भारत के लिए रूस को कृषि निर्यात में हैं काफी संभावनाएं
वर्ष 2023-24 में रूस ने दूसरे देशों से 202.6 अरब डॉलर का सामान इंपोर्ट किया, लेकिन भारत से सिर्फ 4.84 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह रूस के आयात में भारत को सिर्फ 2.4% हिस्सा मिला। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने रूस को सिर्फ 4.9 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि आयात 63.8 अरब डॉलर का रहा।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर रूस ने द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर तक ले जाने की बात दोहराई है। लेकिन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को अपना निर्यात बढ़ाना पड़ेगा। अभी दोनों देशों के बीच करीब 70 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसमें भारत का निर्यात 5 अरब डॉलर से भी कम है। आयात में कच्चे तेल का दबदबा है।
वर्ष 2023-24 में रूस ने दूसरे देशों से 202.6 अरब डॉलर का सामान इंपोर्ट किया, लेकिन भारत से सिर्फ 4.84 अरब डॉलर का सामान खरीदा। इस तरह रूस के आयात में भारत को सिर्फ 2.4% हिस्सा मिला। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने रूस को सिर्फ 4.9 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया, जबकि आयात 63.8 अरब डॉलर का रहा। इससे भारत का व्यापार घाटा 58.9 अरब डॉलर का हो गया। रूस से भारत के कुल इम्पोर्ट में क्रूड ऑयल 50.3 अरब डॉलर का था।
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि व्यापार घाटे को कम करना उन उत्पादों की पहचान करने और उनका निर्यात बढ़ाने पर निर्भर करेगा जिनमें भारत वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी है। ऐसे प्रोडक्ट की पहचानने के लिए GTRI ने उन प्रोडक्ट ग्रुप्स को मैप किया है जिनमें रूस एक बड़ा आयातक और भारत बड़ा निर्यातक है, लेकिन रूस के इंपोर्ट मार्केट में भारत का हिस्सा 5% से कम है। इसमें उन कैटेगरी पर फोकस किया गया है जिनमें रूस का ग्लोबल इंपोर्ट 50 करोड़ डॉलर से ज्यादा है और भारत का वैश्विक निर्यात भी 500 अरब डॉलर से ज्यादा है।
भारत के लिए कृषि और खाद्य पदार्थों के मामले में काफी संभावनाएं हैं। रूस इनके आयात पर बहुत निर्भर है, लेकिन भारत की पहुंच अभी बहुत कम है। रूस ने 2023-24 में 4.34 अरब डॉलर के फल और मेवे, 1.62 अरब डॉलर के तिलहन, 1.21 अरब डॉलर के खाद्य तेल, 1.15 अरब डॉलर की सब्ज़ियां और रूट, 88.9 करोड़ डॉलर का मीट और 51.8 करोड़ डॉलर का डेयरी और अंडा आयात किया।
लेकिन इनमें भारत का हिस्सा बहुत कम था। भारत ने सिर्फ 3.88 करोड़ डॉलर के फल, 7.9 करोड़ डॉलर के तिलहन, 3.86 करोड़ डॉलर के खाद्य तेल, 3.6 करोड़ डॉलर की सब्ज़ियां, 3.65 करोड़ डॉलर का मीट और सिर्फ 70 लाख डॉलर की डेयरी सप्लाई की। यहां तक कि जिन प्रोडक्ट्स का भारत बड़ा ग्लोबल एक्सपोर्टर है - जैसे मीट ( वैश्विक निर्यात 3.95 अरब डॉलर), तिलहन (2.17 अरब डॉलर) और फल (1.67 अरब डॉलर) - उनमें भी रूस के आयात बास्केट में भारत का हिस्सा 5% से कम है।
प्रोसेस्ड फूड में तो और भी बड़ा अंतर दिखता है। रूस ने अनाज, आटा और स्टार्च से बनी चीजों के आयात पर 68.9 करोड़ डॉलर और प्रोसेस्ड फल-सब्ज़ियों पर 1.15 अरब डॉलर खर्च किए। भारत ने अनाज से बने खाद्य पदार्थों का सिर्फ 6 लाख डॉलर का और प्रोसेस्ड उत्पादों का 4.27 करोड़ डॉलर का निर्यात किया। भारत का वैश्विक फ़ूड प्रिपरेशन निर्यात लगभग 2 अरब डॉलर का है। अखाद्य कृषि पदार्थों की बात करें तो रूस ने 96.6 करोड़ डॉलर के तंबाकू का आयात किया, जबकि भारत ने सिर्फ 3.75 करोड़ डॉलर की सप्लाई। भारत का कुल तंबाकू निर्या 1.84 अरब डॉलर का था, लेकिन रूस के आयात में हिस्सा सिर्फ 3.9% था।

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