एनसीईएल को मिले 7,000 करोड़ के ऑर्डर, सदस्य किसानों को मुनाफे में मिलेगी हिस्सेदारीः अमित शाह

राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) को अब तक 7,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं और 15 हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर को लेकर बातचीत चल रही है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में एनसीईएल का नया लोगो और वेबसाइट लॉन्च करते हुए कहा कि एनसीईएल यह सुनिश्चित करेगी कि निर्यात का लाभ सहकारी समितियों के सदस्य किसानों तक पहुंचे और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा निर्यात लाभ का लगभग 50 फीसदी उनके साथ साझा करेगी।

एनसीईएल को मिले 7,000 करोड़ के ऑर्डर, सदस्य किसानों को मुनाफे में मिलेगी हिस्सेदारीः अमित शाह
राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड का नया लोगो जारी करते केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (बाएं) एवं केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा (दाएं)।

राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) को अब तक 7,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले हैं और 15 हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर को लेकर बातचीत चल रही है। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली में एनसीईएल का नया लोगो और वेबसाइट लॉन्च करते हुए कहा कि एनसीईएल यह सुनिश्चित करेगी कि निर्यात का लाभ सहकारी समितियों के सदस्य किसानों तक पहुंचे और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अलावा निर्यात लाभ का लगभग 50 फीसदी उनके साथ साझा करेगी।

इस मौके पर अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड का एक प्रकार से औपचारिक उद्घाटन हो रहा है। इसकी स्थापना कई उद्देश्यों के साथ बहुत विचार-विमर्श के बाद की गई। इसके पीछे हमारे लक्ष्यों में निर्यात, विशेषकर कृषि निर्यात को बढ़ाना, किसानों को समृद्ध बनाना, फसलों के पैटर्न में बदलाव लाना और 2027 तक देश के 2 करोड़ किसानों को उनकी भूमि को प्राकृतिक घोषित करने में सक्षम बनाना शामिल है। यह मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव सोसायटी प्राकृतिक खेती करने वाले 2 करोड़ से अधिक किसानों के ऑर्गेनिक उत्पादों को एक अच्छी पैकेजिंग, विश्वसनीय ब्रांडिंग और उच्च गुणवत्ता के सर्टिफिकेट के साथ वैश्विक बाजार में बेचेगी। इससे किसानों को उनके ऑर्गेनिक उत्पादों के अभी मिल रहे मूल्य से लगभग डेढ़ या दो गुना मूल्य सीधे प्राप्त होगा और किसानों के लिए समृद्धि का रास्ता खुलेगा।

उन्होंने कहा कि अब तक लगभग 1500 कोऑपरेटिव्स एनसीईएल के सदस्य बन चुके हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में हर तहसील इसके साथ जुड़ कर किसानों की आवाज बनेंगे। अब तक एनसीईएल के पास 7,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर आ चुके हैं और 15,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर्स पर समझौता चल रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले दिनों में इफको, कृभको और अमूल की तरह एनसीईएल भी एक बहुत बड़ा और सफल कोऑपरेटिव वेंचर साबित होगा।

अमित शाह ने कहा कि आज किसान के हाथ निर्यात से हुआ मुनाफा नहीं आता है, लेकिन राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड के माध्यम से निर्यात का कम से कम 50% मुनाफा किसानों के पास सीधे जाएगा। किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की जाएगी और फिर 6 माह की बैलेंसशीट बनने के बाद एमएसपी के अनुसार किए गए भुगतान के अतिरिक्त आने वाले मुनाफे का 50 प्रतिशत सीधा किसान के बैंक अकाउंट में जाएगा। इससे निर्यात योग्य उत्पादन बढ़ाने के प्रति किसानों का उत्साह भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सरकारी निर्यात लिमिटेड सिर्फ मुनाफे की तरफ ध्यान नहीं देगा, बल्कि किसान पर ध्यान देना इसका मुख्य लक्ष्य होगा।

अमित शाह ने कहा कि देश के कुल खाद्य उत्पादन का 30%,चीनी उत्पादन का 30%, दूध उत्पादन का लगभग 17% हिस्सा कोऑपरेटिव्स का है। देश के किसानों को होने वाले कुल फाइनेंस का लगभग 42 प्रतिशत कोऑपरेटिव द्वारा किया जाता है। उन्होंने कहा कि चीनी उत्पादन में सहकारिता का योगदान 30% है लेकिन चीनी के निर्यात में एक प्रतिशत है और दूध उत्पादन में सहकारिता का योगदान 17% है लेकिन दुग्ध उत्पादों के निर्यात में 2% से भी कम है। इसका अर्थ ये है कि सहकारिता क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और उनका दोहन करने के लिए एक जरिया चाहिए था, जो किसान, सहकारी समिति और वैश्विक बाजार के बीच कड़ी बने और राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड उस कड़ी के रूप में काम करेगी।  उन्होंने कहा कि एनसीईएल छोटी समितियों को भी आवश्यक फाइनेंस और उसकी जानकारी उपलब्धता कराएगा, निर्यात की मानसिकता और इसके लिए जरूरी सावधानियों के बारे में जानकारी देगा, निर्यात अनुकूल मैटीरियल के उत्पादन के लिए भी काम करेगा। इसके अलावा ब्रांड के बारे में सजगता, गुणवत्ता के प्रति जागरूकता, जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और उत्पाद के स्टैंडर्डाइजेशन के लिए पैरामीटर तय करने जैसे काम भी नाममात्र शुल्क पर छोटे किसानों के लिए करेगा।

उन्होंने कहा कि एनसीईएल पूरे सहकारिता क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बनेगी और आने वाले दिनों में इसमें खरीद, भंडारण, प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, सर्टिफिकेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे सभी पहलुओं को शामिल करते हुए एक संपूर्ण निर्यात इकोसिस्टम बनाने का काम किया जाएगा।

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