कमजोर मानसून के चलते धान और सोयाबीन का रकबा 34 फीसदी कम, अरहर में 65 फीसदी और कपास में 14 फीसदी की गिरावट

कमजोर मानसून ने आने वाले दिनों में सरकार और किसानों की चिंता बढ़ा दी है। देशभर में 23 जून तक मानसून की बारिश सामान्य से 31 फीसदी कम बनी हुई है। इसके चलते खरीफ सीजन की मुख्य फसलों के बुआई क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले भारी गिरावट की स्थिति बनी हुई है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 23 जून, 2023 को धान का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 34,76 फीसदी कम है। वहीं पहले से ही भारी कीमत बढ़ोतरी वाला अरहर दाल का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 65,56 फीसदी कम है। खरीफ सीजन में मुख्य तिलहन फसल सोयाबीन का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 34 फीसदी कम हुआ है। वहीं कपास के क्षेत्रफल में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 14.11 फीसदी की कमी बनी हुई है

कमजोर मानसून के चलते धान और सोयाबीन का रकबा 34 फीसदी कम, अरहर में 65 फीसदी और कपास में 14 फीसदी की गिरावट
मानसून की बारिश में कमी से धान बुवाई घट गई है।

कमजोर मानसून ने आने वाले दिनों में सरकार और किसानों की चिंता बढ़ा दी है। देशभर में 23 जून तक मानसून की बारिश सामान्य से 31 फीसदी कम बनी हुई है। इसके चलते खरीफ सीजन की मुख्य फसलों के बुआई क्षेत्रफल में पिछले साल के मुकाबले भारी गिरावट की स्थिति बनी हुई है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार 23 जून, 2023 को धान का रकबा पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 34,76 फीसदी कम है। वहीं पहले से ही भारी कीमत बढ़ोतरी वाला अरहर दाल का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 65,56 फीसदी कम है। खरीफ सीजन में मुख्य तिलहन फसल सोयाबीन का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 34 फीसदी कम हुआ है। वहीं कपास के क्षेत्रफल में पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 14.11 फीसदी की कमी बनी हुई है।

वहीं भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मानसून की बारिश के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 23 जून, 2023 तक देश में कुल बारिश सामान्य से 31 फीसदी कम बनी हुई है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल समेत 23 मौसम सब- डिविजन में बारिश की 20 फीसदी से लेकर 90 फीसदी तक की कमी बनी हुई है। इसी का सीधा असर खरीफ फसलों की बुवाई पर दिख रहा है। वहीं गुजरात, राजस्थान और पंजाब समेत 13 मौसम सब डिविजनों में बारिश का स्तर सामान्य या सामान्य से अधिक है। इसी की वजह के मोटे अनाजों का क्षेत्रफल बढ़ा है। 

कृषि मंत्रालय के मुताबिक 23 जून तक धान का कुल क्षेत्रफल 10.07 लाख हैक्टेयर रहा है जो पिछले साल इसी अवधि में 16.4 लाख हैक्टेयर रहा था। हालांकि दालों का कुल क्षेत्रफल पिछले साल के 6.3 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 3.17 फीसदी अधिक 6.5 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया है। लेकिन मुख्य दाल फसल अरहर का क्षेत्रफल पिछले के 1.8 लाख हैक्टेयर के मुकाबले इस साल केवल 65 हजार हैक्टेयर पर ही पहुंचा है जिसमें 65.56 फीसदी की कमी बनी हुई है। बाजार में अरहर दाल की कीमतों में भारी तेजी चल रही है और पिछले साल भी इसका उत्पादन आठ लाख टन गिर गया था। ऐसे में इसके मौजूदा रकबे की स्थिति अरहर की कीमतों के मोर्चे पर उपभोक्ताओं और सरकार दोनों के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है। वहीं खरीफ सीजन की दूसरी महत्वपूर्ण दाल उड़द का क्षेत्रफल भी पिछले साल के मुकाबले 30.38 फीसदी कम बना हुआ है। 23 जून तक उड़द की बुवाई केवल 55 हजार हैक्टेयर में हुई जो पिछले साल इसी अवधि में 79 हजार हैक्टेयर रही थी।

चालू खरीफ सीजन में तिलहन फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले 3.16 फीसदी कम बना हुआ है। इनमें सोयाबीन का रकबा 99 हजार हैक्टेयर पर ही पहुंचा है जो पिछले साल के इस अवधि के डेढ़ लाख हैक्टेयर के मुकाबले 34 फीसदी कम है। कपास का रकबा भी अभी तक पिछले साल से 14.11 फीसदी कम बना हुआ है। 23 जून तक कपास का बुवाई रकबा 28 लाख हैक्टेयर पर पहुंचा है जो पिछले साल इसी अवधि में 32.6 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गया था।

खरीफ सीजन की फसलों का कुल क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले अभी 4.50 लाख हैक्टेयर कम है। इस साल 23 जून तक 129.5 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हुई जो पिछले साल इसी अवधि में 135.6 लाख हैक्टेयर पर पहुंच गई थी। मोटे अनाजों का क्षेत्रफल पिछले साल के मुकाबले 38.35 फीसदी बढ़कर 18.4 लाख हैक्टेयर पर पहंच गया है।

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