चना भी खा रहा ताव, थोक भाव 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा

मूंग, उड़द और अरहर दालों के भाव में तेजी से चना दबाव में आ गया और इसके दाम भी बढ़ने लगे हैं।  इसके अलावा आगामी त्योहारी मौसम में चना की मांग बढ़ने को देखते हुए भी इसमें तेजी का रुख है। साबूत चना का थोक भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जबकि चना दाल 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छू गया है। हालांकि, चना की यह तेजी त्योहारी मौसम तक ही रहने की संभावना है क्योंकि नेफेड के पास करीब 38 लाख टन चना का पर्याप्त स्टॉक है और उसने 10 लाख टन चना बाजार में उतारने की घोषणा की है।

चना भी खा रहा ताव, थोक भाव 6500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा
आगामी त्योहारी मौसम के लिए मांग बढ़ने से भी आ रही चना में तेजी।

मूंग, उड़द और अरहर दालों के भाव में तेजी से चना दबाव में आ गया और इसके दाम भी बढ़ने लगे हैं।  इसके अलावा आगामी त्योहारी मौसम में चना की मांग बढ़ने को देखते हुए भी इसमें तेजी का रुख है। साबूत चना का थोक भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, जबकि चना दाल 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छू गया है। हालांकि, चना की यह तेजी त्योहारी मौसम तक ही रहने की संभावना है क्योंकि नेफेड के पास करीब 38 लाख टन चना का पर्याप्त स्टॉक है और उसने 10 लाख टन चना बाजार में उतारने की घोषणा की है।

पिछले साल अरहर और उड़द के उत्पादन में कमी की वजह से इसके भाव में लगातार तेजी बनी हुई है। सरकार द्वारा दोनों दालों का आयात बढ़ाने और स्टॉक लिमिट लगाने के बावजूद घरेलू दाम में बहुत ज्यादा कमी नहीं आई। बाकी कसर इस साल खरीफ सीजन में दलहन फसलों की बुवाई में करीब 11 लाख हेक्टेयर की कमी ने पूरी कर दी है। इससे बाजार का सेंटीमेंट खराब हुआ है और दालों की कीमतें बढ़ने लगी हैं। वहीं अगस्त में 120 साल बाद सबसे कम बारिश की वजह से तापमान सामान्य से ज्यादा रहा जिससे मूंग की फसल काफी प्रभावित हुई है, खासकर राजस्थान में करीब 40 फीसदी फसल जलने की खबर आ रही है।

राजस्थान में ही मूंग की खेती सबसे ज्यादा होती है क्योंकि यहां की मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त है। खरीफ सीजन में यहां करीब 20 लाख हेक्टेयर में इसकी खेती होती है। अरहर, उड़द और मूंग के दाम में तेजी की वजह से चना दबाव में आ गया है क्योंकि इन तीनों के मुकाबले चना का भाव हमेशा कम रहता है। साथ ही बाकी दालों के महंगा होने से चना दाल की मांग बढ़ गई है। इसके अलावा, त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है जिसमें चने की मांग बेसन के लिए ज्यादा होती है। बेसन से कई तरह की मिठाइयां बनती है और त्योहारों के दौरान बेसन वाले मिठाइयों की मांग ज्यादा रहती है।

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इन सब वजहों से साबूत चना का औसत थोक भाव 6,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। एक महीने पहले तक भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि 2023-24 मार्केटिंग सीजन के लिए चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,335 रुपये प्रति क्विंटल है। चना की खेती मुख्य रूप से रबी सीजन में होती है। जानकारों का कहना है कि चना के दाम में यह तेजी अस्थायी है क्योंकि रबी सीजन 2022-23 में चना का रिकॉर्ड 135.43 लाख टन उत्पादन हुआ है। इसके अलावा नेफेड के पास 37.50 लाख टन का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। नेफेड ने इस साल 23.50 लाख टन चना की खरीद की है, जबकि पिछले स्टॉक का 14 लाख टन बचा हुआ है।

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दालों की घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए नेफेड ने अपने स्टॉक से 10 लाख टन चना बाजार में उतारने की घोषणा की है और इसके लिए बोलियां भी मंगवानी शुरू कर दी है। इसके अलावा नेफेड भारत दाल के नाम से 60 रुपये प्रति किलो पर चना दाल की खुदरा बिक्री कर रहा है। नेफेड, एनसीसीएफ और सफल के स्टोरों पर इसकी बिक्री की जा रही है।   

 

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