मानसून 2025: समय से पहले दस्तक, सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल जून से सितंबर तक चलने वाले चार महीने के मानसून सीजन में देश में औसत से 105% अधिक बारिश होने की संभावना है।

मानसून 2025: समय से पहले दस्तक, सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दक्षिण-पश्चिम मानसून 2025 को लेकर एक महत्वपूर्ण अपडेट जारी किया है। विभाग के अनुसार, इस साल मानसून केरल तट पर सामान्य तिथि 1 जून से पांच दिन पहले, यानी 27 मई को दस्तक दे सकता है। यह 16 साल में पहला अवसर होगा, जब मानसून इतनी जल्दी केरल पहुंचेगा। इससे पहले 2009 में मानसून 23 मई को केरल में प्रवेश किया था। 

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, इस साल जून से सितंबर तक चार महीने के मानसून सीजन में देश में औसत से 105% अधिक बारिश होने की संभावना है। औसतन 87 सेंटीमीटर बारिश की तुलना में इस बार लगभग 91 सेंटीमीटर बारिश होने का अनुमान है। 

मानसून केरल में प्रवेश करने के बाद तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में जून के पहले हफ्ते तक पहुंचेगा। जून के दूसरे और तीसरे हफ्ते में यह बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में फैल जाएगा। दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में मानसून 25-30 जून के आसपास पहुंचने की संभावना है। जुलाई के पहले हफ्ते तक मानसून पूरे देश को कवर कर लेगा।

हालांकि, बारिश का वितरण पूरे देश में एकसमान नहीं होगा। लद्दाख, पूर्वोत्तर भारत और तमिलनाडु में सामान्य से कम बारिश की संभावना है, जबकि देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल सकता है, जिसमें कम समय में भारी बारिश और बाढ़ की घटनाएं बढ़ सकती हैं

अनुकूल मौसमी परिस्थितियां

मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि इस साल एल-नीनो की स्थिति विकसित होने की संभावना नहीं है, जो आम तौर पर कम बारिश का कारण बनती है। इसके विपरीत, ला-नीना की वापसी और इंडियन ओशियन डाइपोल (IOD) की सामान्य स्थिति मानसून को मजबूती प्रदान कर सकती है। इसके अलावा, यूरेशिया और हिमालयी क्षेत्रों में कम बर्फबारी भी अधिक बारिश का संकेत देती है।

कृषि और अर्थव्यवस्था पर असर

अच्छा मानसून खरीफ फसलों जैसे धान, मक्का, अरहर और सोयाबीन की पैदावार को बढ़ावा देगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र में सुधार होगा। इससे खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी। साथ ही, जलाशयों का स्तर बढ़ने से पेयजल और सिंचाई की उपलब्धता में वृद्धि होगी, जो जल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।

गर्मी और अन्य मौसमी चेतावनियां

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि मई और जून में उत्तर-पश्चिम भारत, विशेष रूप से राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में सामान्य से अधिक गर्मी और लू की स्थिति रह सकती है। पूर्वी भारत में 14 मई तक उष्ण लहर की संभावना है। 

समय से पहले मानसून का आगमन और सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान न केवल कृषि क्षेत्र को मजबूती देगा, बल्कि अर्थव्यवस्था और जल संसाधनों को भी लाभ पहुंचाएगा। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए क्षेत्रीय असमानताओं और भारी बारिश की घटनाओं के लिए तैयार रहना जरूरी है। 

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