आर्य.एजी ने अपने फिनटेक प्लेटफॉर्म ‘आर्यधन’ से 500 करोड़ का दिया कर्ज

इस प्लेटफॉर्म को छोटे किसानों और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की जरूरतों के मुताबिक कस्टमाइज किया गया है। कर्ज की उपलब्धता सुलभ होने के कारण किसान, एफपीओ और वैल्यू चेन में जुड़ने वाले अन्य पक्ष तरलता की किसी भी जरूरत को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इससे अपनी उपज को ओने-पौने दाम पर बेचने की नौबत भी नहीं आती है

आर्य.एजी ने अपने फिनटेक प्लेटफॉर्म ‘आर्यधन’ से 500 करोड़ का दिया कर्ज
(बाएं से दाएं) आर्य.एजी के ईडी और सह-संस्थापक आनंद चंद्रा, सह-संस्थापक डी. चट्टनाथन और एमडी तथा सह-संस्थापक प्रसन्ना राव

इंटीग्रेटेड ग्रेन कॉमर्स प्लेटफॉर्म आर्य.एजी ने अपने फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म आर्यधन पर कर्ज देने के मामले में 500 करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर लिया है। कंपनी की तरफ से जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि इस प्लेटफॉर्म को छोटे किसानों और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की जरूरतों के मुताबिक कस्टमाइज किया गया है। कर्ज की उपलब्धता सुलभ होने के कारण किसान, एफपीओ और वैल्यू चेन में जुड़ने वाले अन्य पक्ष तरलता की किसी भी जरूरत को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इससे अपनी उपज को ओने-पौने दाम पर बेचने की नौबत भी नहीं आती है।

आर्य.एजी की टेक्नोलॉजी इंटरनेट आफ थिंग्स, एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित है। यहां कर्ज लेने वालों के लिए ट्रांजैक्शन की लागत और ब्याज दर दोनों कम होती है। कर्ज की रकम वितरित करने में भी अधिक समय नहीं लगता है। कंपनी का दावा है कि उसका आर्यधन प्लेटफॉर्म वेयरहाउस रिसीट फाइनेंस (डब्ल्यूआरएफ) में सबसे बड़ी एनबीएफसी है। इसका मॉडल उन स्थानों पर अधिक कारगर है जहां बैंक जोखिम की आशंकाओं को देखते हुए कर्ज देने में हिचकिचाते हैं।

कंपनी ने अपनी डिजिटल कर्ज सेवा के कुछ फायदे गिनाए हैं। इनमें प्रमुख हैं- प्रोसेसिंग में कम समय लगना, 95 फ़ीसदी ट्रांजैक्शन की प्रोसेसिंग 20 मिनट में हो जाती है। 350 से अधिक स्थानों पर हजारों ट्रेडर के साथ मार्केट लिंकेज। पूरी पारदर्शिता जिसमें किसान के पास उपलब्ध डिवाइस पर सभी सूचनाएं आसानी से उपलब्ध होती हैं। ब्याज की दरें कम होती है और कोई छिपा हुआ शुल्क भी नहीं होता है। एक और खास बात यह है कि किसानों को सिर्फ उतने दिनों के लिए ही ब्याज देना पड़ता है जितने दिन वह पैसा रखते हैं।

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