कथाकार शिवमूर्ति को मिलेगा श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य पुरस्कार

उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा साल 2021 के लिए कथाकार शिवमूर्ति को मिलेगा श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य पुरस्कार आज इनके नाम की घोषणा की गई है

कथाकार शिवमूर्ति को मिलेगा श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य पुरस्कार
उर्वरक क्षेत्र की अग्रणी सहकारी संस्था इंडियन फारमर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) द्वारा वर्ष 2021 के ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ के लिए कथाकार  शिवमूर्ति के नाम की घोषणा की गई है। सुप्रसिद्ध साहित्यकार  चित्रा मुद्गल की अध्यक्षता वाली चयन समिति में  मधुसूदन आनंद, विष्णु नागर, जयप्रकाश कर्दम, मुरली मनोहर प्रसाद सिंह और डॉ. दिनेश कुमार शुक्ल शामिल थे। इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने शिवमूर्ति को बधाई दी है।साल 2021 के श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान के लिए ग्रामीण जन-जीवन पर लिखने वाले कथाकार शिवमूर्ति को चुनने के लिए उन्होंने सम्मान चयन समिति के प्रति आभार व्यक्त किया है ।
शिवमूर्ति ने अपने कथा साहित्य में ग्रामीण जीवन की विशेषताओं, विषमताओं और अंतर्विरोधों का यथार्थ चित्रण किया है। उनकी रचनाओं में सामंती व्यवस्था की विद्रूपता और ग्रामीण जीवन का कटु यथार्थ खुलकर सामने आता है।  उनकी ‘कसाईबाड़ा’, ‘अकालदण्ड’, ‘तिरिया चरित्तर’ आदि कहानियों में महिलाओं, दलितों और कमजोर तबके के लोगों की विवशताओं और संघर्षों  की सशक्त अभिव्यक्ति हुई है। अपनी रचनाओं के माध्यम से शिवमूर्ति ने यह दिखाया है कि किस प्रकार पितृसत्तात्मक समाज में स्त्रियाँ गाँव, देश, समाज और यहाँ तक कि घर में भी सुरक्षित नहीं हैं।‘अकालदण्ड’ की सुरजी या फिर ‘केशर-कस्तूरी’ की केशर, इनके साथ जो कुछ भी घटित होता है उनमें पितृसत्तात्मक  समाज की क्रूरतम विकृतियाँ हैं।
 
शिवमूर्ति की कृतियों में त्रिशूल, तर्पण, आखिरी छलाँग (उपन्यास) तथा केशर कस्तूरी (कहानी संग्रह: ) प्रमुख हैं। इनकी कहानी ‘कसाईबाड़ा’ और ‘तिरिया चरित्तर’ पर फिल्म भी बनी है जबकि कई कहानियां देशी-विदेशी भाषाओं में अनूदित हुईं हैं ।
 
मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रत्येक वर्ष ऐसे हिन्दी लेखक को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में मुख्यत: ग्रामीण व कृषि जीवन तथा हाशिए के लोग, विस्थापन आदि से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों का चित्रण किया गया हो।
 
अब तक यह सम्मान विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल, कमलाकांत त्रिपाठी, रामदेव धुरंधर, रामधारी सिंह ‘दिवाकर’, महेश कटारे और रणेंद्र को दिया गया है। सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चैक प्रदान किया जाता है।  शिवमूर्ति को यह सम्मान 31 जनवरी, 2022  को  प्रदान किया जाएगा।

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