खरीफ बुवाई में 6.51 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी, कुल रकबा 1121.46 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा
केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में कृषि क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा की।

इस वर्ष खरीफ फसलों के अंतर्गत बुवाई का क्षेत्र पिछले वर्ष की तुलना में 6.51 लाख हेक्टेयर अधिक है। कुल बुवाई क्षेत्र 1121.46 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है जो गत वर्ष 1114.95 लाख हेक्टेयर था। गेहूं, धान, मक्का, गन्ना और दलहन की बुवाई भी वर्ष 2024-25 की तुलना में अधिक हुई है। उड़द के क्षेत्रफल में 1.50 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। लेकिन सोयाबीन, सूरजमुखी और मूंगफली समेत तिलहन का रकबा घटा है। कपास की बुवाई के क्षेत्र में भी कमी दर्ज की गई है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में कृषि क्षेत्र की प्रगति की समीक्षा की। बैठक में देशभर में खरीफ फसल की स्थिति, रबी फसल की बुवाई, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में फसलों की स्थिति, मूल्य स्थिति, उर्वरक उपलब्धता, जलाशयों की स्थिति सहित विभिन्न विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई।
बैठक में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को लेकर भी केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी ली। अधिकारियों ने बताया कि बाढ़ और अतिवृष्टि के कारण कुछ प्रदेशों में फसलें प्रभावित हैं, लेकिन यह भी बताया कि अन्य प्रदेशों में अच्छे मानसून के कारण फसल काफी अच्छी है, जिसका प्रभाव रबी बुवाई और उत्पादन में वृद्धि के रूप में देखने को मिलेगा।
आलू, प्याज और टमाटर की बुवाई बढ़ी
बैठक में बताया गया कि टमाटर और प्याज की बुवाई सुचारू रूप से चल रही है। वर्ष 2024-25 की तुलना में प्याज का बुवाई क्षेत्रफल 3.62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.91 लाख हेक्टेयर हो गया है, वहीं आलू का क्षेत्रफल 0.35 लाख हेक्टेयर की तुलना में 0.43 लाख हेक्टेयर हो गया है। टमाटर का बुवाई क्षेत्रफल पिछले वर्ष समान अवधि में 1.86 लाख हेक्टेयर था, जो इस वर्ष बढ़कर 2.37 लाख हेक्टेयर हो गया है।अधिकारियों ने बताया कि आलू, प्याज, टमाटर में निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप अच्छी वृद्धि हुई है।
उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश
बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने उर्वरक उपलब्धता की वर्तमान स्थिति की जानकारी लेने के साथ ही आगामी दिनों में सुचारू उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर दिशा-निर्देश दिए। केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों से इस संबंध में उर्वरक मंत्रालय से सतत संपर्क में रहने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने बताया कि आगामी सीजन में उर्वरकों की आवश्यकता को लेकर राज्यों के साथ समन्वय किया जा रहा है।