जी-20 सफल बनाने के लिए किसान हितों की अनदेखीः संयुक्त किसान मोर्चा (एनपी)
संयुक्त किसान मोर्चा- एनपी (गैर राजनीतिक) का कहना है कि उन्होंने 18 अगस्त को प्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री को एक पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका से आयातित कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क घटाने के बजाए इसे बढ़ाया जाए। मोर्चा का कहना है कि जी20 सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सरकार ने किसानों के हितों को दरकिनार कर दिया है।
संयुक्त किसान मोर्चा-एनपी (गैर राजनैतिक) का कहना है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय बातचीत में दोनों देश विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपने विवादों को खत्म करने पर राजी हुए। इस सहमति के अनुसार भारत, अमेरिका से आयात किए जाने वाले कई प्रोडक्ट- जिनमें चना, मसूर, बादाम, अखरोट, सेब, फ्रोजन चिकन, फ्रोजन टर्की, फ्रोजन डक, ताजी ब्लूबेरी और क्रैनबेरी, फ्रोजन ब्लूबेरी और क्रैनबेरी, सूखी ब्लूबेरी और क्रैनबेरी तथा प्रोसेस्ड ब्लूबेरी और क्रैनबेरी पर आयात शुल्क कम करेगा। मोर्चा का कहना है कि उसने 18 अगस्त को इस सिलसिले में प्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री को एक पत्र भेजा था, जिसमें कहा गया है कि आयात शुल्क घटाने के बजाए इसे बढ़ाया जाए। लेकिन जी20 सम्मेलन को सफल बनाने के लिए सरकार ने किसानों के हितों को दरकिनार कर दिया है। मोर्चा द्वारा जारी एक बयान में यह बातें कही गई हैं।
अगस्त 2017 में अमेरिकी सरकार ने भारत से आयात पर टैक्स लगाना शुरू किया था। उससे पहले 4 मार्च 2017 को उसने भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ़ प्रेफरेंस (जीएसपी) से हटा दिया। इसमें शामिल होने के कारण भारत से अमेरिका को 3000 से अधिक वस्तुओं का निर्यात शुल्क मुक्त होता था। अमेरिका के उसे कदम के जवाब में भारत ने वहां से आयात होने वाले कई कृषि जिंसों पर आयात शुल्क बढ़ा दिया। इस साल 15 जून को भारत ने घोषणा की, कि वह अमेरिका से आयात होने वाले सेब, मसूर, बादाम और अखरोट समेत 26 प्रोडक्ट पर 20% टैरिफ लगाएगा। अब भारत सरकार इस टैरिफ को कम करने जा रही है जबकि इसके बदले भारत को कोई ट्रेड बेनिफिट नहीं मिल रहा है।
सरकार ने 19 जुलाई 2023 को अमेरिका से आयात होने वाले सेब पर शुल्क पहले ही 70% से घटाकर 50% कर दिया। अमेरिका में किसानों को अधिक सब्सिडी मिलने के कारण वहां का सेब तुलनात्मक रूप से सस्ता पड़ता है। आंकड़े बताते हैं कि सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने के बाद अमेरिका से इसका आयात कम हो गया था और इसका फायदा भारतीय किसानों को मिला। वर्ष 2018 में जनवरी से 15 जून तक अमेरिका ने 78 लाख बॉक्स (एक बॉक्स 40 पाउंड का) सेब भारत भेजे थे। इस पर आयात शुल्क 70% किए जाने के बाद 2019 में जनवरी से 15 जून तक 26 लाख बॉक्स सेब का आयात हुआ जो एक साल पहले की तुलना में 66.8 प्रतिशत कम है। इससे साफ पता चलता है कि जुलाई 2023 में आयात शुल्क घटाकर 50% करने का भारतीय सेब उत्पादकों पर कितना गंभीर असर पड़ेगा।
अमेरिका बादाम का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। दुनिया का 70% बादाम उत्पादन और 80% निर्यात अकेले अमेरिका करता है। वर्ष 2017 में अमेरिका से भारत को सबसे अधिक कृषि उपज निर्यात बादाम का ही हुआ था। उस वर्ष 65.7 करोड़ डॉलर का बादाम अमेरिका ने भारत को निर्यात किया। दूसरी ओर भारत अमेरिका का सबसे बड़ा बादाम आयातक है। हाल के वर्षों में यह अखरोट का भी सबसे बड़ा उपभोक्ता बनकर उभरा है। आयात शुल्क बढ़ाए जाने से पहले 1 अगस्त 2016 से 31 मई 2017 तक अमेरिका के कैलिफोर्निया से भारत को 20.18 करोड़ पाउंड बादाम निर्यात किया गया जो एक साल पहले की तुलना में 12% अधिक था। यह आंकड़े कैलिफोर्निया अलमंड बोर्ड के हैं। टैरिफ बढ़ाने के बाद इसमें लगभग 70% कमी आ गई।
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि अगर भारत सेब, बादाम और अखरोट का आयात बंद कर दे तो जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के किसानों को बहुत फायदा होगा। मोर्चा के अनुसार अमेरिका से आयत को नियंत्रित कर हम किसानों की आमदनी बढ़ा सकते हैं। अभी इन पर्वतीय राज्यों के किसान आमदनी के लिए लगभग पूरी तरह पर्यटन पर निर्भर हैं।

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