एनसीयूआई का उन्नत भारत अभियान से एमओयू, सहकार से समृद्धि को मिलेगी मजबूती

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) ने अंतर-क्षेत्रीय सहयोग के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के तहत सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और 'सहकार से समृद्धि' के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। एनसीयूआई देश में सहकारी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाला शीर्ष संगठन है।

एनसीयूआई का उन्नत भारत अभियान से एमओयू, सहकार से समृद्धि को मिलेगी मजबूती
यूबीए के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. वी.के. विजय (बाएं), आईसीए-एपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव और एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघाणी (दाएं)।

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) ने अंतर-क्षेत्रीय सहयोग के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के तहत सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और 'सहकार से समृद्धि' के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है। एनसीयूआई देश में सहकारी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाला शीर्ष संगठन है। एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीप संघानी, आईसीए-एपी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव और नेफेड के अध्यक्ष और एनसीयूआई के उपाध्यक्ष डॉ. बिजेंद्र सिंह की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

उन्नत भारत अभियान (यूबीए) भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2014 में शुरू किया गया एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका मिशन उच्च शिक्षण संस्थानों को ग्रामीण भारत के लोगों के साथ मिलकर विकास की चुनौतियों की पहचान करने और टिकाऊ वृद्धि को गति देने के लिए उचित समाधान विकसित करने में सक्षम बनाना है। इसका उद्देश्य उभरते व्यवसायों के लिए ज्ञान और व्यवहारिकता प्रदान कर समाज और समावेशी शैक्षणिक प्रणाली के बीच एक अच्छा संबंध बनाना और ग्रामीण भारत की विकास आवश्यकताओं के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की क्षमताओं को उन्नत करना है।

मौजूदा समय में यूबीए के पास देश भर में 3,600 से अधिक कॉलेजों और 18,000 गांवों का नेटवर्क है। यूबीए के सहयोग से एनसीयूआई किसानों और सहकारी समितियों की प्रमुख चुनौतियों और संबंधित समाधानों की पहचान करने के लिए अनुसंधान और विकास कार्य करेगा। साथ ही समाज के जरूरतमंद वर्गों और यूबीए के तहत अपनाए गए गांवों के बीच उद्यमिता विकास के लिए प्रौद्योगिकी और नवीन प्रक्रियाओं की शक्ति का उपयोग करेगा।

दोनों संगठन किसानों के बीच मोटा अनाज के उत्पादन सहित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों और प्रक्रियाओं को तैयार करेंगे और पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए स्थायी जीवन शैली और प्रकृति के अनुकूल उपायों को बढ़ावा देंगे। साथ ही आमदनी और संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उपयुक्त स्वदेशी उत्पादों, प्रक्रियाओं और कारीगरों के पारंपरिक कौशल की पहचान करेंगे, उन्हें तैयार करेंगे और बढ़ावा देंगे।

एनसीयूआई और यूबीए अपने नेटवर्क में युवाओं और महिलाओं को शामिल करके अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों में नई सहकारी समितियां बनाने के लिए भी मिलकर काम करेंगे। कैंपस और अन्य प्रकार की सहकारी समितियों के गठन के लिए यूबीए छात्रों के बीच सहकारी पहचान को बढ़ावा देगा। इस करार से कारीगरों और सहकारी समितियों के हित में कम लागत और कुशल उत्पादन और प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों की पहचान करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एनसीयूआई को यूबीए के तकनीकी संसाधन से लाभ होगा। ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में सफल तकनीकी नवाचारों के अनुसंधान और प्रदर्शन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने और राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर की कार्यशालाएं भी आयोजित करने का प्रयास किया जाएगा।

एमओयू पर हस्ताक्षर करने के बाद यूबीए के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. वी.के. विजय ने एनसीयूआई के अध्यक्ष को यूबीए की हालिया पहल और उपलब्धियों के बारे में बताया और एनसीयूआई की ओर से निकट भविष्य में किए जाने वाले उद्यमिता विकास और सहयोग केंद्र के सहयोग से किए जाने वाले कुछ प्रमुख हस्तक्षेपों पर भी चर्चा की।

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