बांग्लादेश में 50 हजार टन चावल निर्यात के लिए भारतीय कंपनी ने लगाई सबसे कम बोली

बांग्लादेश में चावल निर्यात के लिए सबसे कम 359.77 डॉलर प्रति टन की बोली लगाने वाली छत्तीसगढ़ की कंपनी बगरिया ब्रदर्स को 50 हजार टन गैर बासमती चावल निर्यात का मौका मिला है। भारत और अन्य कई देशों की कंपनियों ने बांग्लादेश द्वारा चावल आयात करने के लिए जारी टेंडर में हिस्सा लिया था

बांग्लादेश में 50 हजार टन चावल निर्यात के लिए भारतीय कंपनी ने लगाई सबसे कम बोली

बांग्लादेश सरकार ने भारत की एक निजी कंपनी से 50,000 टन गैर बासमती चावल आयात की मंजूरी दे दी है। साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका से बांग्लादेश 2,20,000 टन गेहूं का आयात करेगा। बांग्लादेश द्वारा भारत से लगातार चावल आयात कर रहा है। यह आयात वैश्विक बाजार में जारी आयात टेंडरों के जरिये हो रहा है। इस साल बांग्लादेश द्वारा करीब चार लाख टन चावल का आयात किया जाएगा। जिस टेंडर को मंजूरी मिली है वह 50 हजार टन चावल आयात के लिए  जारी किया गया है।    

बांग्लादेश की सरकारी खरीद सलाहकार परिषद समिति (एसीसीजीपी) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंज़ूरी दी गई। बांग्लादेश में हाल के महीनों में बाढ़ और अनियमित मानसून के कारण धान उत्पादन में आई गिरावट के मद्देनजर भारत से चावल आयत करने का निर्णय लिया है। इसका फायदा भारत के चावल निर्यातकों को मिलेगा। 

सूत्रों के अनुसार, आयात की यह खेप दिसंबर 2025 तक चरणबद्ध रूप से बांग्लादेश पहुंचेगी। चावल की प्रति टन खरीद कीमत 359.77 डॉलर तय की गई है। सबसे कम बोली लगाने वाली भारतीय कंपनी बगरिया ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड को इस अनुबंध के लिए चुना गया है। बांग्लादेश को चावल निर्यात का बड़ा हिस्सा पश्चिम बंगाल के निर्यातकों को मिलेगा। इससे कई गैर-बासमती चावल किस्मों की कीमतों में वृद्धि देखी गई है। 

हाल के महीनों में बांग्लादेश में खाद्य मुद्रास्फीति की समस्या का सामना करना पड़ा है, जिसमें चावल की कीमतों में वृद्धि एक प्रमुख कारण रही है। भारत से चावल आयात का यह निर्णय घरेलू बाजार में स्थिरता लाने में सहायक साबित हो सकता है। यह कदम घरेलू उत्पादन या सरकारी खरीद में कमी के संभावित खतरों से निपटने के लिए बफर स्टॉक तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है।

इससे स्पष्ट होता है कि बांग्लादेश सरकार खाद्य सुरक्षा और आपूर्ति स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्रोतों पर भरोसा कर रही है और आवश्यकतानुसार कदम उठा रही है। बाग्लादेश सरकार के इस फैसले से भारत में चावल निर्यात की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

 

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