कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत, भाजपा का एकमात्र दक्षिणी दुर्ग हुआ ध्वस्त

राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 133 पर कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली है और 3 पर निर्णायक बढ़त बनाए हुए है। जबकि भाजपा ने 64 सीटें जीती है और 1 सीट पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। राज्य में बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए। बहुमत के इस जादुई आंकड़े से कांग्रेस 23 सीट आगे है। भाजपा ने 2018 के चुनाव में 104 सीटें जीती थी। उसे इस बार 39 सीटों का भारी नुकसान झेलना पड़ा है। किंगमेकर बनने का सपना संजोए जेडीएस का सपना टूट गया है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 37 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस बार उसे 19 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है।

कर्नाटक में कांग्रेस की बंपर जीत, भाजपा का एकमात्र दक्षिणी दुर्ग हुआ ध्वस्त
कांग्रेस की जीत के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को बधाई देने पहुंचे सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, रणदीप सुरजेवाला एवं अन्य नेता।

सारे एग्जिट पोल को झुठलाते हुए कांग्रेस ने 10 साल बाद बड़ी विजय के साथ कर्नाटक में अपने दम पर सत्ता में वापसी की है। इसके साथ ही भाजपा का एकमात्र दक्षिणी किला ढह गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह जीत कांग्रेस के लिए कई मायनों में संजीवनी साबित हो सकती है। इससे न सिर्फ पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा बल्कि विपक्षी दलों के बीच भी उसकी भूमिका निर्णायक पार्टी के रूप में बढ़ेगी।

चुनाव नतीजे आने के साथ ही निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हार मान ली। पिछले साल दिसंबर में हिमाचल प्रदेश चुनाव में हुई हार के बाद भाजपा के लिए यह दूसरी बड़ी हार है। भाजपा के लिए खुशी और कांग्रेस के लिए झटके की बात यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार हुबली-धारवाड़ मध्य सीट से 30 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए हैं। भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने उन्हें उनकी पुरानी सीट से ही उम्मीदवार बनाया था।

चुनाव आयोग के रात 8 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से 133 पर कांग्रेस ने जीत हासिल कर ली है और 3 पर निर्णायक बढ़त बनाए हुए है। जबकि भाजपा ने 64 सीटें जीती है और 1 सीट पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। राज्य में बहुमत के लिए 113 सीटें चाहिए। बहुमत के इस जादुई आंकड़े से कांग्रेस 23 सीट आगे है। भाजपा ने 2018 के चुनाव में 104 सीटें जीती थी। उसे इस बार 39 सीटों का भारी नुकसान झेलना पड़ा है। किंगमेकर बनने का सपना संजोए जेडीएस का सपना टूट गया है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 37 सीटों पर कब्जा जमाया था। इस बार उसे 19 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है।

कांग्रेस की इस महत्वपूर्ण जीत के साथ देश भर में कांग्रेस कार्यालयों में जश्न मनाया गया।  बजरंग दल, बजरंग बली, भ्रष्टाचार, राज्य सरकार द्वारा ओबीसी मुसलमानों के लिए 4 फीसदी आरक्षण को समाप्त करने और हिजाब जैसे मुद्दों के कारण यह चुनाव अभियान काफी कड़ा था। भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल रखी थी। इसके बावजूद राज्य की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया और इन मुद्दों को दरकिनार कर दिया।

2024 के मुख्य विपक्षी खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करने की रणनीति पर काम कर रही कांग्रेस को इस जीत का बेसब्री से इंतजार था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने गृह राज्य में पार्टी के प्रदर्शन पर कहा, "यह जनता जनार्दन की जीत है।" पार्टी के नेताओं ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे और पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए पांच महत्वपूर्ण वादों के अलावा कांग्रेस की जीत में मुस्लिम मतों ने निर्णायक भूमिका निभाई। 13 फीसदी मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस को वोट दिया।

इसके अलावा भारत जोड़ो यात्रा ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "भारत जोड़ो यात्रा पार्टी के लिए संजीवनी थी।" कर्नाटक में कांग्रेस की जीत ने जेडीयू, सीपीएम, टीएमसी और पीडीपी सहित कई विपक्षी नेताओं को संबल दिया है। इन पार्टियों के नेताओं ने कांग्रेस को जीत की बधाई दी है।

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