एमएसपी को कानूनी गारंटी मिलेगी या नहीं?

कांग्रेस को बीजेपी सरकार की मंशा पर शक है। कांग्रेस का आरोप है कि एमएसपी पर गठित समिति के संदर्भ की शर्तों को कमजोर कर दिया गया है और वह किसानों की मांग को पूरा नहीं कर पाएगी। किसान संगठनों को भी आशंका है कि यह कमेटी एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं दे पाएगी क्योंकि पैनल के संदर्भ की शर्तों को कमजोर कर दिया गया है।

एमएसपी को कानूनी गारंटी मिलेगी या नहीं?
फसलों के एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग किसान लंबे समय से कर रहे हैं।

फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने की किसानों की मांग क्या भाजपा सरकार स्वीकार करेगी? ऐसा होगा या नहीं यह मामला चर्चा में है क्योंकि यह मुद्दा अब राजनीतिक दलदल में फंस गया है।

कांग्रेस को बीजेपी सरकार की मंशा पर शक है। कांग्रेस का आरोप है कि एमएसपी पर गठित समिति के संदर्भ की शर्तों को कमजोर कर दिया गया है और वह किसानों की मांग को पूरा नहीं कर पाएगी। किसान संगठनों को भी आशंका है कि यह कमेटी एमएसपी की कानूनी गारंटी नहीं दे पाएगी क्योंकि पैनल के संदर्भ की शर्तों को कमजोर कर दिया गया है।

किसानों के हितों की रक्षा के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश किया था ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी विधेयक, 2022 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। इसमें किसानों को उनकी उपज के लिए एमएसपी की गारंटी देने की परिकल्पना की गई है। चड्ढा ने निजी विधेयक पेश करते हुए कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान कृषि उपज के लिए एमएसपी पर कानूनी गारंटी देने का वादा किया था।

कांग्रेस नेता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि भाजपा सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा किया था जो पूरा नहीं हो पाया। इसकी बजाय सरकार की नीतियों के कारण किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं। हुड्डा का मानना ​​है कि सरकार द्वारा आमदनी दोगुनी करने का किसानों को दिखाया गया सपना चकनाचूर हो गया है। उन्हें अपनी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल रहा है। एक तरफ सरकार बड़े कॉरपोरेट्स के करोड़ों रुपये के एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियों) को माफ कर रही है। दूसरी तरफ किसानों का कर्ज बढ़ रहा है और वे कर्ज में डूबते जा रहे हैं।

हुड्डा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एमएसपी को कानूनी गारंटी देने की सरकार की मंशा संदिग्ध है। हुड्डा ने कहा, "अगर वे एमएसपी को कानूनी मान्यता देना चाहते थे तो वे इसे पहली बार में ही दे सकते थे और इसकी घोषणा कर सकते थे। हमें नहीं लगता कि यह समिति (सरकार की) एमएसपी को कानूनी मान्यता दे पाएगी।" उन्होंने कई उदाहरणों का भी हवाला दिया जिसमें केंद्र की नीतियां किसानों के अनुकूल नहीं हैं।

किसानों की मांगों के समर्थन में भाजपा सांसद वरुण गांधी भी सार्वजनिक रूप से बोलते रहे हैं। उन्होंने भी एक लाख करोड़ रुपये के वित्तीय प्रावधान के साथ एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग करने वाले एक दूसरे निजी विधेयक का समर्थन किया। द फार्मर्स राइट टू गारंटीड मिनिमम सपोर्ट प्राइस रियलाइजेशन ऑफ एग्री-प्रोड्यूस बिल, 2021-22 नाम के इस निजी विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने की बात कही गई है। पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी भाजपा के रुख से उलट किसानों से जुड़े मुद्दों पर स्टैंड लेते रहे हैं। बिल के समर्थन में उन्होंने कहा कि किसानों को एमएसपी की गारंटी की घोषणा से 9.3 करोड़ किसान परिवारों की आमदनी में सुधार होगा जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास होगा।

भूपेंद्र हुड्डा ने हाल ही में रायपुर में आयोजित कांग्रेस के तीन दिवसीय पूर्ण सत्र में कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के लिए एक कानून लाएगी। एमएसपी से नीचे फसलों की खरीद को दंडनीय अपराध बनाया जाएगा। हुड्डा कांग्रेस की कृषि समिति के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा, "किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है बल्कि उन पर कर्ज बढ़ गया है। किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं।" उन्होंने दावा किया कि किसानों का कर्ज 2014 के 9.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 23.44 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए ने किसानों का 72,000 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया था। कुछ राज्य सरकारों ने भी किसानों का कर्ज माफ किया लेकिन भाजपा ने किसानों को कर्ज मुक्त करने के लिए कुछ नहीं किया।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पूरी तरह नाकाम हो गई है। यह कॉरपोरेट्स के लिए भारी मुनाफा कमाने का औजार बन गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि फसल बीमा योजना की विफलता के कारण कॉरपोरेट समूहों ने 40,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को ही फसल बीमा करने की अनुमति दी जाए। हुड्डा ने कहा कि जरूरत के समय किसानों को मुआवजा के लिए एक रिवॉल्विंग फंड बनाया जाएगा।

कांग्रेस नेता ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), पीएम फसल बीमा योजना, पीएम किसान सम्मान निधि और कृषि क्षेत्र के लिए खाद्य सब्सिडी के बजट को भाजपा सरकार ने घटा दिया है। इससे पता चलता है कि यह सरकार किसानों के कल्याण के बारे में नहीं सोचती है। इस सरकार में किसान पीड़ित हैं। हुड्डा ने दावा किया कि पिछले आठ वर्षों के दौरान उर्वरक सब्सिडी में भी भारी कटौती की गई है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के दौरान फसलों का विविधीकरण नहीं हुआ है। किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई है बल्कि लागत बढ़कर दोगुनी हो गई है। पिछले आठ वर्षों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद डीजल की कीमत दोगुनी हो गई है। हुड्डा ने निर्यात नीति और कृषि के बीच समन्वय का आह्वान किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसानों को उनकी उपज की बेहतर कीमत मिले। 

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