पहली तिमाही में कृषि निर्यात 5.8 फीसदी बढ़ा लेकिन क्या ट्रम्प टैरिफ के चलते यह तेजी बरकार रहेगी
लू वित्त वर्ष (2025-26) की पहली तिमाही में भारत का कृषि निर्यात 5.8 फीसदी बढ़ा है। वहीं देश के कुल निर्यात की पहली तिमाही में वृद्धि दर मात्र 1.7 फीसदी रही है और वह भी तक पिछले का निर्यात लगभग न के बराबर ही बढ़ा था और 2024-25 में देश का कुल निर्यात इसके पहले साल के मुकाबले केवल 0.1 फीसदी बढ़कर 437.4 अरब डॉलर रहा था जो उसके पहले साल 437.1 अरब डॉलर था लेकिन इसके उलट कृषि और सहयोगी क्षेत्र का निर्यात पिछले साल के 12.20 अरब डॉलर से 5.8 फीसदी बढ़कर इस साल अप्रैल से जून 2025 के दौरान 12.92 डॉलर पर पहुंच गया

पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश के किसानों के हितों पर वह आंच नहीं आने देंगे, भले ही उनको इसके लिए व्यक्तिगत कीमत चुकानी पड़े। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प द्वारा अमेरिका को भारतीय निर्यात पर 50 फीसदी सीमा शुल्क (टैरिफ) लगाने के फैसले के बाद प्रधानमंत्री ने यह बात कही। इससे संकेत मिलता है कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समंझौते के अटकने की सबसे बड़ी वजह कृषि क्षेत्र है।
इस बीच निर्यात के मोर्चे पर सकारात्मक खबर भी कृषि निर्यात पर ही आ रही है। चालू वित्त वर्ष (2025-26) की पहली तिमाही में भारत का कृषि निर्यात 5.8 फीसदी बढ़ा है। वहीं देश के कुल निर्यात की पहली तिमाही में वृद्धि दर मात्र 1.7 फीसदी रही है और वह भी तक पिछले का निर्यात लगभग न के बराबर ही बढ़ा था और 2024-25 में देश का कुल निर्यात इसके पहले साल के मुकाबले केवल 0.1 फीसदी बढ़कर 437.4 अरब डॉलर रहा था जो उसके पहले साल 437.1 अरब डॉलर था लेकिन इसके उलट कृषि और सहयोगी क्षेत्र का निर्यात पिछले साल के 12.20 अरब डॉलर से 5.8 फीसदी बढ़कर इस साल अप्रैल से जून 2025 के दौरान 12.92 डॉलर पर पहुंच गया। वहीं देश का कुल निर्यात इस साल पहली तिमाही में 112 अरब डॉलर रहा है जो पिछले सला के 110.1 अरब डॉलर से केवल 1.7 फीसदी अधिक है। ऐसे में भले ही वाणिज्य मंत्री कह रहे हैं कि हमारा निर्यात ट्रैक पर है लेकिन ट्रम्प टैरिफ के बाद यह पिछले साल के स्तर को पार कर पाएगा अभी कहना मुश्किल है।
वहीं पिछले साल (2024-25) में कृषि निर्यात 51.9 अरब डॉलर रहा था जो 2023-244 के 48.8 अरब डॉलर के निर्यात से 6.4 फीसदी अधिक था। यह आंकड़े एक ट्रेंड जरूर बना रहे हैं कि ऊंची वृद्धि दर के बावजूद कृषि निर्यात में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5.8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई वहीं कुल निर्यात में लगभग स्थिरता के बावजूद इस साल की पहली तिमाही में केवल 1.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि अभी तक कृषि निर्यात का स्तर अभी तक के 53.2 अरब डॉलर के 2022-23 के उच्चतम स्तर तक नहीं पहुंचा है लेकिन इस साल अगर स्थिति सामान्य रहती है तो यह पुराने के रिकॉर्ड स्तर को पार कर सकता है और इसकी वजह देश में बेहतर कृषि उत्पादन के चलते निर्यात के लिए अधिक उत्पादन का उपलब्ध होना है। लगातार दो सामान्य मानसून के चलते यह स्थिति बनी है। लेकिन ट्रम्प द्वारा 50 फीसदी टैरिफ लगाने का असर कृषि निर्यात पर पड़ सकता है।
