संयुक्त किसान मोर्चा का 26 नवंबर को 500 जिलों में चेतावनी रैली निकालने का ऐलान
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की आम सभा की बैठक में डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) के जरिए कृषि को कॉरपोरेट को सौंपने का आरोप लगाते हुए एनडीए-3 सरकार की निंदा की गई।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 26 नवंबर को देश के 500 जिलों में चेतावनी रैली निकालने का ऐलान किया है। यह विरोध-प्रदर्शन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 में हुए दिल्ली मार्च की चौथी वर्षगांठ के अवसर पर किया जाएगा। बुधवार को नई दिल्ली के सुरजीत भवन में आयोजित एसकेएम की आम सभा की बैठक में सभी फसलों की गारंटीड खरीद, सी-2+50% के आधार पर एमएसपी तय करने और किसानों की कर्ज माफी समेत कई मांगें उठाते हुए खेती पर कॉरपोरेट कब्जे की नीतियों का विरोध किया।
संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में डिजिटल कृषि मिशन (डीएएम) के जरिए कृषि को कॉरपोरेट को सौंपने का आरोप लगाते हुए एनडीए-3 सरकार की निंदा की गई। एसकेएम ने आरोप लगाया है कि डिजिटल कृषि मिशन खेती के कॉरपोरेटकरण की दिशा में काम करेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वर्चस्व को स्थापित करेगा।
एसकेएम आमसभा के प्रेसीडियम में जगमोहन सिंह, हन्नान मोल्ला, राजन क्षीरसागर, पद्मा पश्याम, जोगिंदर सिंह नैन, सिदगौड़ा मोदागी और डॉ. सुनीलम शामिल थे। डॉ. दर्शन पाल ने रिपोर्ट रखी और पी कृष्णप्रसाद ने समापन टिप्पणी की। एसकेएम ने महाराष्ट्र और झारखंड के आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ किसानों के बीच अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
एसकेएम ने पूरे देश के किसानों से 26 नवंबर को जिला मुख्यालयों पर होने वाली चेतावनी रैली में शामिल होने का आह्वान किया। यह रैली ट्रेड यूनियनों और खेत मजदूर संगठनों के साथ मिलकर आयोजित की जाएगी। इसके जरिए किसानों की मांगों के अलावा मजदूरों, खेत मजदूरों और बंटाईदार किसानों की मांगों को भी उठाया जाएगा।
एसकेएम आम सभा की बैठक में एनडीए-3 सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम देने का संकल्प लिया गया। यदि इस समय के भीतर मांगों को लागू नहीं किया गया, तो एसकेएम को बड़े पैमाने पर संघर्ष करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। एसकेएम ने देश भर के किसानों से अपनी मांगों के समर्थन में मुद्दा आधारित अधिकतम एकता बनाने का आह्वान किया है।

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