कृषि उत्पादों को अमेरिका में रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट का भारत को सीमित लाभ

अमेरिका ने मसालों, चाय, कॉफी, फलों और उर्वरकों सहित कई कृषि उत्पादों को अपनी रेसिप्रोकल टैरिफ व्यवस्था से छूट दे दी है, जिससे भारत को सीमित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त हुआ है। भारत वर्तमान में इन श्रेणियों में अमेरिका की 50.6 अरब डॉलर की आयात मांग में से केवल 54.8 करोड़ डॉलर की आपूर्ति करता है। इस बदलाव से भारत के मसाला और विशिष्ट बागवानी निर्यात में थोड़ी वृद्धि हो सकती है, लेकिन इसका बड़ा लाभ लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और आसियान आपूर्तिकर्ताओं को होगा।

कृषि उत्पादों को अमेरिका में रेसिप्रोकल टैरिफ से छूट का भारत को सीमित लाभ

अमेरिका ने इस वित्त वर्ष की शुरुआत में लागू किए गए रेसिप्रोकल टैरिफ से कुछ कृषि उत्पादों को हटा दिया है। इसका अर्थ है कि अब इन वस्तुओं पर केवल मानक MFN शुल्क ही लागू होंगे। 12 नवंबर को जारी व्हाइट हाउस के एक कार्यकारी आदेश में कॉफी, चाय, उष्णकटिबंधीय फल, फलों के रस, कोको, मसाले, केले, संतरे, टमाटर, गोमांस और कुछ उर्वरकों को 2 अप्रैल की पारस्परिक शुल्क व्यवस्था से बाहर रखा गया है। ये छूट 13 नवंबर से प्रभावी हो गई हैं। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि भारतीय निर्यात 25% रेसिप्रोकल टैरिफ से मुक्त होंगे या पूरे 50% शुल्क से।

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट कहती है कि इन वस्तुओं का या तो अमेरिका में घरेलू स्तर पर पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं होता है या ये ऐसी जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं जिन्हें अमेरिका दोहरा नहीं सकता।

आदेश में चिन्हित टैरिफ-मुक्त उत्पादों का अमेरिका 50.6 अरब डॉलर का आयात करता है। भारत इसमें से केवल 54.8 करोड़ डॉलर की आपूर्ति करता है। अर्थात टैरिफ में छूट का भारत को सीमित लाभ ही मिल सकेगा।

इन वस्तुओं की अमेरिका में मांग मुख्यतः विभिन्न श्रेणियों में केंद्रित है। 2024 में अमेरिका के वैश्विक आयात इस प्रकार हैं: कॉफी (9.0 अरब डॉलर), उष्णकटिबंधीय फल और एवोकाडो (6.1 अरब डॉलर), ताजे फल (6.3 अरब डॉलर), टमाटर (3.8 अरब डॉलर), केले (3.2 अरब डॉलर) और फलों के रस (4.3 अरब डॉलर)।

भारत का अमेरिका को निर्यात कुछ उच्च-मूल्य वाले मसालों और विशिष्ट उत्पादों तक सीमित है: काली मिर्च और शिमला मिर्च से बनी चीजें (18.1 करोड़ डॉलर), अदरक-हल्दी-करी मसाले (8.4 अरब डॉलर), सौंफ और जीरा श्रेणियां (8.5 अरब डॉलर), इलायची और जायफल (1.5 अरब डॉलर), चाय (6.8 अरब डॉलर) और नारियल, कोको बीन्स, दालचीनी, लौंग और फलों के उत्पादों की मामूली मात्रा। सबसे बड़ी छूट प्राप्त कई श्रेणियों - टमाटर, खट्टे फल, खरबूजे, केले, अधिकांश ताजे फल और फलों के रस में भारत की लगभग कोई उपस्थिति नहीं है। 

अमेरिकी शुल्क नीति में बदलाव मसालों और विशिष्ट बागवानी के क्षेत्र में भारत की प्रतिस्पर्धी स्थिति को थोड़ा मजबूत कर सकता है, लेकिन व्यापक लाभ मुख्य रूप से प्रमुख लैटिन अमेरिकी, अफ्रीकी और आसियान कृषि निर्यातकों को ही मिलेगा। भारत को कृषि निर्यात का व्यापक लाभ उठाने के लिए स्केल का विस्तार और कोल्ड-चेन क्षमता के निर्माण के साथ कृषि निर्यात बास्केट में विविधता लाने की जरूरत है।

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