एमएसपी से नीचे आया मक्का का भाव, रबी फसल की आवक बढ़ने से 600 रुपये तक लुढ़का

अप्रैल की शुरुआत में मक्का 2,400-2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा था। इस महीने के दूसरे हफ्ते से रबी सीजन के मक्के की कटाई शुरू हो गई और नई फसल मंडियों में आने लगी। 15 अप्रैल के बाद मंडियों में आवक बढ़ी तो कीमतों पर दबाव बनना शुरू हो गया और भाव घटकर 1,850-1,950 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। बिहार के गुलाबबाग (पूर्णिया) मंडी सहित अन्य कई मंडियों में मक्का इसी भाव पर कारोबार कर रहा है। मक्के की फसल रबी और खरीफ दोनों सीजन में बोई जाती है।

एमएसपी से नीचे आया मक्का का भाव, रबी फसल की आवक बढ़ने से  600 रुपये तक लुढ़का
मंडियों में रबी सीजन के मक्के की आवक बढ़ने से भाव लुढ़क गया है।

रबी सीजन के मक्के की फसल की कटाई शुरू हो गई है। मंडियों में आवक बढ़ते ही मक्के का भाव 600 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया है। देश की कई मंडियों में इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गया है। मौजूदा समय में मक्के का औसतन भाव 1,850-1,950 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। सरकार ने मक्के का एमएसपी 1,962 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले साल के मुकाबले एमएसपी में 92 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।

बाजार के जानकारों का कहना है कि अप्रैल की शुरुआत में मक्का 2,400-2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहा था। इस महीने के दूसरे हफ्ते से रबी सीजन के मक्के की कटाई शुरू हो गई और नई फसल मंडियों में आने लगी। 15 अप्रैल के बाद मंडियों में आवक बढ़ी तो कीमतों पर दबाव बनना शुरू हो गया और भाव घटकर 1,850-1,950 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। बिहार के गुलाबबाग (पूर्णिया) मंडी सहित अन्य कई मंडियों में मक्का इसी भाव पर कारोबार कर रहा है। मक्के की फसल रबी और खरीफ दोनों सीजन में बोई जाती है।   

जानकारों के मुताबिक निर्यात मांग में अभाव के चलते भी कीमतों पर दबाव बना है। ग्लोबल मार्केट में दाम गिरने से निर्यात मांग कम है। चीन में इस समय बर्ड फ्लू फैला हुआ है। H3N8 नामक बर्ड फ्लू का नया वायरस चीन में सामने आया है जिससे पॉल्ट्री इंडस्ट्री की ओर से कम मांग निकल रही है। इस वजह से भी निर्यात मांग कम है। घरेलू पॉल्ट्री इंडस्ट्री की ओर से भी अभी मांग कम निकल कर आ रही है। ग्लोबल मार्केट में पिछले एक साल में मक्के का भाव 20 फीसदी तक लुढ़का है। नई फसल की आवक से घरेलू कीमतों पर दोहरा दबाव बना है।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने फसल वर्ष 2022-23 (सितंबर-अक्टूबर) के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में मक्के का 3.46 करोड़ टन का रिकॉर्ड उत्पादन का अनुमान लगाया है। यह पिछले साल की तुलना में 8.83 लाख टन अधिक है। फसल वर्ष 2021-22 में 3.37 करोड़ टन मक्के का उत्पादन हुआ था। मंत्रालय का अनुमान है कि रबी सीजन में मक्के का उत्पादन 1.078 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। यह मुख्य रूप से खरीफ की फसल है। खरीफ के दौरान 85 फीसदी खेती की जाती है, जबकि रबी मक्के की खेती 15 फीसदी की जाती है। आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में मक्के की काफी खेती की जाती है। राजस्थान में मक्का का सर्वाधिक क्षेत्रफल है, जबकि कर्नाटक में सर्वाधिक उत्पादन होता है।

रबी मक्के की खेती में बिहार अव्वल है। बिहार के पूर्णिया जिले के मक्का किसान नवीन कुमार मुन्ना कहते हैं कि पिछले तीन-चार साल से मक्के की कीमत अच्छी मिल रही है जिससे किसानों को राहत है। अप्रैल की शुरुआत में जो भाव था उससे लग रहा था कि यह 2,000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर रहेगा लेकिन अब भाव इससे नीचे चला गया है। इससे किसानों को पिछले साल के मुकाबले नुकसान हो रहा है। हालांकि, जिन्होंने अगैती खेती की है उन्होंने 2,200 रुपये प्रति क्विंटल तक मक्का बेचा है, लेकिन ऐसे किसानों की तादाद बहुत कम है।

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