स्वतंत्रता शताब्दी तक आदर्श कोऑपरेटिव स्टेट बनाने पर जोर, सहकारिता मंत्रियों के साथ हुआ मंथन
अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष - 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित इस बैठक में देश भर के सहकारिता मंत्रियों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सहकारिता विभागों के सचिवों ने भाग लिया।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को नई दिल्ली में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहकारिता मंत्रियों के साथ सहकारिता क्षेत्र की प्रगति और विकास पर "मंथन बैठक” की अध्यक्षता की। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष - 2025 के उपलक्ष्य में आयोजित इस बैठक में देश भर के सहकारिता मंत्रियों, अतिरिक्त मुख्य सचिवों, प्रधान सचिवों और सहकारिता विभागों के सचिवों ने भाग लिया। बैठक में सहकारिता से जुड़ी योजनाओं की समीक्षा और उपलब्धियों का आंकलन किया गया।
अपने संबोधन में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश के हर व्यक्ति के लिए रोजगार के सृजन के लिए सहकारिता के सिवा कोई अन्य विकल्प नहीं है। इसीलिए 4 साल पहले सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई। हमें देश के करोड़ों छोटे किसानों और ग्रामीणों के कल्याण के लिए सहकारिता को पुनर्जीवित करना ही होगा, क्योंकि इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि अगले 5 साल में देश में एक भी गांव ऐसा न रहे, जहां कोई कोऑपरेटिव न हो। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि हर राज्य की कम से कम एक सहकारी प्रशिक्षण संस्था, त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े और राज्य के कोऑपरेटिव सेक्टर की ट्रेनिंग की व्यवस्था त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी के माध्यम से ही हो।
शाह ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति की घोषणा करेगी, जो 2025 से 2045 तक, यानी लगभग भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी तक प्रभावी रहेगी। राष्ट्रीय नीति के तहत हर राज्य स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी सहकारिता नीति बनाए और विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित हों। तभी हम स्वतंत्रता की शताब्दी तक एक आदर्श सहकारी राज्य बन पाएंगे। राज्यों को 31 जनवरी 2026 तक अपनी सहकारिता नीति घोषित करने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तहत प्रत्येक राज्य की सहकारिता नीति उस राज्य की सहकारिता स्थितियों के अनुसार बनाई जाएगी तथा विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि तभी हम आजादी की शताब्दी तक आदर्श सहकारी राज्य बन पाएंगे। श्री शाह ने कहा कि
उन्होंने कहा कि पूरे देश में सहकारिता के क्षेत्र में अनुशासन, नवाचार और पारदर्शिता लाने का काम मॉडल एक्ट से होगा। देश में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) की स्थापना के संबंध में वित्तीय वर्ष 2025-26 का लक्ष्य अगले वर्ष फरवरी तक ही पूरा कर लिया जाना चाहिए, तभी महत्वाकांक्षी लक्ष्य को समय पर पूरा कर सकेंगे।
तीन नवगठित राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी समितियों - राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL), राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL) और भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) के कामकाज का समर्थन करने में राज्यों की भूमिका पर भी बैठक में चर्चा की गई। साथ ही सस्टेनेबल और सर्कुलर डेयरी अर्थव्यवस्था बनाने के उद्देश्य से श्वेत क्रांति 2.0 पहल पर विचार-विमर्श किया गया। आत्मनिर्भर भारत के तहत दालों और मक्का के लिए समर्थन मूल्य पर खरीद से संबंधित नीतिगत मामलों पर भी चर्चा हुई।
अमित शाह ने कहा कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंक और क्रेडिट सोसायटी पर हमें विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। कोऑपरेटिव बैंक को हम बैंकिंग एक्ट के तहत ले आए हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी इनकी कई समस्याएं दूर की हैं। उन्होंने कहा कि बाकी बची समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं, जब पारदर्शिता के साथ बैंक का संचालन और कर्मचारियों की भर्ती करें।
केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए कहा कि सभी राज्यों के सहकारिता मंत्री अपने-अपने राज्यों में कृषि मंत्रियों के साथ समन्वय स्थापित कर प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें। उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए ‘सहकारिताओं के बीच सहयोग’ (Cooperation Amongst Cooperatives) पर जोर दिया। बैठक में सहकारिता मंत्रालय द्वारा की गई पहलों के व्यापक मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे राज्यों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं, नीति सुझावों और कार्यान्वयन रणनीतियों के सार्थक आदान-प्रदान हो सके।
सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के कार्यान्वयन पर भी बैठक के दौरान विस्तृत चर्चा हुई। बैठक में भाग ले रहे प्रतिनिधियों ने सहकार से समृद्धि के दृष्टिकोण के तहत "अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025" में अपनी योजनाओं और योगदान को भी सामने रखा।