दालों की बुवाई 11 लाख हेक्टेयर पिछड़ी, धान का रकबा 9 लाख हेक्टेयर बढ़ा

दलहन फसलों का कुल बुवाई रकबा 10.98 लाख हेक्टेयर घटकर 106.88 लाख हेक्टेयर रहा है। पिछले साल इसी अवधि में 117.87 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई थी। सामान्य तौर पर देश में खरीफ सीजन के दौरान 139.75 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई होती है। अरहर की बुवाई का रकबा सामान्य (46.29 लाख हेक्टेयर) से करीब 9 लाख हेक्टेयर और पिछले साल के मुकाबले 3.20 लाख हेक्टेयर कम रहा है। पिछले साल इस समय तक 40.58 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई थी जो इस साल घटकर 37.38 लाख हेक्टेयर कम हो गई है।

दालों की बुवाई 11 लाख हेक्टेयर पिछड़ी, धान का रकबा 9 लाख हेक्टेयर बढ़ा
बुवाई घटने से उत्पादन पर पड़ेगा असर।

अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई पिछड़ने से दलहन फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 11 लाख हेक्टेयर घट गया है। बुवाई घटने का असर उत्पादन पर पड़ेगा जिससे आने वाले महीनों में दालों की कीमतों में वृद्धि से इन्कार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, धान की बुवाई का रकबा 9 लाख हेक्टेयर से ज्यादा बढ़ गया है। जबकि खरीफ सीजन की फसलों का कुल बुवाई रकबा 4 अगस्त तक पिछले साल के 911.68 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 915.46 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान मंत्रालय की ओर से जारी 4 अगस्त, 2023 तक के बुवाई आंकड़ों के मुताबिक, दलहन फसलों का कुल बुवाई रकबा 10.98 लाख हेक्टेयर घटकर 106.88 लाख हेक्टेयर रहा है। पिछले साल इसी अवधि में 117.87 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलों की बुवाई हुई थी। सामान्य तौर पर देश में खरीफ सीजन के दौरान 139.75 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई होती है। अरहर की बुवाई का रकबा सामान्य (46.29 लाख हेक्टेयर) से करीब 9 लाख हेक्टेयर और पिछले साल के मुकाबले 3.20 लाख हेक्टेयर कम रहा है। पिछले साल इस समय तक 40.58 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुवाई हुई थी जो इस साल घटकर 37.38 लाख हेक्टेयर कम हो गई है। पिछले साल भी अरहर का रकबा सामान्य से काफी कम रहा था जिसकी वजह से उत्पादन कम हुआ और इसकी कीमतों में काफी तेजी आई। कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए सरकार को अरहर का आयात बढ़ाने के साथ-साथ इस पर स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला करना पड़ा। मौजूदा समय में अरहर दाल की खुदरा कीमत 150-170 रुपये प्रति किलो चल रही है।

इसी तरह, उड़द की बुवाई का रकबा 4.48 लाख हेक्टेयर घटकर 28.01 लाख हेक्टेयर रह गया है। समीक्षाधीन अवधि में पिछले साल 32.49 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुवाई हुई थी। सामान्य तौर पर 39.22 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुवाई होती रही है। मूंग की बुवाई का रकबा भी 2.58 लाख हेक्टेयर घट गया है और यह 28.89 लाख हेक्टेयर रहा है। पिछले साल 31.47 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। सामान्य तौर पर 36.56 लाख हेक्टेयर में मूंग बोई जाती है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, धान की बुवाई का रकबा 9.27 लाख हेक्टेयर बढ़कर 283 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो पिछले साल इस समय तक 273.73 लाख हेक्टेयर रहा था। सामान्य तौर पर खरीफ के धान की बुवाई 399.45 लाख हेक्टेयर में होती है। इसी तरह, तिलहन फसलों की बुवाई का कुल रकबा 4.47 हेक्टेयर बढ़कर 179.56 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, खरीफ के सूरजमुखी की बुवाई 1.17 लाख हेक्टेयर और मूंगफली की 11 हजार हेक्टेयर कम रही है। जबकि सोयाबीन की बुवाई 4.76 लाख हेक्टेयर बढ़ी है।

नगदी फसलों में गन्ने की बुवाई का रकबा 1.39 लाख हेक्टेयर बढ़कर 56.06 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं कपास की बुवाई रकबे में 1.73 लाख हेक्टेयर की कमी आई है और यह पिछले साल के 120.94 लाख हेक्टेयर की तुलना में 119.21 लाख हेक्टेयर रह गया है। जूट की बुवाई का रकबा 6.55 लाख हेक्टेयर रहा है जो पिछले साल 6.94 लाख हेक्टेयर था।

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