जून में सताएगी गर्मी, सामान्य से कम होगी मानसून की बारिश, धान की बुवाई पर पड़ सकता है असर

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने ताजा पूर्वानुमान में भी कहा है कि मानसून के दौरान लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 96 फीसदी बारिश होने की संभावना है जो सामान्य माना जाता है। मगर साथ ही यह भी कहा है कि जून के महीने में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम बारिश (92 फीसदी) होने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर धान की बुवाई पर पड़ सकता है।

जून में सताएगी गर्मी, सामान्य से कम होगी मानसून की बारिश, धान की बुवाई पर पड़ सकता है असर
जून में कम होगी मानसून की बारिश।

मानसून की बारिश पर अल-नीनो का असर पड़ने की संभावना बढ़ने लगी है। हालांकि, मौसम विभाग सीधे-सीधे इस आशंका को खारिज कर रहा है और कह रहा है कि अल-नीनो के बावजूद दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्य रहेगा। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने ताजा पूर्वानुमान में भी कहा है कि मानसून के दौरान लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 96 फीसदी बारिश होने की संभावना है जो सामान्य माना जाता है। मगर साथ ही यह भी कहा है कि जून के महीने में देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से कम बारिश (92 फीसदी) होने की संभावना है। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर धान की बुवाई पर पड़ सकता है।

मौसम विभाग ने शुक्रवार को जून महीने के लिए मानसून का अपना दूसरा पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा है कि जून में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने ताजा पूर्वानुमान में कहा है कि उत्तर पश्चिम भारत में जून में सामान्य से कम (92) बारिश होने की संभावना 50 फीसदी है। जबकि सामान्य बारिश की संभावना 30 फीसदी और सामान्य से ज्यादा की केवल 20 फीसदी है। इसी तरह, मध्य भारत में सामान्य से कम बारिश की 34 फीसदी, सामान्य बारिश की 37 फीसदी और सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना 29 फीसदी है। आईएमडी के मुताबिक, दक्षिण प्रायद्वीप में सामान्य से कम बारिश की संभावना केवल 28 फीसदी है, जबकि सामान्य बारिश की 42 फीसदी और सामान्य से अधिक की 30 फीसदी है।

आईएमडी के मुताबिक, जून में पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश की संभावना 30 फीसदी, सामान्य बारिश की 38 फीसदी और सामान्य से अधिक बारिश की संभावना 32 फीसदी है। केवल दक्षिण प्रायद्वीपीय, उत्तर-पक्षिम एवं सुदर उत्तर भारत के कुछ हिस्सों और पूर्वोत्तर भारत के इक्का-दुक्का क्षेत्रों में इस दौरान सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना सबसे अधिक है। विभाग ने कहा है कि कम बारिश वाले इलाकों में जून में न्यूनतम और अधिकतम तापमान भी सामान्य से ज्यादा रहने की संभावना है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि जून महीने में गर्मी ज्यादा पड़ेगी।

मौसम विभाग की भविष्यवाणी अगर सही साबित हुई तो इसका सीधा असर धान की बुवाई पर पड़ेगा और बुवाई का रकबा घट सकता है। आमतौर पर 15 जून के बाद देशभर में खरीफ के धान की बुवाई शुरू हो जाती है जो बहुत हद तक बारिश पर ही निर्भर है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि 1 जून को दक्षिण पश्चिम मानसून केरल के तट से टकराता है और 15 जून तक देशभर में छा जाता है। हालांकि, इस साल मानसून आने में थोड़ी देर होगी। मौसम विभाग ने इसके 4 जून तक आने की संभावना जताई है

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