वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की खाद्य सुरक्षा काफी मजबूत
अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो 6 फीसदी गिरावट के साथ चालू फसल वर्ष (2022-23) में खरीफ फसलों का उत्पादन 4.6 करोड़ टन रहा। इसमें 11.2 फीसदी धान का उत्पादन है। अगर हम गेहूं और चावल के वर्तमान भंडारण की बात करें तो यह क्रमश: 50 और 46 फीसदी है जो आज की स्थिति में 30 फीसदी ज्यादा है। चालू फसल वर्ष में गेहूं का उत्पादन 12.5 फीसदी ज्यादा होने की उम्मीद है। मार्च 2023 की बात करें तो देश का गेहूं भंडारण 1.1 करोड़ टन रहेगा जो 35 लाख टन के बफर स्टॉक से कहीं ज्यादा है।
कृषि भारत की अधिकांश आबादी (58 फीसदी) की आजीविका है। यही कारण है कि आज कृषि क्षेत्र में भारत काफी आत्मनिर्भर हो चुका है। इसकी बदौलत देश अब कृषि और इससे जुड़े उत्पादों का निर्यातक बन चुका है। साल 2023 में भारत कृषि क्षेत्र में जहां और मजबूत होने की स्थिति में वहीं निर्यात के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
मौजूदा दौर में खरीफ उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आने वाले समय में इस स्थिति में सुधार नहीं होगा। अगर हम आंकड़ों पर नजर डालें तो 6 फीसदी गिरावट के साथ चालू फसल वर्ष (2022-23) में खरीफ फसलों का उत्पादन 4.6 करोड़ टन रहा। इसमें 11.2 फीसदी धान का उत्पादन है। अगर हम गेहूं और चावल के वर्तमान भंडारण की बात करें तो यह क्रमश: 50 और 46 फीसदी है जो आज की स्थिति में 30 फीसदी ज्यादा है। चालू फसल वर्ष में गेहूं का उत्पादन 12.5 फीसदी ज्यादा होने की उम्मीद है। मार्च 2023 की बात करें तो देश का गेहूं भंडारण 1.1 करोड़ टन रहेगा जो 35 लाख टन के बफर स्टॉक से कहीं ज्यादा है।
मौजूदा समय में भारत का खाद्यान्न उत्पादन काफी मजबूत स्थिति में है। हम इस मामले में विश्व गुरु बनने को तैयार हैं। इतना ही नहीं अगर भारत की मौजूदा मुद्रास्फीति स्थिर रहती है तो हम और भी मजबूत होने की स्थिति में होंगे क्योंकि दूसरे देशों में जो खाद्यान्न की चुनौती है वह हमारे यहां नहीं है। इसका कारण साफ है कि हमारे यहां जो बफर स्टाक वाली व्यवस्था है जो सदियों से चली आ रही है वह इस देश की खाद्यान्न व्यवस्था को और मजबूत बनाता है। रुस और यूक्रेन युद्ध के चलते कई देशों में खाद्यान्न संकट का असर पड़ा है लेकिन भारत पर इसका असर नहीं है। हालांकि, पिछले साल की ‘कैरी फॉरर्वड स्टॉक’ की स्थिति जरूर प्रभावित हुई है।
अप्रैल 2023 तक देश में अनाजों के दाम स्थिर रह सकते हैं क्योंकि सरकार ने रबी फसलों के विपणन सीजन 2023-24 के लिए एमएसपी में वृद्धि की है ताकि किसानों के लिए उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। सरकार को अनाजों की खरीद में 19 फीसदी के इजाफे का अनुमान है। इसलिए साल 2023 में गेहूं और चावल की पर्याप्त मात्रा का स्टॉक दिखाई पड़ रहा है। हालांकि यह समय सावधानी बरतने का है क्योंकि रुस और यूक्रेन के बीच जो युद्ध चल रहा है वह अभी खत्म होता नहीं दिखाई पड़ रहा है। इसका असर आने वाले दिनों में भारत को भी झेलना पड़ सकता है लेकिन मौजूदा समय में हमारी स्थिति काफी मजबूत है।
(लेखक एसएलसीएम के ग्रुप सीईओ हैं।)

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