उत्तर प्रदेश में कम उत्पादन के चलते सरकार चीनी निर्यात को 50 लाख टन तक सीमित कर सकती है, जल्द जारी होगी अधिसूचना

चालू चीनी सीजन (अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022) में चीनी के रिकॉर्ड 395 लाख टन उत्पादन (एथनॉल बनाने में उपयोग हुई चीनी सहित) और करीब 112 लाख टन चीनी के अभी तक के रिकॉर्ड निर्यात के बाद सरकार अक्तूबर से शुरु होने वाली नये चीनी सीजन 2022-23 में चीनी निर्यात को लेकर सावधानी बरत रही है। इसके चलते  सरकार द्वारा आगामी सीजन के लिए 50 लाख टन चीनी के निर्यात की ही अनुमति दिये जाने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में जल्दी ही अधिसूचना जारी हो सकती है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन गिरकर 90 से 100 लाख टन के बीच रह सकता है और चीनी निर्यात को 50 लाख टन सीमित करने के पीछे यह एक बड़ी वजह है

उत्तर प्रदेश में कम उत्पादन के चलते सरकार चीनी निर्यात को 50 लाख टन तक सीमित कर सकती है, जल्द जारी होगी अधिसूचना

चालू चीनी सीजन (अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022) में चीनी के रिकॉर्ड 395 लाख टन उत्पादन (एथनॉल बनाने में उपयोग हुई चीनी सहित) और करीब 112 लाख टन चीनी के अभी तक के रिकॉर्ड निर्यात के बाद सरकार अक्तूबर से शुरू होने वाली नये चीनी सीजन 2022-23 में चीनी निर्यात को लेकर सावधानी बरत रही है। इसके चलते सरकार द्वारा आगामी सीजन के लिए 50 लाख टन चीनी के निर्यात की ही अनुमति दिये जाने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में जल्दी ही अधिसूचना जारी हो सकती है। असल में सरकार को जिस तरह से पहले बड़े-बड़े दावे करने के बाद 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा और उसी तरह अब 8 सितंबर को ब्रोकन राइस के निर्यात पर प्रतिबंध और गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी सीमा शुल्क लगाने का फैसला लिया गया, चीनी के मामले में सरकार उस तरह की स्थिति से  बचना चाहती है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन गिरकर 90 से 100 लाख टन के बीच रह सकता है और चीनी निर्यात को 50 लाख टन सीमित करने के पीछे यह एक बड़ी वजह है।

नये सीजन में एक अक्तूबर, 2022 को चीनी का शुरुआती स्टॉक (ओपनिंग स्टॉक) 60 लाख टन रहेगा जो पिछले पांच साल में सबसे कम है। हालांकि यह देश की करीब ढाई माह की जरूरत के बराबर है।

चीनी उद्योग के अनुमान के मुताबिक आगामी चीनी सीजन 2022-23 में चीनी का उत्पादन 330 से 360 लाख टन के बीच रहने की संभावना है। इसके अलावा करीब 45 लाख चीनी का उपयोग एथनॉल उत्पादन में होने का अनुमान है। बकाया 60 लाख टन चीनी के स्टॉक और उत्पादन समेत आगामी साल में कुल 390 से 420 लाख टन के बीच चीनी उपलब्ध होगी।

सूत्रों के मुताबिक सरकार जनवरी-फरवरी, 2023 में चीनी उत्पादन और इसकी कीमतों की स्थिति की समीक्षा के बाद निर्यात की अतिरिक्त मात्रा के बारे में फैसला ले सकती है। उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति बेहतर नहीं है। पांच साल लगातार सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य होने के बाद उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में महाराष्ट्र से काफी पिछड़ गया है। चालू सीजन में उत्तर प्रदेश का चीनी उत्पादन 102.50 लाख टन के आसपास रह गया जबकि महाराष्ट्र का 137.30 लाख टन पर पहुंच गया। चालू मानसून सीजन में उत्तर प्रदेश में सामान्य से 43 फीसदी कम बारिश होने के चलते गन्ना उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग के मुताबिक इस साल की फसल पूरे राज्य में रेड रॉट की बीमारी से भी प्रभावित है। इस बीमारी का असर राज्य में कहीं कम है तो कहीं बहुत अधिक है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इन परिस्थितियों में उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन गिरकर 90 से 100 लाख टन के बीच रह सकता है। हालांकि देश के स्तर पर इस गिरावट की भरपाई महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में चीनी उत्पादन में होने वाली वृद्धि से हो जाएगी। देश में आगामी साल में चीनी की खपत 275 लाख टन रहने का अनुमान है।

सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से महंगाई दर के ताजा आंकड़ों में खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी देखी गई है उसके चलते सरकार किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। अगस्त के लिए खुदरा महंगाई दर 7.62 फीसदी रही है वहीं जुलाई में थोक महंगाई दर 13.93 फीसदी रही है और यह पिछले 17 माह से दो अंकों में बनी हुई है।

सरकार के संभावित फैसले के बारे में रूरल वॉयस के साथ बात करते हुए नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नायकनवरे ने बताया कि सरकार द्वारा चीनी निर्यात का कोटा चरणबद्ध तरीके जारी करने का फैसला तर्कसंगत है। इसके साथ ही सरकार चीनी मिलों को सीजन शुरू होने के पहले ही वैश्विक बाजार में चीनी के निर्यात सौदे करने का मौका दे रही है। चीनी मिलों में पेराई सीजन दिवाली के आसपास नवंबर में ही शुरू होता है लेकिन इसके पहले ही चीनी मिलें निर्यात के सौदे कर सकती हैं। समय रहते सौदे करना हमारे लिए फायदेमंद है। विश्व के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश ब्राजील में सीजन अप्रैल में शुरू होता है और उसके बाद ही उसकी चीनी वैश्विक बाजार में आती है इसलिए हमारे पास अक्तूबर से अप्रैल-मई तक का समय चीनी निर्यात के लिए बेहतर है।

नायकनवरे के मुताबिक सरकार ने चीनी मिलों को संकेत दिया है कि वह आगामी चीनी सीजन (2022-23) के अपने कुल संभावित उत्पादन के 15 फीसदी के बराबर निर्यात सौदे कर सकती हैं। हमने अपने सदस्यों को इसके संबंध में सूचित कर दिया है।

सूत्रों के मुताबिक चीनी मिलों ने निर्यात सौदे करने शुरू कर दिये हैं। केंद्र की मोदी सरकार ने 24 मई, 2022 को चीनी निर्यात को फ्री से रेस्ट्रिक्टिड श्रेणी में शामिल कर लिया था। इसके साथ ही 30 सितंबर को समाप्त होने वाले चालू सीजन (2021-22) के लिए चीनी निर्यात की 100 लाख टन की सीमा तय कर दी थी। लेकिन अगस्त में उसे बढ़ाकर 112 लाख टन तक कर दिया था। सूत्रों का कहना है कि आगामी सीजन के लिए 50 लाख टन चीनी निर्यात का नोटिफिकेशन जल्द ही आ सकता है। वहीं उम्मीद है कि फरवरी 2023 में सरकार अतिरिक्त 30 से 35 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दे सकती है।  

चालू साल में 112 लाख टन का चीनी निर्यात बिना किसी सब्सिडी के उद्योग ने किया है। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की बेहतर कीमतें रही हैं और उसके पीछे ब्राजील में सूखा पड़ना व थाइलैंड में उत्पादन घटना रहा था। इस साल भी यूरोप में सूखे की वजह से वहां उत्पादन घटेगा। यही वजह है कि इस समय दिसंबर डिलीवरी के लिए चीनी की कीमत 538 डॉलर प्रति टन चल रही है। वहीं भारतीय चीनी के लए यह कीमत 488 डॉलर प्रति टन है जो करीब 39000 रुपये प्रति टन बैठती है। इसमें से ट्रांसपोर्ट, बैगिंग, हैंडलिंग और पोर्ट के खर्च जैसे तमाम खर्च घटाने के बाद चीनी मिलों को 35500 रुपये प्रति टन की एक्स-मिल कीमत मिल रही है जो इस समय की घरेलू बाजार की कीमत से अधिक है। इस समय महाराष्ट्र में एस-ग्रेड चीनी की कीमत 34000 रुपये प्रति टन है।

साल 2016-17 में भारत से चीनी निर्यात केवल 46 हजार टन रहा था जो 2017-18 में 6.32 लाख टन, 2018-19 में 38 लाख टन, 2019-20 में 59.40 लाख टन, 2020-21 में 71.90 लाख टन और 2021-22 में 112 लाख टन पर पहुंच गया।

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