चाय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों ने सरकार से मांगा समर्थन, 2023 में निर्यात 10 फीसदी घटने की आशंका

भारतीय चाय निर्यातक रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और यूरोप एवं खाड़ी देशों जैसे पारंपरिक बाजारों से मांग में गिरावट जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच 2023 में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकारी समर्थन की मांग कर रहे हैं। निर्यातकों को चालू वर्ष में चाय के निर्यात में 10 फीसदी से ज्यादा गिरावट आने का अनुमान है, जबकि 2022 में निर्यात में 18 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

चाय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों ने सरकार से मांगा समर्थन, 2023 में निर्यात 10 फीसदी घटने की आशंका

भारतीय चाय निर्यातक रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और यूरोप एवं खाड़ी देशों जैसे पारंपरिक बाजारों से मांग में गिरावट जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच 2023 में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकारी समर्थन की मांग कर रहे हैं। निर्यातकों को चालू वर्ष में चाय के निर्यात में 10 फीसदी से ज्यादा गिरावट आने का अनुमान है, जबकि 2022 में निर्यात में 18 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

प्रतिकूल मौसम को देखते हुए चाय उद्योग इस बात को लेकर भी आशंकित है कि चालू वर्ष में कितनी मात्रा में उत्पादन हो पाएगा। जनवरी-मार्च 2023 की अवधि में कुल निर्यात 6 फीसदी घटकर 4.81 करोड़ किलोग्राम रह गया। है। निर्यात के दृष्टिकोण से 2023 बहुत आशावादी नहीं है। 2022 में श्रीलंका में कम उत्पादन के कारण निर्यात में अच्छी वृद्धि देखी गई थी। इस साल श्रीलंका के चाय निर्यात में थोड़ा सुधार हुआ है। इसके अलावा अन्य प्रतिकूल परिस्थितियां भारतीय चाय निर्यात की मात्रा और मूल्य को प्रभावित कर रही हैं।

भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने कहा, "पारंपरिक बाजारों के संबंध में हमें नए अनुबंधों के रजिस्ट्रेशन के मामले में ईरान में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले छह महीने से अधिक समय से यह समस्या है। कुल मिलाकर चाय निर्यात में 10 फीसदी का नुकसान हो सकता है और 20 करोड़ किलोग्राम का आंकड़ा पार करना चुनौतीपूर्ण होगा। इसके अलावा नेपाल से सस्ते आयात के कारण भारतीय चाय निर्यात में वास्तविक गिरावट और अधिक होगी।" भारतीय चाय बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में चाय का कुल निर्यात 22.8 करोड़ किलोग्राम था रहा था।

बागरिया समूह के अध्यक्ष एसएस बागरिया का कहना है कि भू-राजनीतिक घटनाक्रमों के सामने आने से चाय निर्यातक घबरा रहे हैं। हालांकि हम 2022 के वृद्धि दर स्तर को हासिल करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, फिर भी उस आंकड़े को बनाए रखना हमारे लिए संतोषजनक होगा। इस साल जून में फसल 20 फीसदी कम है। अल-नीनो इसे और खराब कर सकता है। उनका कहना है कि रूस, ईरान और अमेरिका जैसे पारंपरिक बाजारों में पिछले साल बड़ी वृद्धि दर्ज की गई थी, लेकिन रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण मांग प्रभावित हुई है। चाय निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के समर्थन की जरूरत है।

अंशुमान कनोरिया ने कहा, "हमने प्रचार और बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता अपग्रेड करने की योजनाओं के लिए वाणिज्य मंत्रालय को रिप्रेजेंटेशन भेजा है। हमने चाय बोर्ड के साथ बातचीत की और अपने सुझाव दिए कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए क्या किया जा सकता है क्योंकि मुख्य उद्देश्य मांग को बढ़ावा देना है। हमें  एक या दो प्रमुख बाजारों में प्रचार प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।"

उन्होंने कहा कि चीन में अभी बाजार वृद्धि की अच्छी संभावनाएं हैं। हालांकि, प्रचार गतिविधि के लिए चाय बोर्ड के पास शायद ही कोई धन उपलब्ध है। हम भारत सरकार से प्रचार समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं। साथ ही पैकिंग के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए कुछ प्रकार के सहयोग की भी उम्मीद कर रहे हैं ताकि भारतीय चाय को खासकर पैक और भारत में बनी चाय के निर्यात के लिए थोक निर्यातकों को बढ़ावा मिल सके।''

सरकार ने कहा है कि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चाय बोर्ड की सिफारिशों के आधार पर चाय निर्यात के लिए निर्यात लाभ योजना (RoTDEP) दर को 3.60 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 6.70 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया गया है।

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