इंजीनियर्स फेडरेशन का आरोप, केंद्रीय मंत्रालयों में समन्वय न होने से पावर प्लांट में हुआ कोयला संकट

प्राधिकरण की दैनिक कोयले की रिपोर्ट का हवाला देते हुए फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि 173 में से 106 ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का स्टॉक गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। फेडरेशन ने कहा है कि कोयला, रेलवे और विद्युत मंत्रालय के बीच समन्वय ना होने के कारण पूरे देश में बिजली संकट की स्थिति बनी है

इंजीनियर्स फेडरेशन का आरोप, केंद्रीय मंत्रालयों में समन्वय न होने से पावर प्लांट में हुआ कोयला संकट

केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की निगरानी में चलने वाले 173 बिजली संयंत्रों में से 60 फ़ीसदी में कोयले का स्टॉक बहुत कम रह गया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इसे लेकर चिंता जताई है। प्राधिकरण की दैनिक कोयले की रिपोर्ट (27 अप्रैल) का हवाला देते हुए फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा कि 173 में से 106 ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का स्टॉक गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। फेडरेशन ने कहा है कि कोयला, रेलवे और विद्युत मंत्रालय के बीच समन्वय ना होने के कारण पूरे देश में बिजली संकट की स्थिति बनी है।

दुबे ने कहा, "कोयले की कमी से जो बिजली संकट की स्थिति पैदा हुई है उसका मुख्य कारण केंद्र सरकार के मंत्रालयों में समन्वय का अभाव है। अब वे इसका दोष दूसरों के सिर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। दुबे ने आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्रालय इस संकट को कोयला कंपनियों को समय पर भुगतान ना कर पाने की राज्यों की स्थिति से जोड़कर मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।"

इस बीच जिन 150 ताप विद्युत संयंत्रों में घरेलू कोयले का इस्तेमाल होता है उनमें एक हफ्ते के भीतर कम कोयला स्टॉक वाले संयंत्रों की संख्या 81 से बढ़कर 86 हो गई है। निजी क्षेत्र में भी कम कोयला स्टॉक वाले संयंत्र 28 से बढ़कर 32 हो गए हैं। जहां तक आयातित कोयले से चलने वाले थर्मल प्लांट की बात है तो 15 में से कम से कम 12 में स्थिति गंभीर है, क्योंकि आयातित कोयले की कीमत बहुत अधिक बढ़ गई है। फेडरेशन का कहना है कि वे प्लांट अधिक कीमत पर कोयला आयात नहीं करना चाहते हैं। ऐसे संयंत्रों में से 14 निजी क्षेत्र में हैं।

दुबे ने बताया कि 72000 मेगावाट क्षमता के प्लांट ईंधन की कमी के कारण बंद हैं। इनके अलावा 20000 मेगावाट क्षमता वाले गैस आधारित प्लांट भी बंद हैं। ताप विद्युत संयंत्रों के लिए 2.2 करोड़ टन घरेलू कोयले की जरूरत है, जबकि सिर्फ 1.64 करोड़ टन कोयला ही उपलब्ध हो पा रहा है। उत्तर क्षेत्र में 6 सरकारी ताप विद्युत संयंत्रों में से 12 में कोयले की स्थिति गंभीर है। राजस्थान के सात में से छह, उत्तर प्रदेश के चार में से तीन ताप विद्युत संयंत्रों की भी यही स्थिति है।

उत्तर क्षेत्र लोड डिस्पैच सेंटर के आंकड़ों के अनुसार लगभग 1436 लाख यूनिट बिजली की कमी चल रही है। राजस्थान में सबसे अधिक 435 लाख यूनिट बिजली की कमी है। उसके बाद हरियाणा में 337 लाख यूनिट, पंजाब में 306 लाख यूनिट और उत्तर प्रदेश में 295 लाख यूनिट बिजली मांग की तुलना में कम है।

महाराष्ट्र के सरकारी क्षेत्र के सात ताप विद्युत संयंत्रों में से 6 और मध्य प्रदेश के चार में से तीन संयंत्रों में कोयले की भीषण किल्लत चल रही है। आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु के सभी सरकारी ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले का स्टॉक बहुत घट गया है। फेडरेशन के अनुसार एक दर्जन से अधिक राज्य 2 से 12 घंटे तक की बिजली कटौती करने पर मजबूर हैं।

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