अरहर दाल के स्टॉक की पूरी जानकारी नहीं देने वाले कारोबारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई, केंद्र ने राज्यों को दिया निर्देश

स्टॉक की ताजा स्थिति के मुताबिक, कुछ राज्यों में उत्पादन एवं खपत की तुलना में अरहर दाल की मात्रा कम पाई गई है। समीक्षा बैठक में बड़े कारोबारियों के विस्तार क्षेत्र को व्यापक बनाने के मकसद से राज्य सरकारों को एफएसएसएआई लाइसेंस, एपीएमसी पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण, गोदामों और सीमा-शुल्क अनुबद्ध गोदामों से संबंधित आंकड़ों पर गौर करने के लिए कहा गया है। राज्यों को विभिन्न व्यापारिक संस्थाओं के स्टॉक के सत्यापन को पूरा करने और आवश्यक वस्‍तु अधिनियम अधिनियम, 1955 तथा कालाबाजारी की रोकथाम और आवश्यक वस्तु आपूर्ति अधिनियम, 1980 की संबंधित धाराओं के तहत अघोषित स्टॉक रखने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

अरहर दाल के स्टॉक की पूरी जानकारी नहीं देने वाले कारोबारियों के खिलाफ होगी कार्रवाई, केंद्र ने राज्यों को दिया निर्देश
तुअर (अरहर) दाल के स्टॉक की सही जानकारी नहीं दे रहे हैं कारोबारी।

तुअर (अरहर) दाल के उन व्यापारियों, मिलर्स, आयातकों और स्टॉकिस्टों के खिलाफ कार्रवाई करने का केंद्र ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया है जिन्होंने तुअर दाल के अपने स्टॉक का पूरा ब्योरा नहीं दिया है। पिछले महीने ही सरकार ने दाल कारोबारियों को स्टॉक की नियमित जानकारी देने का निर्देश दिया था।  दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने और जमाखोरी रोकने के लिए सरकार ने यह निर्देश जारी किया था। इसके अलावा एक निगरानी समिति का भी गठन किया था।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने प्रमुख दलहन उत्पादक और उपभोग करने वाले राज्यों के साथ अरहर और उड़द के स्टॉक के ब्योरे की स्थिति पर बुधवार को समीक्षा बैठक की। बैठक में उन्होंने कहा कि उत्पादन और खपत की तुलना में अरहर दाल के स्टॉक की मात्रा का कुछ राज्यों में कम ब्योरा दिया गया है। इस बैठक में आंध्र प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि स्टॉक की ताजा स्थिति के मुताबिक, कुछ राज्यों में उत्पादन एवं खपत की तुलना में अरहर दाल की मात्रा कम पाई गई है। समीक्षा बैठक में बड़े कारोबारियों के विस्तार क्षेत्र को व्यापक बनाने के मकसद से राज्य सरकारों को एफएसएसएआई लाइसेंस, एपीएमसी पंजीकरण, जीएसटी पंजीकरण, गोदामों और सीमा-शुल्क अनुबद्ध गोदामों से संबंधित आंकड़ों पर गौर करने के लिए कहा गया है। राज्यों को विभिन्न व्यापारिक संस्थाओं के स्टॉक के सत्यापन को पूरा करने और आवश्यक वस्‍तु अधिनियम अधिनियम, 1955 तथा कालाबाजारी की रोकथाम और आवश्यक वस्तु आपूर्ति अधिनियम, 1980 की संबंधित धाराओं के तहत अघोषित स्टॉक रखने वालों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

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बैठक में शामिल हुए राज्यों ने बताया कि वे निगरानी तेज कर रहे हैं। वेब पोर्टल पर अनिवार्य पंजीकरण और स्टॉक की ताजा स्थिति की जानकारी सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदमों तथा इस संबंध में उनके द्वारा किए जा रहे उपायों के बारे में भी राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार से साझा किया।

बैठक में पंजीकृत संस्थाओं की संख्या और स्टॉक के बारे में जारी किए गए ताजा आंकड़ों की राज्यों के साथ व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की गई। आयातकों, मिल मालिकों, थोक विक्रेताओं, व्यापारियों द्वारा स्टॉक की स्थिति का पूरा ब्योरा दिया जाना सुनिश्चित करने के लिए जोर देने की आवश्यकता महसूस की गई थी। इस बीच, स्टॉक की मौजूदा स्थिति दर्शाने वाले वेब पोर्टल पर पंजीकृत संस्थाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। यह भी माना गया है कि कुछ राज्यों में हितधारकों की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है।

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उपभोक्ता कार्य विभाग ने जमीनी स्तर पर वास्तविक स्थिति का आकलन करने के मकसद से 12 वरिष्ठ अधिकारियों को विभिन्न राज्यों की राजधानियों तथा प्रमुख अरहर दाल उत्पादक जिलों एवं व्यापारिक केंद्रों में  बड़े व्यापारियों, मिल मालिकों तथा भंडारण संचालकों से बुनियादी तौर पर सही जानकारी प्राप्त करने के लिए नियुक्त किया है। इन अधिकारियों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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