National Mustard Day 2025: ग्रामीण समृद्धि का वाहक बना हाइब्रिड सरसों

2 अगस्त को मनाए जा रहे National Mustard Day पर भारत हाइब्रिड सरसों की उस परिवर्तनकारी भूमिका को सराहता है, जिसने किसानों की आय और ग्रामीण क्षेत्र की स्थिरता को बढ़ावा दिया है। बेहतर उपज, तेल की अधिक मात्रा और ज्यादा लाभ देने वाली यह फसल तिलहन उत्पादन को नई दिशा दे रही है, जो आत्मनिर्भर भारत की नींव बन रही है।

National Mustard Day 2025: ग्रामीण समृद्धि का वाहक बना हाइब्रिड सरसों

हर वर्ष 2 अगस्त को राष्ट्रीय सरसों दिवस (National Mustard Day) मनाया जाता है। यह भारत में एक ऐसी महत्वपूर्ण फसल को सम्मानित करने का अवसर है, जो न केवल थालियों को पोषण देती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करती है। इस वर्ष का फोकस है हाइब्रिड सरसों - एक क्रांतिकारी तिलहन फसल जो राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में किसानों के जीवन में ठोस बदलाव लेकर आई है।

हाइब्रिड सरसों पारंपरिक किस्मों की तुलना में 16–20% अधिक उपज और 2–2.5% अधिक तेल देती है। इससे किसानों को प्रति एकड़ 6,000–8,000 रुपये तक अतिरिक्त शुद्ध आय होती है। इस तरह यह मूल्य अस्थिरता और फसलों को होने वाले नुकसान जैसी चुनौतियों के बीच एक स्थिर विकल्प प्रदान करती है। देश के अनेक तिलहन उत्पादक क्षेत्रों में ये समस्याएं देखने को मिली हैं।

आम तौर पर यह फसल 10 से 25 अक्टूबर के बीच बोई जाती है, जब खेतों में नमी और तापमान उपयुक्त रहते हैं। इस अवधि में बोने वाले किसान और जो उचित कृषि तकनीक अपनाते हैं, उन्हें अधिक उपज और बेहतर बाजार मूल्य मिल रहा है, विशेषकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा में।

हाइब्रिड सरसों की उपयोगिता केवल उत्पादकता तक सीमित नहीं है। यह स्थानीय कृषि रिटेल चैनल, मंडी नेटवर्क और ग्रामीण रोजगार को भी मजबूत कर रही है। उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में सरसों केवल एक फसल नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान है। हाइब्रिड किस्मों ने इस संबंध को और गहरा किया है, जिससे यह स्थानीय गौरव और प्रगति का प्रतीक बन चुकी है।

भारत जहां एक ओर खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता और जलवायु अनुकूल खेती की दिशा में कार्य कर रहा है, वहीं हाइब्रिड सरसों एक ऐसा समाधान प्रदान कर रही है जो वैज्ञानिक इनोवेशन, क्षेत्र-विशेष एडवाइजरी और किसान-केंद्रित नीतियों के मेल से उभर रही है।

राष्ट्रीय सरसों दिवस (National Mustard Day) न केवल उत्सव है, बल्कि एक आह्वान भी है - कि हम गुणवत्तापूर्ण बीजों, श्रेष्ठ कृषि विधियों और किसानों के लिए सक्षम प्रणाली में निवेश करें, जिससे अधिक किसान इन उच्च उत्पादक किस्मों को अपनाएं। भारत के हृदयस्थल में सरसों की यह सफलता एक सतत और आत्मनिर्भर कृषि भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

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