वैश्विक अनाज ढुलाई दरों में कमी से निर्यातकों को राहत, लेकिन भूराजनीतिक तनाव के कारण अनिश्चितता बरकरार
वर्ष 2025 के दौरान विश्व व्यापार में अनाज के लिए ढुलाई दरें कम हैं, जिससे निर्यातकों को राहत मिल रही है। अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और चीन द्वारा ब्राज़ील की ओर रुख करने से अमेरिका को झटका लगा है। दूसरी तरफ, टैरिफ विराम अस्थायी है और भूराजनीतिक, जलवायु और व्यापारिक अनिश्चितताओं ने शिपिंग बाजार को अस्थिर बनाए रखा है।

अनाज जैसे कृषि उत्पादों के लिए वैश्विक शिपिंग बाजार विरोधाभासी स्थिति का सामना कर रहा है। एक ओर जहां निर्यातकों को रिकॉर्ड स्तर पर सस्ते मालभाड़े का लाभ मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर व्यापारिक तनाव, भूराजनीतिक अनिश्चितताएं और बदलते व्यापारिक संबंध इस लाभ को खतरे में डाल रहे हैं।
साल की शुरुआत में भाड़े की दरों में मामूली वृद्धि हुई, लेकिन ये अब भी पिछले साल की तुलना में काफी कम हैं। इंटरनेशनल ग्रेन्स काउंसिल (IGC) के अनुसार, मई 2025 के अंत में ग्रेन्स एंड ऑयलसीड्स फ्रेट इंडेक्स (GOFI) 131 पर था, जो पिछले साल की तुलना में 15% कम है और जुलाई 2024 के उच्चतम स्तर 163 से काफी नीचे है।
यह गिरावट अनाज निर्यातकों के लिए राहत भरी है। पनमैक्स और सुप्रामैक्स जैसे जहाजों की भरमार ने भी मालभाड़ा दरों को नीचे ला दिया है। पनमैक्स जहाज आमतौर पर अमेरिका से एशिया तक लंबे मार्गों पर अनाज ढोने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी शिपिंग एसोसिएशनों में से एक, बिम्को (BIMCO) का कहना है कि 2025 के दौरान ये दरें नरम बनी रहेंगी।
वर्ल्ड ग्रेन पत्रिका के अनुसार, अमेरिका के निर्यातकों के लिए यह राहत अस्थायी हो सकती है। अमेरिका-चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक तनाव के कारण निर्यातकों को अचानक बदलती टैरिफ नीतियों से खतरा बना रहता है। मई 2025 में 90 दिनों के टैरिफ विराम की घोषणा के बाद कुछ राहत मिली, लेकिन यदि यह लंबे समय तक नहीं चला, तो इसका असर अल्पकालिक ही रहेगा।
इस बीच, चीन अपनी खाद्यान्न आत्मनिर्भरता नीति को तेजी से लागू कर रहा है, जिसके चलते उसने 2024 में अमेरिका से मक्का आयात में लगभग 50% की कटौती की। अमेरिका कभी चीन को प्रमुख मक्का आपूर्तिकर्ता था, अब ब्राज़ील से पिछड़ रहा है। अमेरिका की वैश्विक अनाज निर्यात हिस्सेदारी 2024 के 22% से गिरकर 2025 में 12% तक जा सकती है।
सोयाबीन के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। टैरिफ की आशंका में 2025 की पहली तिमाही में चीन ने अमेरिका से आयात बढ़ा दिया, लेकिन दूसरी तिमाही में यह पूरी तरह बंद हो गया। ब्राज़ील ने इस अंतर को भरा और 2025 के विपणन वर्ष में वह चीन को 10.7 करोड़ टन सोयाबीन का निर्यात कर सकता है। जहां तक माल ढुलाई मार्गों की बात है, चीन से अमेरिका और ब्राज़ील दोनों की दूरी लगभग समान है, लेकिन ब्राज़ील की कम कीमत और कम राजनीतिक जोखिम ने उसे लाभ पहुंचाया है।
जहाजों की अत्यधिक आपूर्ति के कारण भी ढुलाई दरें कम हुई हैं। 2025 में पनमैक्स जहाजों की आपूर्ति 2.8% बढ़ेगी जबकि मांग केवल 3.5% बढ़ने की संभावना है। सुप्रामैक्स जहाजों के मामले में भी यही स्थिति है।
जहाजों की अधिक आपूर्ति का अभी तक ज्यादा असर नहीं दिख रहा है, क्योंकि रेड सी और स्वेज नहर क्षेत्र में हूती विद्रोहियों के हमलों के कारण जहाज दक्षिण अफ्रीका के निचले हिस्से, उत्तमाशा अंतरीप होकर गुजर रहे हैं। लेकिन अगर स्वेज नहर से आवागमन सामान्य होने पर शिपिंग बाजार में जहाजों की अतिरिक्त आपूर्ति होने लगेगी। स्वेज मार्ग पूरी तरह से चालू होने पर शिपिंग मांग में 2% की गिरावट आ सकती है।
अमेरिका ने हाल ही में चीन निर्मित जहाजों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की योजना बनाई थी, जिससे कुछ शिपिंग कंपनियों ने अमेरिकी बंदरगाहों पर आना बंद कर दिया। हालांकि, बाद में नीति में छूट दी गई और बल्क कार्गो जहाजों को इसके दायरे से बाहर कर दिया गया।
इस साल अनाज की वैश्विक मांग भी कमजोर रही है। IGC के अनुसार, 2024-25 में वैश्विक गेहूं व्यापार में 10% की गिरावट होगी और यह चार वर्षों के सबसे निचला स्तर पर होगा। इसका प्रमुख कारण है कि चीन, तुर्की और इंडोनेशिया जैसे बड़े आयातक देशों की अपनी फसल भी अच्छी हुई है। मक्का की मांग अफ्रीका से बढ़ी है, जिससे थोड़ा संतुलन बना है। सोयाबीन व्यापार में 1% की मामूली वृद्धि अनुमानित है।