भारत के कृषि निर्यात की वृद्धि दर पिछले कृछ बरसों में बहुत अधिक नहीं रही है और इसकी वजह सरकार द्वारा घरेलू स्तर पर खाद्य उत्पादों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए निर्यात प्रतिबंध और न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू करने जैसे नीतिगत फैसले रहे हैं। भारत से अधिकांश कृषि निर्यात कमोडिटी के रूप में ही होता रहा है। वैल्यू एडेड उत्पादों की हिस्सेदारी इसमें काफी कम है। ऐसे में वैश्विक कीमतें और टैरिफ इसे सीधे प्रभावित करती हैं। इन कदमों की वजह से ही कृषि निर्यात 2022-23 के 53.2 अरब डॉलर के स्तर को अभी तक पार नहीं कर सका है। वहीं 2002-24 से 2013-14 के दौरान भारत का कृषि निर्यात 7.5 अरब डॉलर से बढ़कर 43.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। लेकिन उसके बाद इसमें कमी आई और 2020-21 के बाद ही यह दोबारा पटरी पर आया।
भारत के बड़े निर्यातों में चावल, चीनी, समुद्री उत्पादन (मुख्य रूप से श्रिम्प), मसाले, तंबाकू, कॉफी, बफेलो मीट और फल व सब्जियां रही हैं। इनमें भी चीनी का निर्यात एक समय 5.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया था जो पिछले साल एक 700 मिलियन डॉलर रह गया। वहीं कपास में हम निर्यात से शुद्ध आयातक बन गये हैं।
ट्रम्प के टैरिफ से इनमें सबसे अधिक नुकसान श्रिम्प निर्यात का हो सकता है जो पिछले साल अमेरिका को 1.9 अरब डॉलर से अधिक रहा था लेकिन 50 फीसदी टैरिफ के चलते यह वेनेजुएला और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले वहां प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएगा।
जहां तक देश के कुल मर्चेंडाइज निर्यात का मामला है तो इसमें 2024-25 में भारत का व्यापार घाटा 282.8 अरब डॉलर रहा था जबकि कृषि उत्पादों के मामले में व्यापार आधिक्य (सरप्लस) है और पिछले साल भारत के वैश्विक कृषि व्यापार में 13.4 अरब डॉलर का सरप्लस था। हालांकि कृषि और खाद्य उत्पादों का आयात बढ़ने के चलते भारत के कृषि व्यापार का सरप्लस कम हुआ है। साल 2013-14 वैश्विक कृषि व्यापार में 27.7 अरब डॉलर का सरप्लस था। देश में खाद्य तेलों, दालों, फलों और सूखे मेवों का आयात लगातार बढ़ रहा है। पिछले साल भारत ने 38.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया। इस आयात में अमेरिका से आयातित बादाम, पिस्ता और फलों की बड़ी हिस्सेदारी है। सूखे मेवों का आयात ही एक अरब डॉलर को पार कर गया है। वहीं पिछले साल 5.5 अरब डॉल की 73 लाख टन दालों का आयात किया गया।
हालांकि इस आयात के बावजूद निर्यात की मौजूदा वृद्धि कृषि व्यापार को बेहतर स्थिति में बनाये हुए है। लेकिन अमेरिका द्वारा लगाये गये 50 फीसदी टैरिफ से कृषि निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हालांकि अभी टैरिफ लागू करने की तिथि 27 अगस्त है इसलिए हमें स्थिति साफ होने का इंतजार करना होगा। दूसरी ओर अमेरिका ने ब्राजील पर भी 50 फीसदी टैरिफ लगाया है और कई कृषि उत्पादों में ब्राजील भारत का निर्यात प्रतिस्पर्धी है जिसका असर अमेरिका के अलावा दूसरे बाजारों पर भी पड़ सकता है क्योंकि ब्राजील उन बाजार में अपने कृषि उत्पाद बेचेगा यहां भारत भी बेचना चाहता है और उसके चलते कीमतें गिर सकती है। इन परिस्थितियों के बीच आने वाले दिनों में भारत और अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर दोनों देश क्या रुख अपनाते हैं उसी से तय होगा कि भारत का कृषि निर्यात नया रिकॉर्ड बनाता है या फिर प्रतिकूल स्थितियों के चलते इस लक्ष्य से चूक जाएगा।