अर्थव्यवस्था, नवाचार और शासन सुधार जैसे क्षेत्रों में डॉक्टोरल और पोस्ट-डॉक्टोरल फैलोशिप शुरू करने की योजना भी प्रस्तावित की गई है। इसका उद्देश्य सहकारी मॉडल पर आधारित अकादमिक शोध को बढ़ावा देना है। प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शोधार्थियों को सहकारी तंत्र के प्रमुख पहलुओं पर गहन अनुसंधान के लिए प्रेरित किया जाएगा।
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 सहकारी आंदोलन को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह नीति सहकारिता को ग्रामीण भारत की आर्थिक रीढ़ के रूप में सशक्त बनाने के साथ-साथ युवाओं, महिलाओं और उद्यमियों को एक समावेशी और आत्मनिर्भर विकास मॉडल से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त करती है।