मूंग का भाव 10 हजार रुपये क्विंटल पर पहुंचा, चना और अरहर भी हुए तेज

दलहन फसलों की बुवाई में भारी कमी की वजह से उत्पादन घटने की आशंका पहले से जताई जा रही थी, रही-सही कसर अगस्त में मानसून की बारिश के सामान्य से 30 फीसदी से ज्यादा कम रहने ने पूरी कर दी। इसकी वजह से दालों के भाव में तेजी का दौर शुरू हो गया है। कृषि उपज मंडियों में मूंग का भाव बढ़कर जहां 10,000 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, वहीं चना 8,000 रुपये और अरहर 16,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया है।

मूंग का भाव 10 हजार रुपये क्विंटल पर पहुंचा, चना और अरहर भी हुए तेज
अगस्त में सूखे जैसे हालात की वजह से राजस्थान में मूंग की काफी फसल जल गई है।

दलहन फसलों की बुवाई में भारी कमी की वजह से उत्पादन घटने की आशंका पहले से जताई जा रही थी, रही-सही कसर अगस्त में मानसून की बारिश के सामान्य से 30 फीसदी से ज्यादा कम रहने ने पूरी कर दी। इसकी वजह से दालों के भाव में तेजी का दौर शुरू हो गया है। कृषि उपज मंडियों में मूंग का भाव बढ़कर जहां 10,000 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है, वहीं चना 8,000 रुपये और अरहर 16,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को पार कर गया है।

कृषि उपज मंडियों में मूंग की नई फसल की आवक शुरू हो गई है। राजस्थान के नागौर जिले की मेड़ता मंडी में 2 सितंबर को मूंग का भाव 10 हजार रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। नागौर कृषि उपज मंडी में भी भाव 9,775 रुपये पर पहुंच गया। करीब आठ साल बाद मूंग के भाव ने 9,000 रुपये के स्तर को पार किया है। खरीफ मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरकार ने मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 8,558 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है जो पिछले साल 7,755 रुपये प्रति क्विंटल था। मूंग के भाव में तेजी की वजह अगस्त में कम बारिश से फसल का खराब होना है। अगस्त में देशभर में मानसून की बारिश सामान्य से करीब 33 फीसदी कम हुई है। पिछले कई दशकों में अगस्त में सबसे कम बारिश हुई है।

राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। ज्यादा तापमान की वजह से मूंग की फसल जल गई है। एक अनुमान के मुताबिक, राजस्थान में करीब 40-50 फीसदी फसल ज्यादा गर्मी की वजह से खराब हो गई है। मूंग की फसल 50-60 दिन की छोटी अवधि में तैयार हो जाती है और संवेदनशील होती है। यह न तो बहुत ज्यादा गर्मी झेल पाती है और न ही बहुत ज्यादा बारिश। यही वजह है कि अगस्त में बारिश काफी कम होने का असर इसके उत्पादन पर पड़ा है।

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नागौर में सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले मूंग का उत्पादन होता है। नागौरी मूंग की चमक की वजह से इसे काफी पसंद किया जाता है। मानसून से ठीक पहले और मानसून की शुरुआत में राजस्थान में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की वजह से मूंग की बुवाई का रकबा बढ़ा था। राज्य में 12 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में मूंग बोई जाती है जिसमें से अकेले नागौर जिले में इस साल 6.26 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में मूंग की बुवाई हुई थी। रकबा बढ़ने की वजह से बंपर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा था लेकिन अगस्त में सूखे जैसे हालात ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उत्पादन घटने का असर अब भाव पर साफ नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में भाव में और तेजी की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।     

सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए मूंग के अलावा अरहर और उड़द के एमएसपी में भी अच्छी बढ़ोतरी की है। उड़द का एमएसपी 350 रुपये बढ़ाकर 6950 रुपये प्रति क्विंटल और अरहर का 400 रुपये बढ़ाकर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसके बावजूद खरीफ सीजन में दलहन फसलों की कुल बुवाई करीब 11 लाख हेक्टेयर घट गई है।

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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के 1 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, दलहन फसलों की कुल बुवाई का रकबा पिछले साल के 130.13 लाख हेक्टेयर से घटकर 119.09 लाख हेक्टेयर रह गया है। मूंग की बुवाई में 2.59 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। यह पिछले साल के 33.57 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 30.98 लाख हेक्टेयर रही है। इसी तरह, उड़द की बुवाई का क्षेत्रफल 4.97 लाख हेक्टेयर कम होकर 31.68 लाख हेक्टेयर रह गया है। पिछले साल 36.65 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुवाई हुई थी। अरहर की बुवाई का रकबा भी 45.27 लाख हेक्टेयर से घटकर 42.66 लाख हेक्टेयर पर आ गया है।       

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