प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कोअगले पांच साल के लिए क्रियान्वयन की मंजूरी मिली

कैबिनेट बैठक में सीसीईए ने पीएमकेएसवाई 2016-21 के दौरान सिंचाई विकास के लिए भारत सरकारआज 93,068 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2021-26 के लिये पीएकेएसवाई के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। राज्यों को 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता और  20,434.56 करोड़ रुपये की ऋण अदायगी को मंजूरी दी है

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना  कोअगले पांच साल के लिए  क्रियान्वयन  की मंजूरी मिली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यानी 15 दिसंबर 2021 को हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। सीसीईए ने पीएमकेएसवाई 2016-21 के दौरान सिंचाई विकास के लिए भारत सरकार ने 93,068 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2021-26 के लिये प्रधानमंत्री कृषि संचाई योजना (पीएकेएसवाई) के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है। राज्यों को 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता और  20,434.56 करोड़ रुपये की ऋण अदायगी को मंजूरी दी है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि कैबिनेट बैठक में 5 साल यानी वित्तीय वर्ष 2021-26 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को मंजूरी दी गई है. उन्होंने दावा किया कि इस योजना से 22 लाख किसानों को सीधा लाभ होगा।

प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना 2015 में एक प्रमुख योजना के रूप में शुरू की गई थी। यह योजना जल संसाधन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है। योजना का पहला भाग इरिगेशन बेनफिट प्रोगाम (एआईबीपी) और हर खेत को पानी (एचकेकेपी) है।एआईबीपी के तहत 2021-26 के दौरान कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता उत्पादन का लक्ष्य 13.88 लाख हेक्टेयर है।  इस योजना मे 30.23 लाख हेक्टेयर कमांड क्षेत्र के विकास सहित 60 चल रही परियोजनाओं को सावधानीपूर्वक पूरा करने के अलावा, अतिरिक्त परियोजनाएं भी शुरू की जा सकती हैं। विज्ञप्ति में कहा गया है कि आदिवासी और सूखा प्रवण क्षेत्रों के लिए चल रही परियोजनाओं के लिए शामिल किए जाने के मानदंडों में ढील दी गई है।

पीएमकेएसवाई का पहला भाग एक्सीलेरेटिड इरिगेशन बेनफिट प्रोगाम (एआईबीपी) और हर खेत को पानी (एचकेकेपी), के तहत तहत  4 भाग होते हैं। कमान क्षेत्र विकास (सीएडी), भूतल लघु सिंचाई (एसएमआई), जल निकायों की मरम्मत-नवीनीकरण और बहाली (आरआरआर) और भूजल विकास घटक।पीएमकेएसवाई में दो और योजनाएं शामिल हैं। इन्हें 2 अन्य विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। इनमें से 'प्रति बूंद अधिक फसल' योजना कृषि विभाग द्वारा क्रियान्वित की जाती है। वाटरशेड विकास योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विकास विभाग द्वारा कार्यान्वित की जाती है।

एआईबीपी 1996-97 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य देश में बड़ी और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को सहायता प्रदान करना है। यह कार्यक्रम उन परियोजनाओं पर केंद्रित है जो लगभग पूरी होने वाली हैं, लेकिन वित्तीय बाधाओं के कारण अटकी हुई प्रतीत होती हैं। इस कार्यक्रम का 2016 में पीएमकेएसवाई में विलय कर दिया गया था। पीएमकेएसवाई में शामिल होने के समय, एआईबीपी के तहत 297 सिंचाई और बहुउद्देश्यीय परियोजनाएं थीं। इनमें से अब तक 143 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं और 5 परियोजनाओं को बंद कर दिया गया है।

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