गेहूं खरीद 300 लाख टन तक पहुंची, चार साल में सर्वाधिक खरीद, फिर भी स्टॉक लिमिट लागू

देश में रिकॉर्ड 11.75 करोड़ टन गेहूं उत्पादन और 13 फीसदी अधिक सरकारी खरीद के बावजूद, गेहूं पर स्टॉक लिमिट और निर्यात पर रोक जैसी पाबंदियां लागू हैं, जिससे किसानों को बेहतर कीमतों का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

गेहूं खरीद 300 लाख टन तक पहुंची, चार साल में सर्वाधिक खरीद, फिर भी स्टॉक लिमिट लागू

रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के दौरान देश में गेहूं की सरकारी खरीद 300 लाख टन तक पहुंच गई है जो पिछले चार वर्षों की सर्वाधिक खरीद है। लेकिन देश में रिकॉर्ड 11.75 करोड़ गेहूं उत्पादन के अनुमानों और 13 फीसदी अधिक सरकारी खरीद के बावजूद गेहूं पर स्टॉक लिमिट और निर्यात पर रोक जैसी पाबंदियां लागू हैं। महंगाई रोकने के इन उपायों के कारण किसानों को गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। 

हालांकि, अधिकांश राज्यों में गेहूं का भाव 2425 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास चल रहा है। लेकिन पाबंदियां न होती तो किसानों को और बेहतर दाम मिल सकता था। खुदरा बाजार में गेहूं का दाम 28-30 रुपये किलो है। 

इस साल गेहूं की सबसे ज्यादा 119.3 लाख टन खरीद पंजाब से हुई है जो कुल खरीद का करीब 40 फीसदी है। इस तरह देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में पंजाब अपनी अहम भूमिका बनाए हुए है। गेहूं खरीद पर एमएसपी के अलावा 175 रुपये का बोनस देने वाले मध्य प्रदेश में करीब 78 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि हरियाणा में 72 लाख टन से अधिक गेहूं खरीदा गया है। 

राजस्थान में गेहूं खरीद का 20 लाख टन से ऊपर पहुंचना राज्य के लिए बड़ी उपलब्धि है। राजस्थान सरकार ने गेहूं पर एमएसपी के अलावा 150 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया था, जिससे किसानों का रुझान सरकारी खरीद की तरफ बढ़ाने में मदद मिली।

लेकिन देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में एक बार फिर खरीद अपेक्षा से कम रही। यूपी में अब तक 10.26 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है, जो 30 लाख टन के लक्ष्य से काफी कम है।

वर्ष 2021-22 में गेहूं की रिकॉर्ड 433 लाख टन खरीद हुई थी, लेकिन उत्पादन में गिरावट के चलते 2022-23 में यह घटकर 187 लाख टन रह गई। पिछले तीन वर्षों में बंपर उत्पादन के साथ सरकारी खरीद भी लगातार बढ़ रही है। 

अधिक खरीद के चलते केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक बफर स्टॉक सीमा से काफी अधिक है। वर्तमान में भारतीय खाद्य निगम के पास लगभग 360 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जो कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की 184 लाख टन वार्षिक आवश्यकता से कहीं अधिक है।
इसके बावजूद केंद्र सरकार को गेहूं खरीद सीजन के दौरान ही स्टॉक लिमिट लगानी पड़ी।

मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में सरकार ने गेहूं की खरीद को 30 जून तक बढ़ा दिया था। जिस तरह मई के अंतिम दिनों में ही स्टॉक लिमिट लागू कर दी गई, उसे देखते हुए सरकार का गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का फिलहाल कोई इरादा नहीं दिखता है। ये नीतिगत फैसले देश में बंपर गेहूं उत्पादन के दावों पर भी सवाल खड़े करते हैं।

गेहूं की खरीद करने वाली एक निजी कंपनी के अधिकारी ने रूरल वॉयस को बताया कि सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट लागू करने के चलते थोक व खुदरा व्यापारियों को गेहूं का स्टॉक निर्धारित स्टॉक लिमिट के भीतर लाना पड़ेगा। कई सहकारी संस्थाओं ने भी प्राइवेट ट्रेडर्स के जरिए गेहूं खरीदा है, उन्हें भी तय सीमा के भीतर भंडारण घटाना होगा। इसका सर कीमतों में नरमी के रूप में सामने आ सकता है। यह उन किसानों के लिए नुकसानदेह होगा जिन्होंने बेहतर कीमत की उम्मीद में गेहूं का स्टॉक रखा हुआ है।

मध्य प्रदेश और राजस्थान में बोनस दिए जाने के कारण इन राज्यों सहित अन्य राज्यों में भी किसानों को गेहूं का दाम 2425 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से अधिक दाम मिला है। वहीं उत्तर प्रदेश और पंजाब में निजी कंपनियों ने बड़े पैमाने पर खरीद की। ऐसे में रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद स्टॉक लिमिट लागू करने का फैसला किसानों के लिए प्रतिकूल साबित होगा। 

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