गेहूं खरीद मानकों में केंद्र ने मध्य प्रदेश को दी छूट, बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को गुणवत्ता में मिलेगी राहत

चिट्ठी में कहा गया है कि गेहूं की चमक में अगर 10 फीसदी तक की कमी है तो उसके मूल्य में कोई कटौती न की जाए और एमएसपी पर ही उसकी खरीद की जाए। मध्य प्रदेश के सभी सरकारी खरीद केंद्रों पर इसे लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि बारिश की वजह से गेहूं के दानों में जो दाग आ गया है या गेहूं की रंगत में जो कमी आ गई है उसे भी खरीदने में सरकारी एजेंसियां आनाकानी नहीं करेंगी। इससे किसानों को राहत मिलेगी और उन्हें उनकी फसल की पूरी कीमत मिलेगी।

गेहूं खरीद मानकों में केंद्र ने मध्य प्रदेश को दी छूट, बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को गुणवत्ता में मिलेगी राहत
प्रतीकात्मक फोटो

केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद में छूट दी है। अब किसानों से कम गुणवत्ता वाला गेहूं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही खरीदा जाएगा और गुणवत्ता के आधार पर कीमत में पूरी कटौती नहीं की जाएगी। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने इस संबंध में मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को एक चिट्ठी भेजकर छूट के संबंध में जानकारी दी है। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (स्टोरेज एवं रिसर्च डिवीजन) के डिप्टी कमिश्नर विश्वजीत हलधर की ओर से 31 मार्च को भेजी गई चिट्ठी की कॉपी रूरल वॉयस के पास है।

यह छूट रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में केंद्रीय पूल के लिए खरीदे जाने वाले गेहूं के लिए दी गई है। पिछले दिनों देश के कई राज्यों में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है, खासकर मध्य प्रदेश में नुकसान ज्यादा हुआ है। इसकी वजह से गेहूं की गुणवत्ता प्रभावित हुई है।

मध्य प्रदेश सरकार को भेजी गई केंद्र सरकार की चिट्ठी में कहा गया है कि गेहूं की चमक में अगर 10 फीसदी तक की कमी है तो उसके मूल्य में कोई कटौती न की जाए और एमएसपी पर ही उसकी खरीद की जाए। मध्य प्रदेश के सभी सरकारी खरीद केंद्रों पर इसे लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि बारिश की वजह से गेहूं के दानों में जो दाग आ गया है या गेहूं की रंगत में जो कमी आ गई है उसे भी खरीदने में सरकारी एजेंसियां आनाकानी नहीं करेंगी। इससे किसानों को राहत मिलेगी और उन्हें उनकी फसल की पूरी कीमत मिलेगी।

मगर इस चिट्ठी की जो अगली पंक्ति है वह किसानों के लिए मुश्किल खड़ी करने वाली है। इसमें कहा गया है कि अगर चमक की कमी 10 फीसदी से ज्यादा है तो वैसे गेहूं की कुल कीमत की तीन चौथाई कीमत का भुगतान एमएसपी पर किया जाए। बाकी एक चौथाई कीमत के भुगतान में गेहूं की चमक और गुणवत्ता के आधार पर 10 से 80 फीसदी तक की कटौती की जा सकती है। आसान भाषा में इसे यूं समझा जा सकता है। अगर किसान 10 फीसदी से ज्यादा चमक की कमी वाला 40 क्विंटल गेहूं बेचता है तो उसे 30 क्विंटल गेहूं का भुगतान तो एमएसपी पर किया जाएगा। बाकी 10 क्विंटल गेहूं के भुगतान में गुणवत्ता के आधार पर 10-80 फीसदी तक की कटौती हो सकती है।

मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी कहते हैं कि इस प्रावधान से गड़बड़ी होने की आशंका ज्यादा है। अब यह खरीद केंद्रो के क्वालिटी सुपरवाइजर पर पूरी तरह से निर्भर होगा कि वह कम चमक वाले गेहूं में कितनी कटौती करता है। यह काफी जटिल मामला है और इससे किसानों की परेशानी बढ़ेगी और विवाद भी बढ़ेंगे। यह उन इलाके के किसानों के लिए तो राहत की बात है जहां नुकसान कम हुआ है लेकिन जिन जिलों में ओलावृष्टि हुई है वहां गुणवत्ता ज्यादा प्रभावित हुई है और वहां के किसानों को इस आदेश का नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसकी बजाय सरकार को गेहूं की ग्रेडिंग करने के उपाय करने चाहिए और उसी आधार पर कीमत देनी चाहिए। बाकी नुकसान का मुआवजा भावांतर योजना के जरिये की जानी चाहिए।

चिट्ठी में राज्य सरकार को निर्देश दिया गया है कि गुणवत्ता प्रभावित गेहूं को अलग रखा जाना चाहिए।  भंडारण के लिए मानदंडों में दी गई छूट के तहत खरीदे गए गेहूं के स्टॉक की गुणवत्ता में किसी भी कमी के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 25 मार्च से शुरू हुई थी लेकिन नमी वाले गेहूं की ज्यादा आवक की वजह से तीन दिन बाद 28 मार्च को ही खरीद बंद कर दी गई। अब 1 अप्रैल से दोबारा खरीद शुरू होने वाली है। गेहूं उत्पादन के मामले में मध्य प्रदेश पहले नंबर पर है।                       

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