किसान आंदोलन की एकजुटता का दिन, आगे आए उग्राहां और टिकैत, कई राज्यों में ट्रैक्टर मार्च

कई राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैक्टरों का बोलबाला रहा। किसानों ने पुतले जलाकर सरकार की दमनकारी नीतियों और डब्ल्यूटीओ का विरोध किया।

किसान आंदोलन की एकजुटता का दिन, आगे आए उग्राहां और टिकैत, कई राज्यों में ट्रैक्टर मार्च

आज का दिन बिखरे हुए किसान मोर्चों की एकजुटता की तरफ बढ़े कदम का गवाह बना। इस आंदोलन में पहली बार शंभू और खनौरी बॉर्डर पर मोर्चा जमाए बैठे किसानों के साथ बीकेयू उग्राहां से लेकर बीकेयू टिकैत तक दर्जनों किसान संगठनों ने एकजुटता दिखाते हुए ट्रैक्टर मार्च निकाले। कई राज्यों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर ट्रैक्टरों का बोलबाला रहा। साथ ही किसानों ने पुतले जलाकर सरकार की दमनकारी नीतियों और डब्ल्यूटीओ का विरोध किया। 13 फरवरी को शुरू हुए किसान आंदोलन के बाद यह पहला मौका था जब प्रमुख किसान संगठनों ने अपने-अपने तरीके से विरोध-प्रदर्शन किया। 

फसलों के न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर किसानों की तमाम जत्थेबंदियों ने एकजुटता का परिचय दिया। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और उत्तराखंड में कई जगह ट्रैक्टर मार्च और विरोध प्रदर्शन हुए। डब्ल्यूटीओ की नीतियों के चलते भारत पर फूड सब्सिडी में कटौती का दबाव है। इस कारण भी सरकार एमएसपी की गारंटी देने से बच रही है। 

हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों ने आज डब्ल्यूटीओ, कॉरपोरेट घरानों और सरकार की नीतियों के खिलाफ पुतले दहन किये। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के आह्वान पर पंजाब और हरियाणा सहित कई राज्यों में प्रदर्शन हुए। दोनों मोर्चों ने मांग उठाई कि पंजाब सरकार युवा किसान शुभकरण सिंह के हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करे।  

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कई राज्यों में ट्रैक्टर मार्च के साथ "डब्ल्यूटीओ छोड़ो" दिवस मनाया गया। संयुक्त किसान मोर्चा 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान महापंचायत आयोजित करेगा, जिसमें देशभर से किसान भाग लेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने पंजाब से लेकर पश्चिमी यूपी और तराई तक कई जिलों में हाईवे पर ट्रैक्टर ले जाकर विरोध-प्रदर्शन किया। बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों की वास्तविक मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग उठाते हुए पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के दमन की निंदा की। दिल्ली-एनसीआर, पश्चिमी यूपी और तराई के कई जिलों में एसकेएम के विरोध-प्रदर्शन का असर दिखा। 

पंजाब में, किसानों ने जालंधर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग सहित कई स्थानों पर अपने ट्रैक्टर खड़े किए। इस प्रदर्शन में भारती किसान यूनियन (राजेवाल), बीकेयू (कादियान), बीकेयू (एकता उगराहां) सहित कई अन्य किसान संगठन शामिल हुए। संगरूर में किसानों ने कई किलोमीटर लंबा ट्रैक्टर मार्च निकाला, जिसमें हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर लेकर पहुंचे। हरियाणा के हिसार में किसानों ने राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर कई स्थानों पर अपने ट्रैक्टर खड़े करके विरोध प्रदर्शन किया। राजस्थान में भी कई जगह किसानों ने ट्रैक्टर मार्च निकाले। उत्तराखंड में हरिद्वार-दिल्ली नेशनल हाईवे पर किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ धरने पर बैठ गये। 

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