गरमी की फसलों का बुवाई रकबा 1.70 लाख हेक्टेयर घटा, पैदावार पर भी पड़ेगा असर

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 26 मई तक गरमा धान की बुवाई का रकबा 2022 के 30.33 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 28.30 लाख टन रह गया है। जबकि दालों का रकबा बढ़कर 19.89 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले साल की इस अवधि तक दालों का रकबा 19.09 लाख हेक्टेयर था। दालों में मूंग की फसल का रकबा 15.56 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 16.33 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। जबकि चना के रकबे में मामूली वृद्धि हुई है। यह पिछले साल के 3.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.25 लाख हेक्टेयर हो गया है। अन्य दालों का रकबा 28 हजार हेक्टेयर से घटकर 23 हजार हेक्टेयर रह गया है।

गरमी की फसलों का बुवाई रकबा 1.70 लाख हेक्टेयर घटा, पैदावार पर भी पड़ेगा असर
गरमा धान की बुवाई का रकबा 2 लाख हेक्टेयर घट गया है।

गरमी की फसलों के बुवाई रकबे में 1.69 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 26 मई, 2023 तक ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई का रकबा 70.30 लाख हेक्टेयर रहा है जो 2022 की इसी अवधि तक 71.99 लाख हेक्टेयर रहा था। इन फसलों को गरमा फसल भी कहा जाता है जिनकी बुवाई मार्च-मई में होती है और जून-जुलाई तक इनकी कटाई हो जाती है। इनमें गरमा धान, मूंग, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, तिल प्रमुख हैं।

कृषि मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि 26 मई तक गरमा धान की बुवाई का रकबा 2022 के 30.33 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 28.30 लाख टन रह गया है। जबकि दालों का रकबा बढ़कर 19.89 लाख हेक्टेयर हो गया है। पिछले साल की इस अवधि तक दालों का रकबा 19.09 लाख हेक्टेयर था। दालों में मूंग की फसल का रकबा 15.56 लाख हेक्टेयर के मुकाबले बढ़कर 16.33 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। जबकि चना के रकबे में मामूली वृद्धि हुई है। यह पिछले साल के 3.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 3.25 लाख हेक्टेयर हो गया है। अन्य दालों का रकबा 28 हजार हेक्टेयर से घटकर 23 हजार हेक्टेयर रह गया है।

बुवाई रकबे में कमी को देखते हुए पैदावार में गिरावट की संभावना बढ़ गई है। खासकर तब जब मौसम विभाग ने जून महीने में देश के अधिकांश हिस्सो में मानसून की बारिश के सामान्य से कम (92 फीसदी) रहने और तापमान सामान्य से ज्यादा रहने का पूर्वानुमान जताया है। इससे फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका है क्योंकि देश की करीब 55 फीसदी खेती बारिश पर निर्भर है।  

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बयान के मुताबिक, मोटा अनाज के रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है और यह 11.56 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 12.01 लाख हेक्टेयर हो गया है। मोटा अनाज की प्रमुख फसल बाजरा का बुवाई रकबा 3.99 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 4.74 लाख हेक्टेयर और ज्वार का रकबा 22 हजार हेक्टेयर के मुकाबले 28 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया है। हालांकि, रागी के रकबे में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है और यह 21 हजार हेक्टेयर से घटकर 14 हेक्टेयर रह गया है। ग्रीष्मकालीन मक्का का रकबा भी 7.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 6.85 लाख हेक्टेयर पर आ गया है।

जहां तक तिलहन फसलों की बात है तो 26 मई तक इसके बुवाई रकबे में गिरावट आई है। यह 2022 के 11.02 लाख हेक्टेयर से घटकर 10.17 लाख हेक्टेयर रह गया है। तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली का बुवाई रकबा 5.46 लाख हेक्टेयर से कम होकर 4.94 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। हालांकि, तिल का रकबा बढ़ा है और यह 4.51 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 4.61 लाख हेक्टेयर रहा है। सूरजमुखी के रकबे में भी मामूली वृद्धि हुई है। यह 31 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 32 हेक्टेयर पर पहुंच गया है। जबकि अन्य तिलहन फसलों का बुवाई रकबा 74 हजार हेक्टेयर से घटकर 31 हजार हेक्टेयर रह गया है।    

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