नैनो डीएपी के व्यावसायिक इस्तेमाल को मंजूरी, खरीफ सीजन से पहले शुरू होगी बिक्री, जल्द जारी होगी अधिसूचना

नैनो डीएपी का इस्तेमाल शुरू होने से फर्टिलाइजर सब्सिडी घटने और आयात निर्भरता कम होने की उम्मीद है। जल्द ही इस बारे में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। नैनो डीएपी के 500 मिलीलीटर बोतल की कीमत 600 रुपये के आसपास रहने की संभावना है

नैनो डीएपी के व्यावसायिक इस्तेमाल को मंजूरी, खरीफ सीजन से पहले शुरू होगी बिक्री, जल्द जारी होगी अधिसूचना

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने नैनो डीएपी (नैनो-डायमोनियम फॉस्फेट) के कमर्शियल रिलीज को मंजूरी दे दी है। इससे फर्टिलाइजर सब्सिडी घटने और आयात निर्भरता कम होने की उम्मीद है। जल्द ही इस बारे में आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। नैनो डीएपी के 500 मिलीलीटर बोतल की कीमत 600 रुपये के आसपास रहने की उम्मीद है। इफको के एमडी और सीईओ डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने इस संबंध में एक ट्वीट में कहा है कि उर्वरक क्षेत्र के लिए यह एक बड़ी खबर है। रूरल वॉयस ने भी कुछ दिन पहले ही यह संभावना जताई थी कि जल्द ही नैनो डीएपी के व्यावसायिक इस्तेमाल को मंजूरी मिल जाएगी।

डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने अपने ट्वीट में कहा है कि वास्तव में यह उर्वरक क्षेत्र के लिए आज की बहुत बड़ी खबर है क्योंकि सरकार ने नैनो डीएपी के कमर्शियल रिलीज को मंजूरी दे दी है। उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल पर एक अंग्रेजी अखबार की इस संबंध में छपी खबर का हवाला भी दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने जैव सुरक्षा और विषाक्तता अध्ययनों के पूरा होने के बाद नैनो डीएपी को एक साल के लिए अस्थायी रूप से जारी करने की सिफारिश की थी। मौजूदा समय में पारंपरिक डीएपी के 50 किलो वाले बैग की कीमत सब्सिडी के बाद 1,350 रुपये है, जबकि इसकी वास्तविक कीमत 4,000 रुपये है। नैनो डीएपी का निर्माण फिलहाल इफको करेगी। कोरोमंडल इंटरनेशनल ने भी इसके निर्माण की मंजूरी सरकार से मांगी है। अभी इफको तरल नैनो यूरिया की बिक्री कर रही है।  

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https://youtu.be/wQPlmdFfO0A

अंग्रेजी अखबार ने उर्वरक मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा है कि इसकी मंजूरी का इंतजार किया जा रहा था जो अब मिल चुकी है। इससे घरेलू जरूरत के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी जिससे सब्सिडी का खर्च भी बचेगा। भारत अपनी जरूरत का 50 फीसदी डीएपी आयात करता है। मुख्य रूप से इसका आयात पश्चिम एशिया के देशों और जॉर्डन से किया जाता है। जबकि यूरिया की सालाना खपत का करीब 25 फीसदी आयात किया जाता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, अगले खरीफ सीजन से पहले नैनो डीएपी को लॉन्च कर दिया जाएगा ताकि खरीफ सीजन में किसान इसका इस्तेमाल अपनी फसलों में कर सकें। उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के व्यापक इस्तेमाल से सरकार द्वारा दी जाने वाली उर्वरक सब्सिडी को अगले कुछ वर्षों में काफी कम किया जा सकता है। आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत अब वैकल्पिक उर्वरकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

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इससे पहले जून 2021 में इफको ने पारंपरिक यूरिया के विकल्प के रूप में नैनो यूरिया को तरल रूप में लॉन्च किया था। नैनो यूरिया का व्यावसायिक उत्पादन इफको और राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स द्वारा अगस्त 2021 से शुरू किया गया था। नैनो यूरिया की 500 एमएल की बोतल पारंपरिक यूरिया के 45 किलो के बैग के बराबर है। पारंपरिक यूरिया की 40 फीसदी की तुलना में नैनो यूरिया की दक्षता 80 फीसदी से अधिक है। इसके इस्तेमाल से पैदावार में 3-16 फीसदी की वृद्धि होती है। संशोधित अनुमानों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए उर्वरक सब्सिडी 2.25 लाख करोड़ रुपये अनुमानित है जो 2021-22 के 1.62 लाख करोड़ रुपये से 39 फीसदी अधिक है।

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