जुलाई में खाद्य तेल आयात 16% घटा, रिफाइंड पाम ऑयल के आयात में बड़ी गिरावट
जुलाई 2025 में भारत का खाद्य तेल आयात 16% घटकर 15.48 लाख टन रह गया, जिसकी मुख्य वजह शुल्क में अधिक अंतर के कारण रिफाइंड पाम आयात में कमी रही। सूरजमुखी तेल और अखाद्य तेलों के आयात में भी गिरावट आई, जिससे कुल वनस्पति तेल आयात 17% कम दर्ज किया गया है।

जुलाई 2025 में भारत के खाद्य तेल आयात में 16% की गिरावट आई है। इसका मुख्य कारण पाम तेल के आयात में भारी कमी है। इंडस्ट्री बॉडी सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के अनुसार, देश में पिछले महीने 15.48 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया, जबकि जुलाई 2024 में 18.40 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया था।
31 मई 2025 को क्रूड पाम तेल और रिफाइंड पाम तेल के बीच आयात शुल्क अंतर को सरकार ने 8.25% से बढ़ाकर 19.25% कर दिया था। इस फैसले ने रिफाइंड तेल के आयात को हतोत्साहित किया। इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई में रिफाइंड पाम तेल का आयात घटकर मात्र 5,000 टन रह गया, जबकि जून 2025 में यह 1.63 लाख टन और एक साल पहले 1.36 लाख टन था।
क्रूड पाम तेल का आयात भी पिछले साल के 9.37 लाख टन से घटकर 8.51 लाख टन रह गया। भारत मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया से पाम तेल खरीदता है। इसी तरह क्रूड सूरजमुखी तेल का आयात भी घटकर 2 लाख टन रह गया, जो जुलाई 2024 में 3.67 लाख टन था।
अखाद्य तेलों का आयात भी घटकर 31,000 टन रह गया, जो जुलाई 2024 में 55,014 टन था। कुल मिलाकर, वनस्पति तेल का कुल आयात (खाद्य और अखाद्य दोनों मिलाकर) 17% घटकर 15.79 लाख टन रह गया, जबकि पिछले साल यह 18.95 लाख टन था।
इस बीच इस खरीफ सीजन में भारत में सोयाबीन की खेती भी कम हुई है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार, बुवाई का रकबा 115 लाख हेक्टेयर है, जो 2024 में 118.32 लाख हेक्टेयर था। राज्यवार देखें तो मध्य प्रदेश में 48.64 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में48.20 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 9 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक में4.22 लाख हेक्टेयर और गुजरात में 2.53 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती हुई है।
फिलहाल सोयाबीन की फसल सामान्य मानी जा रही है, लेकिन उत्पादन अगले दो महीनों में मौसम की स्थिति पर काफी हद तक निर्भर करेगा। सरकार ने इस सीजन के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹5,328 प्रति क्विंटल तय किया है।