अरहर, उड़द और मूंग ने बढ़ा दी चिंता, बारिश में कमी से दालों की बुवाई 9.70 लाख हेक्टेयर घटी

चालू खरीफ सीजन में अब तक धान की बुवाई का रकबा 5 फीसदी बढ़कर 328.22 लाख हेक्टेयर हो गया है, लेकिन ओडिशा, आंध्र प्रदेश और असम में अभी भी बुवाई कम हुई है। कृषि मंत्रालय के 11 अगस्त तक के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। पिछले साल की समान अवधि में 312.80 लाख हेक्टेयेर में धान की बुवाई हुई थी। हालांकि, इस अवधि तक दलहन, तिलहन, कपास और जूट/मेस्ता की बुवाई पिछड़ गई है।

अरहर, उड़द और मूंग ने बढ़ा दी चिंता, बारिश में कमी से दालों की बुवाई 9.70 लाख हेक्टेयर घटी
उड़द की बुवाई का रकबा 4.60 लाख हेक्टेयर घट गया है।

चालू खरीफ सीजन में अब तक धान की बुवाई का रकबा 5 फीसदी बढ़कर 328.22 लाख हेक्टेयर हो गया है, लेकिन ओडिशा, आंध्र प्रदेश और असम में अभी भी बुवाई कम हुई है। कृषि मंत्रालय के 11 अगस्त तक के ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। पिछले साल की समान अवधि में 312.80 लाख हेक्टेयेर में धान की बुवाई हुई थी। हालांकि, इस अवधि तक दलहन, तिलहन, कपास और जूट/मेस्ता की बुवाई पिछड़ गई है।

चालू खरीफ सीजन में अब तक ओडिशा में धान की बुआई का रकबा घटकर 18.97 लाख हेक्टेयर रह गया है, जो पिछले साल इस समय तक 20.35 लाख हेक्टेयर रहा था। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में 8.28 लाख हेक्टेयर की तुलना में 6.86 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई है। असम में भी बुवाई 16.25 लाख हेक्टेयर की तुलना में 14.92 लाख हेक्टेयर रही है।

भारत मौसम विभाग (आईएमडी) के अगस्त के अनुमान के मुताबिक, देश के ज्यादातर क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश की वजह से दालों की बुवाई पिछड़ गई है। 11 अगस्त तक दालों की बुवाई में लगभग 8 फीसदी की कमी आई है। प्रमुख दाल उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में जून में भी मानसून की बारिश में कमी के कारण बुवाई में देरी हुई। जैसे-जैसे बारिश बढ़ी रकबे में कुछ बढ़ोतरी हुई लेकिन कुल रकबा अभी भी 9.70 लाख हेक्टेयर कम है। दलहन फसलों का रकबा घटकर 113.07 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि एक साल पहले यह 122.77 लाख हेक्टेयर था।

अरहर की बुवाई में 5.35 फीसदी और उड़द एवं मूंग में क्रमशः 13.4 फीसदी और 7.2 फीसदी की गिरावट आई है। अरहर दाल की खुदरा कीमतों में पिछले कुछ महीनों के दौरान भारी वृद्धि देखी गई है। उपभोक्ता मामले विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, साल दर साल इसकी कीमतों में 32 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

खरीफ सीजन में अब तक मोटे अनाज का रकबा मामूली बढ़कर 171.36 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 167.73 लाख हेक्टेयर था। तिलहन फसलों की बुवाई 184.61 लाख हेक्टेयर की तुलना में थोड़ा कम होकर 183.33 लाख हेक्टेयर रही है।

नकदी फसलों में गन्ने की बुवाई का रकबा बढ़कर 55.20 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 56.06 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, कपास की बुवाई का क्षेत्रफल घटकर 121.28 लाख हेक्टेयर पर आ गया है जो पिछले साल समान अवधि में 122.53 लाख हेक्टेयर था। जूट/मेस्ता की बुवाई भी 6.95 लाख हेक्टेयर की तुलना में 6.56 लाख हेक्टेयर रही है।

ये आंकड़े ऐसे समय आए हैं जब कपास, मोटा अनाज, गन्ना और तिलहन की बुवाई लगभग खत्म हो गई है।  उत्तर प्रदेश और पंजाब में धान की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है (सामान्य क्षेत्र के 95 फीसदी से अधिक), लेकिन पश्चिम बंगाल में अब तक कम बारिश के कारण सामान्य के 40 फीसदी क्षेत्र में ही धान की बुवाई हो पाई है।

हालांकि, चालू ख़रीफ़ सीज़न में 11 अगस्त तक सभी खरीफ फसलों का कुल क्षेत्रफल मामूली रूप से बढ़कर 979.88 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 972.58 लाख हेक्टेयर था। 10 अगस्त तक प्रमुख जलाशयों में पानी का भंडार कुल क्षमता का लगभग 60 फीसदी था, जो पिछले सप्ताह 56 फीसदी था।

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