यूपी में औने-पौने भाव पर धान बेचने को मजबूर किसान, मंडियों के बाहर खरीद पर रोक लगाने की मांग

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश की मंडियों से बाहर व्यापरियों एवं चावल मिल द्वारा की जा रही खरीद पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि इनके द्वारा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जा रहा है।

यूपी में औने-पौने भाव पर धान बेचने को मजबूर किसान, मंडियों के बाहर खरीद पर रोक लगाने की मांग

खरीफ फसलों पर मौसम की मार के बाद अब बाजार की मार भी किसानों पर पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी कम, मात्र 1500–1600 रुपये प्रति कुंतल के भाव पर व्यापारियों को धान बेचने को मजबूर हैं।

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मंडियों के बाहर व्यापारियों और चावल मिलों द्वारा की जा रही खरीद पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इन खरीदारों द्वारा किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं दिया जा रहा है। किसानों का धान 1500 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदा जा रहा है। गौरतलब है कि धान का एमएसपी 2389 रुपये प्रति क्विंटल है। 

धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि किसानों को पहले ही फसल में रोग और अधिक बारिश के कारण भारी नुकसान झेलना पड़ा है। राज्य सरकार ने धान खरीद शुरू कर दी है, लेकिन क्रय केंद्रों पर अधिकारी नमी, परिवहन और बारदाने का बहाना बनाकर किसानों को लंबी लाइनों में खड़ा कर रहे हैं। इसके चलते किसान खराब मौसम को देखते हुए मजबूरी में सस्ते दामों पर मंडी के बाहर धान बेच रहे हैं।

मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में मलिक ने बताया कि कुछ मंडियों में किसानों की फसल औने-पौने दामों में खरीदी जा रही है। खासकर तराई क्षेत्र के जनपदों रामपुर, पीलीभीत, बरेली, शाहजहांपुर और बाराबंकी में मंडी या उपमंडी स्थलों के बाहर व्यापारियों व चावल मिलों द्वारा धान की खरीद की जा रही है। ऐसी खरीद में किसानों को उनकी उपज का प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य नहीं मिल पा रहा है, जबकि मंडी अधिनियम लागू करने और नई मंडियों के निर्माण का उद्देश्य ही किसानों को शोषण से बचाना और उन्हें उचित मूल्य दिलाना है।

भाकियू (अ) ने सरकार से अपील की है कि किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए और मंडियों के बाहर व्यापारियों व चावल मिलों की अवैध खरीद पर तत्काल रोक लगाई जाए। धर्मेंद्र मलिक ने सवाल उठाया, “जब हरियाणा और पंजाब में धान की 80% से अधिक खरीद एमएसपी पर होती है, तो उत्तर प्रदेश में यह आंकड़ा मात्र 30% क्यों रहता है? यह खरीद न होने का प्रमाण है।” उन्होंने आरोप लगाया कि धान क्रय केंद्र के निरीक्षक, चावल मिल मालिक और भारतीय खाद्य निगम के अधिकारी मिलकर किसानों के धान की लूट कर रहे हैं।

उन्होंने सरकार से मंडी स्थलों के बाहर व्यापारियों और चावल मिलों द्वारा धान क्रय पर तत्काल रोक लगाने और अब तक हुई खरीद का विवरण एकत्र कर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है। जिससे किसानों को उनकी उपज का उचित व प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य मिल सके।

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