जन औषधि की तर्ज पर पशु औषधि योजना शुरू होगी, मिली कैबिनेट की मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत जन औषधि की तर्ज पर पशु औषधि योजना शुरू की जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) में संशोधन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत जन औषधि की तर्ज पर पशु औषधि योजना शुरू की जाएगी। इसके लिए 75 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान किया गया है।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि पशु औषधि जन औषधि योजना के समान होगी। इसके तहत अच्छी गुणवत्ता की जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। वैष्णव ने कहा कि पशुओं की देखभाल के पारंपरिक ज्ञान पर भी ध्यान दिया जाएगा।
पशुओं को चार प्रमुख बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को घर-घर जाकर सहायता दी जाएगी। इसके लिए मोबाइल वेटनरी वैन की सुविधा को बढ़ाया जाएगा। खासतौर पर खुरपका-मुंहपका रोग (FMD) और ब्रुसेलोसिस की रोकथाम के लिए टीकाकरण केंद्रित अभियान चलाए जाएंगे।
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि टीकाकरण अभियान से पशुधन स्वास्थ्य में सुधार आया है। देश के 9 राज्य एफएमडी मुक्त क्षेत्र घोषित होने के लिए तैयार हैं। इनमें पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और महाराष्ट्र राज्य शामिल हैं।
क्या है योजना
कैबिनेट ने दो वर्षों (2024-25 और 2025-26) के लिए 3,880 करोड़ रुपये के पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) को मंजूरी दी है। पशु औषधि इस योजना में जोड़ा गया नया घटक है। पशु औषधि योजना के तहत अच्छी गुणवतता की सस्ती जेनेरिक पशु चिकित्सा दवाओं की बिक्री को बढ़ावा दिया जाएगा। पशु औषधि को पीएम किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालकों तक पहुंचाया जाएगा।
पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) के तीन घटक हैं - राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी), पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (एलएच एंड डीसी) और पशु औषधि। पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम टीकाकरण के माध्यम से खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रुमिनेंट्स (पीपीआर), सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (सीएसएफ), लम्पी स्किन डिजीज आदि जैसी बीमारियों की रोकथाम पर केंद्रित है। मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (ईएसवीएचडी-एमवीयू) के माध्यम से पशुओं के इलाज की डोर-स्टेप डिलीवरी को भी बढ़ावा दिया जाएगा।

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