कपास की जीएम किस्म बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फलेक्स को जीईएसी की मंजूरी की तैयारी

जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) द्वारा सरसों की जीएम किस्म डीएमएच-11 की इनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिशों के 26 अक्तूबर को सार्वजनिक होने के बाद से जीएम फसलों के विरोध में कई संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। कृषि वैज्ञानिक जीईएसी के इस कदम से काफी उत्साहित हैं। इसी बीच इस बात की संभावना बढ़ गई है कि कमेटी की अगली बैठक में कपास की हर्बिसाइड टॉलरेंट किस्म  बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फ्लेक्स, बीजी-II आरआरएफ को मंजूरी मिल सकती है। इस किस्म को एचटीबीटी कॉटन भी कहा जाता है

कपास की जीएम किस्म बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फलेक्स  को जीईएसी की मंजूरी की तैयारी
प्रतीकात्मक फोटो

जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी (जीईएसी) द्वारा सरसों की जीएम किस्म डीएमएच-11 की इनवायरमेंटल रिलीज की सिफारिशों के 26 अक्तूबर को सार्वजनिक होने के बाद से जीएम फसलों के विरोध में कई संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। कृषि वैज्ञानिक जीईएसी के इस कदम से काफी उत्साहित हैं। इसी बीच इस बात की संभावना बढ़ गई है कि जीईएसी की अगली बैठक में कपास की हर्बिसाइड टॉलरेंट किस्म  बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फ्लेक्स, बीजी-II आरआरएफ को मंजूरी मिल सकती है। इस किस्म को एचटीबीटी कॉटन भी कहा जाता है। इस किस्म में डाले गये जीन की खासियत के चलते किसान इस किस्म की कपास की फसल पर ग्लाइफोसेट हर्बिसाइड का स्प्रै कर सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक जीईएसी द्वारा नियुक्त सब-कमेटी ने पिछले सप्ताह अपनी रिव्यू रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया था। हालांकि अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि 18 अक्तूबर, 2022 की जिस मीटिंग में जीईएसी ने सरसों की जीएम किस्म डीएमएच-11 को मंजूरी दी, उसमें इस रिव्यू रिपोर्ट पर भी चर्चा हुई।

गौरतलब है कि रूरल वॉयस ने सरसों की जीएम किस्म और एचटीबीटी कॉटन की जल्दी मंजूरी की संभावना को लेकर 17 अक्तूबर को एक विस्तृत खबर की थी। उसके अगले ही दिन 18 अक्तूबर को जीईएसी की बैठक में जीएम सरसों के इनवायरनमेंट रिलीज की सिफारिश की गई। जीईएसी का यह फैसला 26 अक्तूबर को सार्वजनिक की गई जीईएसी की सिफारिशों के जरिये सामने आया।

कपास की नई किस्म में खास

कपास की जीएम किस्म बीजी-II आरआरएफ को विकसित करने के इवेंट में तीन बाहरी जीन शामिल किये गये हैं। पहले दो जीन क्राई1एसी और क्राई2एबी को मिट्टी के बैक्टीरियम बैसीलस थुरिंगिएनसिस से लिया गया है। इसे बीटी कहा जाता है जो अमेरिकन बॉलवार्म, स्पॉटेड बॉलवार्म और टोबैको कैटरपिलर इनसेक्ट पेस्ट से फसल को को सुरक्षा देते हैं। तीसरा जीन सीप4-ईएसपीएस है जिसे मिट्टी के बैक्टीरियम एग्रोबैक्टीरियम टुमाफेसिएंस से लिया गया है। इसके शामिल होने से कपास की यह किस्म ग्लाइफोसेट हर्बिसाइड टोलरेंट बन जाती है। सामान्य कपास की फसल पर इस हर्बिसाइड का उपयोग संभव नहीं है क्योंकि वह कपास के पौधे और खरपतवार में अंतर नहीं कर पाता है।

बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फ्लेक्स, बीजी-II आरआरएफ की मंजूरी के लिए आई एप्लीकेशन के संदर्भ में जीईएसी ने 27 जुलाई की बैठक में डिपार्टमेंट ऑफ बॉयोटेक्नोलॉजी (डीबीटी) के वैज्ञानिक संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में एक सब-कमेटी गठित की थी। मुंबई की कंपनी म्हाइको प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बॉलगार्ड राउंडअप रेडी बीजी-II आरआरएफ तकनीक के भारत में इस्तेमाल के लाइसेंस के लिए किये गये आवेदन की विस्तृत समीक्षा के लिए यह सब-कमेटी बनाई गई थी।

सब-कमेटी के सदस्यों में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के डायरेक्टर डॉ. ए.के. सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के असिस्टेंट डायरेक्टर जनरल (सीड्स) डॉ. डी.के. यादव, आईएआरआई की माइक्रोबॉयलोजी डिविजन की पूर्व प्रमुख डॉ. के. अन्नपूर्णा, आल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट ऑन कॉटन के प्रमुख ए.एच. प्रकाश, डीबीटी के वैज्ञानिक नितिन के. जैन और पर्यावरण मंत्रालय से साइंटिस्ट अभिलाषा सिंह मथुरिया शामिल हैं।

जीईएसी द्वारा जीएम सरसों की किस्म के लिए गठित एक्सपर्ट पैनल ने 8 अक्तूबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। उसके दस दिन बाद 18 अक्तूबर को हुई जीईएसी की बैठक में जीएम सरसों की किस्म डीएमएच-11 की इनवायरनमेंटल रिलीज की सिफारिश कर दी गई।

रूरल वॉयस ने अपनी 17 अक्तूबर की रिपोर्ट में भी इसका जिक्र किया था कि सब-कमेटी की राय एचटीबीटी कॉटन की मंजूरी के पक्ष में है। सूत्रों के मुताबिक सब-कमेटी ने कुछ दिन पहले बॉलगार्ड टू राउंडअप रेडी फ्लेक्स, बीजी-II आरआरएफ पर अपना रिव्यू पूरा कर लिया था। इसलिए सब-कमेटी की रिपोर्ट पर जीईएसी अगली बैठक में विचार करेगी।

कपास की जीएम किस्म बीजी-II आरआरएफ की बॉयोसेफ्टी रिसर्च और ट्रायल का काम 2012-13 में ही पूरा हो गया था। इसे विकसित करने वाली कंपनी मोनसेंटो ने यह सारी जानकारी मार्च 2013 में जीईएसी को दे दी थी। लेकिन उस समय की परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी ने एचटीबीटी कॉटन की इनवायरनमेंटल रिलीज की अपनी एप्लीकेशन वापस ले ली थी। उसके बाद 2018 में अमेरिकी कंपनी मोनसेंटो को जर्मन क्रॉपसाइंस कंपनी बायर एजी ने खरीद लिया था। बॉयर ने म्हाइको के जरिये एचटीबीटी कॉटन की मंजूरी के लिए दोबारा इसी साल जीईएसी को एप्लीकेशन दी है।

आईसीएआर के एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि पिछले कुछ माह में परिस्थितियों में बदलाव आया है। अब सरकार का रुख कृषि शोध को बढ़ावा देकर उत्पादकता बढ़ाने पर है। इसके चलते ही सरसों की जीएम किस्म के इनवायरनमेंट रिलीज को जीईएसी ने मंजूरी दी है। इस बात की काफी संभावना है कि जीईएसी जल्दी ही एचटीबीटी कॉटन की कमर्शियल रिलीज की भी सिफारिश कर सकती है। देश में पहली जीएम फसल बीटी कॉटन की कमर्शियल रिलीज को 2002 में मंजूरी दी गई थी। उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की एनडीए की सरकार थी।

जीएम फसलों को लेकर देश और वैश्विक स्तर पर विवाद रहा है। ऐसे में सरकार अगर जीएम सरसों के बाद हर्बिसाइड टालरेंट कपास की जीएम किस्म को भी मंजूरी देती है तो यह उसके रुख में बड़ा बदलाव होगा। वहीं एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक का कहना है कि देश में पहले ही गैर-कानूनी तरीके से बड़े पैमाने पर एचटीबीटी कॉटन का उत्पादन हो रहा है। ऐसे में बेहतर होगा कि किसानों के हित में कानूनी रूप से इस किस्म को मंजूरी दे दी जाए।

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