चीनी का एमएसपी बढ़ने की संभावना, सहकारी चीनी मिल फेडरेशन ने खाद्य मंत्रालय को लिखा पत्र
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोआपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) ने केंद्रीय खाद्य मंत्रालय से चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर 3900 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। मंत्रालय को लिखे एक पत्र में फेडरेशन ने कहा है कि चीनी के एमएसपी को 3100 रुपये से बढ़ाकर 3900 रुपये प्रति क्विटंल करने का महंगाई दर पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि इसका फायदा सहकारी चीनी मिलों को मिलेगा और कीमतों में स्थायित्व आएगा।

आगामी चीनी उत्पादन वर्ष (2025-26) में चीनी उद्योग को 350 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रियां (एनएफसीएसएफ) का मानना है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में बेहतर मानसून के चलते उत्पादन बढ़कर 350 लाख टन तक पहुंच सकता है।
फेडरेशन के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवरे ने रूरल वॉयस से बातचीत में बताया कि देशभर में चीनी उत्पादन की संभावना बेहतर है, विशेषकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसके साथ ही फेडरेशन ने 45 लाख टन चीनी के एथेनॉल उत्पादन हेतु डायवर्जन और 20 लाख टन निर्यात की संभावना जताई है।
फेडरेशन ने चीनी की एक्स-फैक्टरी कीमतें 3,860 से 4,070 रुपये प्रति क्विंटल रहने के आधार पर, केंद्रीय खाद्य मंत्रालय से न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को 3,100 रुपये से बढ़ाकर 3,900 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग की है। मंत्रालय को लिखे पत्र में फेडरेशन ने कहा है कि इस स्तर पर एमएसपी बढ़ाने से महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जबकि सहकारी चीनी मिलों को बड़ी मात्रा में वित्तीय तरलता मिलेगी और कीमतों में स्थायित्व आएगा।
चालू पेराई सीजन में चीनी उत्पादन का अनुमान 261.10 लाख टन है। स्पेशल सीजन में तमिलनाडु और कर्नाटक की 18 चीनी मिलों में सितंबर तक पेराई जारी रही। 15 सितंबर तक उत्पादन 259.35 लाख टन रहा और औसत रिकवरी 9.26% (एथेनॉल डायवर्जन के बाद) दर्ज की गई। इस सीजन में 34 लाख टन चीनी का एथेनॉल हेतु डायवर्जन हुआ। वहीं सरकार द्वारा तय 10 लाख टन निर्यात कोटे में से 15 सितंबर तक 7.7 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। भारत से चीनी के बड़े आयातक देशों में जिबूती, श्रीलंका, अफगानिस्तान, सोमालिया, बांग्लादेश और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) शामिल हैं।
नए सीजन (2025-26) में 350 लाख टन उत्पादन के आधार पर, 285 लाख टन घरेलू खपत, 20 लाख टन निर्यात और 45 लाख टन एथेनॉल डायवर्जन के बाद, क्लोज़िंग स्टॉक का अनुमान 53.33 लाख टन लगाया गया है।
एथेनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम (ईबीपी) के तहत चालू एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) में 31 अगस्त तक 1,133 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति का आवंटन किया गया, जिसमें 31% हिस्सा चीनी आधारित और 69% हिस्सा अनाज आधारित एथेनॉल का रहा। अब तक 840 करोड़ लीटर ब्लेंडिंग के साथ एथेनॉल ब्लेंडिंग का स्तर 19.12% तक पहुंचा है, जिसमें से 295 करोड़ लीटर की आपूर्ति चीनी उद्योग से की गई। आगामी सीजन (2025-26) में बेहतर चीनी उत्पादन की संभावना को देखते हुए सरकार ने गन्ने के रस, सिरप, बी-हैवी और सी-हैवी शीरे से एथेनॉल उत्पादन की अनुमति चीनी मिलों को दे दी है। उद्योग को उम्मीद है कि अगले साल एथेनॉल आपूर्ति वर्ष (2025-26) में 1,200 करोड़ लीटर एथेनॉल का आवंटन किया जाएगा।
नायकनवरे ने रूरल वॉयस को बताया कि मंत्रालय को एमएसपी बढ़ाने के लिए लिखे पत्र पर हमें सकारात्मक निर्णय की उम्मीद है। उन्होंने कहा, “हमने 3,900 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी मांगी है, जो मौजूदा एक्स-फैक्टरी कीमतों के आधार पर है। इससे सहकारी चीनी मिलों को अधिक ऋण उपलब्ध हो सकेगा, क्योंकि फिलहाल सहकारी बैंक स्टॉक का मूल्यांकन 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की मौजूदा एमएसपी पर करते हैं, जो व्यावहारिक नहीं है।”